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Punha Navyane Suruvaat

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Marathi Sci-Fi Book written by Abhishek ThamkeAuthor of Agneeputra Book

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प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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1 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

ISBN - 978-81-929803-2-4

कादंबर�

पु�हा न�याने सु�वातपु�हा न�याने सु�वात

अिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमके

किवतासागरकिवतासागरकिवतासागरकिवतासागर �काशन 02322 - 225500, 09975873569

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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2 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

KKaavviittaaSSaaggaarr क�वतासागरक�वतासागर

o Registered with the International ISBN Agency, London, UK and The

Government of India, Ministry of Human Resource Development, New Delhi

o International Standard Book Number: 978-81-929803-2-4

o Title - Punha Navyane Suruvat (प�ुहा न�याने सु�वात)

o Author - Abhishek Thamake (अिभषके ठअिभषके ठअिभषके ठअिभषके ठमकेमकेमकेमके)

+91 9768650098, [email protected]

o Year of Publication - May 01, 2016 (मे 01, 2016)

o Edition's - First (�थम आव'ृती) o Volume - One (खंड प+हला) o Price - Rs. 150/- (म-ुय 150/-)

o Subject - Novel (कादंबर�) o Language - Marathi (मराठ.) o Total 125 Pages including covers.

o Copyright © Abhishek Dnyaneshwar Thamake अिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमके

o Published in India in 2016 by - Dr. Sunil Patil (डॉ. सुनील पाट�ल)

Director - KavitaSagar Publication (क�वतासागर �काशन)

o Exclusively Marketed and Distributed by - KavitaSagar Publication, Jaysingpur - 416101, Taluka - Shirol, District - Kolhapur, Maharashtra, India 02322 - 225500, 09975873569, [email protected]

o Typesetting by - Dhudat Desktop Publishing Center o Cover Design by - Abhishek Thamake (अ�भषेक ठमके)

o Printed and Bound in India by - KavitaSagar Printing Services

o Views expressed in this book are entirely those of the respective Authors and do not represent the opinions or thoughts of the Publisher

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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3 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

II अप�ण अप�ण अप�ण अप�ण II

जगातील सव3

संशोधक, वै7ा8नक, सै8नक

आ9ण आपले काम त'परतनेे

पार पाडणा-या �'येकास सम�प3त

अिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमकेअिभषेक �ान�ेर ठमके

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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4 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

मनोगत

मनोगत मांड;याआधी एक गंमत सांगू इि@छतो. साधारण दोन वषाBपूवC Dहणजे १ मे २०१४ रोजी महाराIJ +दना8न�म'त आपण वाचत असलेल� कादंबर� �का�शत होणार होती. पुLतक �लहून तयार होत,े क�हर देखील मी Lवतः Nडझाईन केले होत,े 'या वेळी देखील Jेलर Rरल�ज झाला होता माS ददुTवाने माUया कॉDपुटरची हाड3 NडLक करVट झाल�. मा+हतीसाठ. असलेले नोWस,

ि�हNडओ आ9ण इतर सव3 गोIट� इंटरनेटवर उपलZध हो'या, माS मी �ल+हलेले संपणू3 पLुतक 'या करVट झाले-या हाड3 NडLकम[ये नIट झाले. दोन वषाBआधी बनवलेला Jेलर आज देखील YouTube वर उपलZध आहे. पुLतक सवाBसमोर यावे ह� इ@छा मनात होतीच, या दोन वषा3त अनेक गोIट� घड-या, मला मलुगी झाल�, चांग-या कंपनीम[ये आट3 डायरे]टर Dहणून �जू झालो, ब-याच चांग-या गोIट� घड-या. पाठ.मागून �ल+हलेले अि^नपुS नावाच ेपुLतक �का�शत देखील झाले, पण रोज Jेनमधून �वास करत, मलु�ला वेळ देत, ऑ`फसमधील काम सांभाळत, रL'याने चालत, �मSांसोबत `bकेट खेळत टॅबवर पुLतकाच े न�याने �लखाण काम सु� होत.े असे करत अनेक गोIट� जुळवनू पु�हा न�याने सु�वात कdन ‘प�ुहा न�याने सु�वात’ कादंबर� पूण3 झाल�.

हे पLुतक Dहणजे एक अशी कथा आहे, िजथे सव3 काह� संपतं आ9ण सवाBना प�ुहा न�याने सु�वात करावी लागत.े ह� सु�वात न�या जगाची आहे, न�या जग;याची आहे, जग;याची नाह� तर न�याने जगव;याची आहे, न�याने घर शोध;याची आहे, गमावले-या सव3 गोIट� पु�हा न�याने कमाव;याची आहे.

पLुतकाबeल बोल;याआधी माUयाबeल थोड ं सांगू इि@छतो. लहानपणापासून संशोधक हो;याची इ@छा Dहणून भरपूर पुLतके वाचून काढल�. अनेक संशोधकांच ेचRरS वाचले. सव3काह� सुरळीत चालू होत ेआ9ण 'यातच �म�लटर� Lकूलम[ये शेवट@या वषC माझा अपघात झाला. नंतर रे-वेम[ये �वास करत असताना अपघात झाला आ9ण माझी बर�च LवVने धुसर झाल�. जाLत धावू नये, जाLत वजन उचलू नये अशी अनेक बंधने माUयावर आल�. सशंोधनात

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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5 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

काह� करता आले नाह� याचा खूप Sास होत होता. संशोधनातून काह�तर� वेगळे �योग करायच ेआ9ण जगाला काह�तर� नवीन दाखवायचं ह� खंत काह� के-या मनातून जात न�हती. त�ेहा आपण पुLतका@या मा[यमातून जगाला नवीन काह�तर� देऊ शकतो असे माUया लhात आले आ9ण मी दोन पुLतके �ल+हल�, मैS जीवांच े आ9ण अि^नपुS. पैकi ‘मैS जीवांच’े पLुतकामधून मी एकाच पLुतकाम[ये ६ वेगवेगkया भाषांचा वापर केला, गगुल सLंथेमधील कामकाज कसे चालत े हे दाख�वले, ऑLJे�लया आ9ण जम3नीमधील संLकृती दाखवल�. कादंबर�ला चांगला �8तसाद �मळाला. नंतर Zलॉग@या मा[यमातून ‘अि^नपुS’

नावाची साय-फाय कादंबर� �ल+हल�, कादंबर�ला एका वषा3तच ३,००,००० पेhा जाLत वाचकसंmया लाभल� आ9ण 'यानंतर आता ‘प�ुहा न�याने सु�वात’

कादंबर� आप-यासमोर सादर करत आहे.

8त�ह� पुLतकांम[ये मुmय नायक हा संशोधक, डॉ]टरेट `कंवा शाLS7 आहे. नायकाला ह� भू�मका का +दल� हे आप-याला समजले असेलच. पण मुeा हा नाह�च आहे, मeुा हा आहे `क मी तुDहाला काय देतो आहे. का देतो आहे त ेतुDहाला ब-यापैकi कळले असेलच. आज मी �ल+हलेले पुLतक वाचत असताना तुDह� तुम@या आयुIयाच े काह� तास माUयासाठ., माUया पुLतकासाठ. देत आहात, तर त े तास तुम@यासाठ. अ�वLमरणीय असाव,े 'यातून तुDहाला काह� �शकता याव,े पLुतक वाचत असताना नुसता �वरंगुळा न होता तुDहाला अशी काह� मा+हती �मळावी जी तुDह� कधी ऐकल� नसेल `कंवा वाचल� देखील नसेल आ9ण पुLतक वाच-यानंतर आपण काह�तर� नवीन, वेगळे वाचले आहे याचा आनंद तुम@या चहे-यावर असावा हा मह'वाचा मुeा आहे आ9ण तो मुeा या पLुतकाम[ये देखील तुDहाला अनुभवायला �मळेल. महासागरांचा इ8तहास,

ज�मनीखाल� आ9ण समुoाम[ये कशा �कारे संशोधन होत,े संशोधकांच े जीवन कसे असत,े सै8नक Dहणजे न]कi काय असतो, 8नसगा3ची उ'प'ती कशी झाल� आ9ण अशा �कारची बर�च मा+हती तुDहाला या कादंबर�म[ये वाचता येईल.

कादंबर� वाचत असताना �करण ७ आ9ण �करण ८ ह� दोन �करणे महासागराची मा+हती दे;यासाठ. समा�वIट केल� आहे. या �करणाचंा अनेक

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6 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

िज7ास ू वाचकांना न]कiच फायदा होईल. सामा�य वाचक ह� दोन �करणे वगळून �करण ९ वाचू शकतो, इथे 'याने वाचनातून केवळ महासागराचा इ8तहास वगळला असेल, मळू कथेचा गाभा आहे तसाच राहतो आ9ण कथा पुढे जात.े त�ेहा सामा�य वाचकांना ह� दोन �करणे रटाळ वाटल� तर 'यांनी 8न:संकोचपणे �करण ९ वाच-यास हरकत नाह�.

कादंबर�चा नायक अ�भजीत हा महासागरशाLS7 आहे जो ल^न कर;यासाठ. महाराIJात येतो. ल^नानंतर लगेचच प'नी tेयासोबत तो अजuट�ना येथे 'या@या कामा@या +ठकाणी जातो. 8तथे 'याच े सहकार� Lट�फन आ9ण अ-बट3 'याला महासागरामधील हालचाल�ंबeल एक रोमांचक गोIट सांगतात. या गोIट�चा शोध घे;यासाठ. अ�भजीत, िLटफन, अ-बट3, कVतान vूस, मेजर रॉजड3, बाब3रा, जेन,

मोहDमद आ9ण 'से�ग चू हे सगळे अंटाि]ट3का@या +दशेने 8नघतात. दरDयान दwhण xुवावर आढळणारे महाकाय आ9ण +हLंS मासे संपूण3 जगभर जहाजांवर ह-ला करतात. न]कi कोणती गोIट शोध;यासाठ. अ�भजीत 'या@या ट�मसोबत अंटाि]ट3का खंडावर जातो? समoु� मासे जहाजांवर ह-ले का करतात? पढेु जाऊन असे काय होत े yयाने संपूण3 जग अमेRरका खंडा@या �व�z होतं? अ�भजीत जगातील सवा3त मोठे गुगल आ9ण फेसबुक का हॅक करतो? या सव3 �{नांची उ'तरे तुDहाला कादंबर� वाचताना �मळतीलच.

�मखू पाS:

• अ�भजीत (महासागर संशोधक) • tेया (अ�भजीतची प'नी) • िLटफन (अ�भजीतचा सहकार� सशंोधक) • रोडा (िLटफनची प'नी) • अ-बट3 (अ�भजीतचा अ�सLटंट) • जॉड3न सर (इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी - अ[यh)

• कVतान vुस (पाणबुडी चालक) • मोहDमद (रडार ऑपरेटर) • 'से�ग चू (सटेॅलाईट कDयु8नकेशनर) • जेन (मर�न इंिज8नयर)

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7 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

• बाब3रा (सॅटेलाईट ऑपरेटर) • मेजर रॉजड3 (अमेRरकi नौसेनेच ेअ�धकार�) • डॉ. वेन िज�तो (चीनमधील सशंोधक) • कVतान थॉमस (vा9झलमधील जहाजाच ेकVतान)

पLुतकाम[ये उ-लेख कर;यात आले-या �मुख संLथा: • इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी - I.C.E.S. (ड�ेमाक3 ) • िLbVस इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi (कॅ�लफो8न3या) • नॅशनल इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi (पणजी) • यनुायटेड LटेWस ने�ह� (अमेRरका) • यनुेLको(पॅRरस) • इंटरनॅशनल कॉ�फर�स ऑफ ]लायमेट च�ज (यु.एस.ए.)

पLुतक पूण3 कर;यासाठ. �'यh आ9ण अ�'यh मदत करणा-या सवाBचे �वशेष आभार:

• शलाका (गौर�) ठमके

• अनIुका 8नलेश मोरे

• �सzेश र�वoं पाट�ल

• अhर �भू देसाई

• �सzेश �भुगावकर

• �िजता कारमोरे

• �वनय गुVता (IFCPL)

• गौरव गायकवाड

• गणेश बो-हाड े

• संतोष चोरगे

प�ुहा न�याने सु�वात या कादंबर�च ेसमीhक tी. मंगेश �व�ल कोळी आ9ण क�वतासागर �काशनाच े�काशक डॉ. सुनील दादा पाट�ल याचं ेआभार...

- अ�भषके 7ाने{वर ठमके

Author | Creative Art Director | Social Media Executive

+91 9768650098, [email protected]

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8 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�Lतावना:

प�ुहा न�याने सु�वात

आज मला तुDहाला सांगायला आनंद होतो आहे. काह� +दवसापूंवC मला ‘‘प�ुहा न�याने सुdवात’’ ह� कादंबर� वाचावयास �मळाल�. या अगोदर ‘अ^नीपुS’ पLुतकासाठ. जवळपास 5 लाख वाचकांचा �8तसाद �मळालेले ��सz लेखक tी. अ�भषेक 7ाने{ वर ठमके यांची ह� अ'यंत उ'कंठावध3क कादंबर�

आहे. मी पु�हा न�याने सु�वात ह� कादंबर� वाचायला सुdवात केल� अ8तशय रंजक आ9ण �च'तथरारक अशी कादंबर� वाचत असताना, मी 'या कादंबर�चाच एक घटक आहे कi काय असे मला वाटू लागले. एक - एक पान मी वाचत होतो 'याम[येच मी रमून गेलो. कादंबर� मी एका बैठ`कतच संप�वल� परंतु कादंबर�च े लेखक अ�भषेक ठमके याचंी शZद रचना, शZद शैल� मनाला भाऊन गेल� अनेक नवनवीन �वचारचb माUया डो]यात सुd झाले आ9ण खूप काह� �'यh अनुभव-याचा आनंद �मळला. कादंबर�च े लेखक अ�भषेक 7ाने{वर ठमके यांनी महासागराम[ये काय3रत असलेले अनेक सै8नकांचा �'यh अनुभवच �'येकाचा वाचावयास �मळेल. आपण सामा�य �य]ती अगद� 8नवांत, शांत, आ9ण िLथर �कारच े आयुIय जगत असतो. परंतु आपल� काळजी घेणारे आ9ण +दवस-राS काय3रत असणारे सै8नक 'यांची काय अवLथा असत े याचा आगळा वेगळा अनुभव लेखकाने ‘प�ुहा न�याने सुdवात’ या कादंबर�म[ये सादर केला आहे. मानवा@या �'येक जडण घडणीम[ये अनेकांच े �'यh अ�'यh सहकाय3 असत.े परंतु हे मा�य

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9 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कdन जो �य]ती सतत इतरां@यासाठ. काय3रत असतो तोच ख� या अथा3ने जीवनाम[ये यशLवी होत असतो. कोण'याह� क+ठण �संगी Lवतःवर आ'म�व{ वास असणे खूप आव{यक असत.े ह� कादंबर� वाचत असताना मला खूप चांग-या गोIट� �शकायला �मळा-या आहेत. 'या शZदांम[ये �य]त करणे खरोखरच खूप क+ठण आहे. आयुIयात समजा आपण एखा�या गोIट�म[ये हरलो, तर� ती भावना िजतकi ददु�वी आ9ण दःुखदायक असत.े 'यापेhाह� पु�हा 'याच गोIट�त िजंक;याची इ@छा नसणे, ह� भावना जाLत भयंकर असत.े सतत �य'न करत राह�ले तर यश न]कiच �मळेल हे देखील स'य आहे. ‘प�ुहा न�याने सुdवात’ ह� कादंबर� �'येकाने वाचावी याची दोन कारणे आहेत. एक Dहणज ेलेखकाची लेखन शैल� िजच ेकौतुक कराव ेतवेढे कमी आहे, आ9ण दोन Dहणज ेआपण Lवतः घराम[ये बसून महासागराम[ये वावर;याचा अनुभव 'याच बरोबर तथेील हालचाल� आ9ण 'यां@यावर योजीले जाणारे उपाय 'यांच े8नयोजन करता येईल हे समजू शकत.े कादंबर�च े लेखक अ�भषेक 7ाने{ वर ठमके तसेच क�वतासागर �काशनच े �काशक डॉ. सु8नल दादा पाट�ल यांना पढु�ल वाटचाल�स खूप खूप शुभे@छा...

- मंगेश �व�ल कोळी

+ 91 9028713820, [email protected]

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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10 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १

कढईत-या गरम गरम तलेाम[ये िजरे, मोहर�, +हगं आ9ण हळद टाकल.ं िजरे-मोहर� तडतड;याचा आवाज आला. मग 'यात कढ�प'ता, �चरलेल� �मरची टाकल�. इत]यात tेयाची आई आतम[ये आल�.

‘‘अग,ं मलुाकडची मंडळी आल�त. कांदेपोहे राहू दे. अगोदर चहा कर.’’

‘‘थांब गं आई... ग�धळ नको घालूस... गॅसवर दसु-या बाजूला ठेवलाय मी चहा.’’ tेया आईवर �चडतच Dहणाल�.

‘‘बरं... पोहे धुतलेस ना �यविLथत? बाजूला हो आता, मी परतवत े पोहे... तू तयार� कर जा लवकर आ9ण हो, 'या मेघाता�@या मुल�@या शेजारणी@या घर� बारशाला जाताना जो �से घातला होतास ना! तो �से घाल... सकाळी जो �से मला दाखवलेलास 'याच ेहात बरोबर नाह�त... जा चल लवकर... बाई ग.ं.. चहा पण उकळला बघ... जा ना तू... अजून इथेच का उभी?’’ Lवयंपाकघराचा ताबा घेत आई tेयाला बजावत होती.

आज tेयाला बघ;याचा काय3bम होता. tेयाच ेबाबा सकाळीच बाजारात जाऊन आले होत.े बाजारातून काय आणायचं या सगळया गोIट� तचे एकटे बघत असत. tेया@या आईला 'यांनी कधीह� कसल�ह� धावपळ क� +दल� न�हती. tेया एकट�च अस-याने त े 8तची खूप काळजी घेत असत. आज 8तला बघ;याचा काय3bम Dहणजे 8त@या आयुIयाताला सवा3त मह''वाचा hण, या hणाम[ये 'यांना कसल�ह� कमतरता ठेवायची न�हती. बाजारातून 'यांनी काह� गोडधोड आ9ण आमरस आणला होता. शेजार@या सोनावणे काकूदेखील tेया@या आईला मदत करायला आ-या हो'या.

‘‘काय गं सुलभा? tेया कुठे आहे ? बाहेर पाहुणे आलेत बघ...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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11 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘बघ ना... अ�भजीत आ9ण 'या@या घरची मंडळी आल�त आ9ण इकड ेबघत ेतर ती अजून Lवयंपाकघरातच होती, जरा कप दे मला 8तकडून... धुवनू दे...’’

सोनावणे काकू कप धुव ूलागतात. ‘‘मग? आता कुठे गेल� ती?’’

‘‘तयार होतये... चहा ओततेस का? नको... मीच ओतत.े.. तू जा आ9ण बघ 8तला काह� मदत हवी आहे का 8तथे...’’

‘‘हो... आ9ण हे घे... मंगेश सांगत होता �लबूं पा+हजेत Dहणून...’’ �लबं ू देत सोनावणे काकू लगेचच tेया@या खोल�म[ये जातात.

नेहमी�माणे tेया@या खोल�म[ये पसारा होता. एकiकड ेकप�याचंं कपाट उघड ंआ9ण दसु-या +ठकाणी कप�यांचा +ढगारा पडलेला असतो. मेकअपचा डZबा खाल� पडला होता आ9ण 'यातलं सगळं अLता�यLत झालं होतं. बेडवरची चादर तर नेहमी�माणेच चोळामोळा होती. एक उशी टेबलावर आ9ण दुसर� बेडखाल� पडलेल�, आरशासमोरचा सगळा भाग मेकअपचं सामान पडून खराब झालेला. या सगkया पसा-यामधून ती काह�तर� शोधत होती. सोनावणे काकंूना हे नेहमीचं होतं Dहणून 'यांना �वशेष काह� वाटलं नाह�. 8त@या खोल�म[ये �वेश करत 'या दरवाजाजवळ येऊन उ�या राहतात.

‘‘बरं झालं मावशी आल�स, माUया कानातलं ना... +दसतचं ना+हये... बघ ना जरा... मी 8तथेच बेडवर ठेवलं होतं...’’

‘‘हे काय, आरशा@या बाजूलाच तर आहेत...’’ आरशाजवळ असलेलं कानातलं Rरगं हातात घेऊन 'या Dहणतात.

‘‘शी... त े न]को... काकू, माझा �से बघ आ9ण त ेकानातले बघ... जरा तर� मॅच होतंय का?’’ tेयाचा चांगलाच ग�धळ उडाला होता.

‘‘अगं tेया... चहा घेऊन ये इकड.े..’’ बाहे�न tेया@या बाबांचा आवाज येतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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12 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

tेयाला कानातलं Rरगं सापडतं. Rरगं कानात घालून ती लगेच Lवयंपाकघरा@या +दशेने जात.े आईने आधीच सगळी तयार� क�न ठेवल� होती, चहाचा Jे घेऊन ती पुढे चालत येत ेआ9ण हॉलपाशी आ-यानंतर तो Jे tेया@या हातात देत.े tेया जरा घाबरतच हॉलम[ये जात.े लांबसडक केस, पाणीदार डोळे, थोडा गोल चहेरा, रंगाने `कंचीत सावळीशी, सडपातळ बांधा आ9ण आप-या नाजूक पावलांनी जरा थरथरत tेया येत.े tेयाला बघताhणी अ�भजीत 8त@या �ेमात पडतो. Jे टेबलावर ठेवून ती अ�भजीत आ9ण 'या@या आईवडीलांना चहा देत.े चहा देत असताना हलकेच अ�भजीत आ9ण 8तची नजरानजर होत.े अ�भजीत 8त@याकडेच पाहत असतो, tेया जरा लाजतेच.

‘‘ये... बस इथे...’’ tेयाच ेबाबा 8तला बसायला सांगतात. आतमधून tेयाची आई आ9ण सोनावणे काकू �चवडा, काह� गोड पदाथ3 आ9ण सरबत घेऊन येतात. 'यादेखील tेया@या बाजूला जाऊन बसतात.

‘‘तुDह� फोटो +दला होता 'याह� पेhा खूप गोड मुलगी आहे हो तुमची...’’ अ�भजीतची आई बोलू लागत,े ‘‘पाहताhणी मला तुमची tेया आवडल�. अशीच सनु हवी होती आDहाला.’’

‘‘बी. कॉम. केलंय आम@या tेयाने, �चSकलेची सु[दा आवड आहे 8तला.’’ tेयाचे बाबा सांगतात.

‘‘अरे वा...!! उ'तमच... बेटा tेया, तुला काह� �वचारायचं आहे का?’’ अ�भजीतचे बाबा बोलतात.

tेया@या �दयाचे ठोके वाढलेले असतात. दो�ह� हाता@या अंगठयांना एकमेकांभोवती `फरवत ती खाल� मान घालून बसल� होती. ‘‘काह� नाह�.’’

‘‘अग.ं.. असं कस ंDहणतसे? आ-यापासून तुझ ेबाबा माUयाशी गVपा मारताहेत. आता आईदेखील बोलतये. ल^न तुला करायचंय ना! तुUयाह� काह� अपेhा असतील. बोल तू.’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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13 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

tेया गVपच असत.े नंतर अ�भजीतची आई Lवतः बोलू लागत,े ‘‘बरं बेटा, तू नाह� तर मी बोलत.े आमचा अ�भजीत बाहेरगावी कामाला असतो. एकटाच असतो तो 8तथे Dहणून मला 'याची खूप काळजी वाटत असत.े आता ल^नाचं वयदेखील झालं आहे तर Dहटल,ं उरकून घेऊया. भारतात खूप कमी येणं होतं 'याचं, आता गो�याला आला होता कस-यातर� कामासाठ., मग Dहटलं आलाच आहेस तर आणखी काह� +दवस सु�ी घे, ल^नाचं मनावर घे आ9ण मग दोघांनी जा बाहेरगावी... सोबत कुणीतर� जवळचं आहे या �वचाराने मी देखील 8नि{चंत असेल.’’

‘‘तुDह� हे सव3 सां�गतलंत ह� खूप मोठ. गोIट आहे. नाह�तर मुलगा बाहेरगावी नोकर� करतो एवढंच सांगून काह�जण मोकळे होतात.’’ tेयाच े बाबा 'यां@या बोल;याला सहमती दश3वत बोलतात, ‘‘मला तर तुमचा अ�भजीत पसंत आहे,

�वशेष क�न 'याने yया काह� गोIट� सा[य क�न दाख�व-या आहेत 'या खरंच कौतुकाLपद आहेत, बाहेरगावी जाऊन महासागराचा अ�यास करत आज 'याची महासागरशाLS7 Dहणून एक वेगळी ओळख आहे. याचं tेय 'या@याबरोबरच तुDहाला देखील जातं. आप-याकड ेकोणीह� आप-या मुलांना डॉ]टर, इंिज8नयर,

सरकार� नोकर या�य8तRर]त कसल�ह� LवVने पाहू देत नाह�त आ9ण 'यात अ�भजीतने �मळाले-या संधीचा चांगला उपयोग करत महासागरातील जे शोध लावलेत 'यासाठ. 'याचं जेवढं कौतुक करावं तवेढं थोडंच आहे.’’

अ�भजीत बोलू लागतो, ‘‘काय Dहणता बाबा! मी तर फ]त शोध लावतो. आपण 8नसगा3समोर yया काह� समLया उ�या के-या आहेत, 'यामानाने माUया सशंोधनाचा �हावा 8ततका चांगला वापर झाला नाह�ये... आ9ण हो, खरोखरच आई आ9ण बाबा यांनी...’’

‘‘अरे बाळा...महासागर बाजुला ठेव, तुझा बघ;याचा काय3bम आहे हा. tेयाबeल बोल काह�. मला तर tेया खूप आवडल� आहे.’’ अ�भजीतच े बाबा म[येच बोलतात.

‘‘हो बाबा... Dहणज.े.. म..ला... प...ण... tे..या..’’ अ�भजीत गVप बसतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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14 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘वा..!! वा..!! छानच...आ9ण tेया, तुला अ�भजीत कसा वाटला?’’ अ�भजीत@या आईला खूप आनंद होतो.

tेया गVपच. खाल� मान घालून बसलेल� ती, हळून अ�भजीतकड े वर बघते आ9ण लाजतच पु�हा खाल� बघत होकाराथC मान हलावत.े tेयाचा होकार पाहून अ�भजीत@या आईवडीलांना आनंद होतो. अ�भजीतच े बाबा लगेच उभे राहतात आ9ण Dहणतात, ‘‘झालं आता तुUया मनासारखं? बघ;याचा काय3bम करायचा होता ना तुला? आता खुश?’’

tेया लगेच बोलू लागत,े ‘‘थांबा ना बाबा, असे म[येच का उठता?अजनू पण पुढे काह� तर� असतं ना...’’

tेयाची आई, ‘‘अगं काट�, झालं ना आता, तो पण हो Dहणाला आ9ण तू पण,

झाला बघ;याचा काय3bम, अजनू काय करणार? चार +दवसांवर ल^न आलयं तुDहा दोघांचं आ9ण तुला आता बघ;याचा काय3bम सुचतोय?’’

tेया, ‘‘अ�भजीत, समजाव रे आईला...’’

अ�भजीतच ेवडील, ‘‘तुDह� बोलत बसा, आDह� हॉलवर जाऊन येतो.’’

tेयाची आई, ‘‘बरं. या लवकर.’’

tेया, ‘‘काय गं आई? असं कशाला करतसे? `कती छान चालू होता माझा बघ;याचा काय3bम. शी... सगळा मुड ऑफ केलास माझा...’’

अ�भजीतची आई, ‘‘बेटा, 'यांना बाकi@या गोIट�सु[दा बघाय@या आहेत ना! Dहणुन त ेलवकर 8नघाले. आपण क� ना बघ;याचा काय3bम...’’

tेया, ‘‘अरे ए अभ�या... खात का बसलाएस 8तथे? मी एकट�च बोलतये ना!’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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15 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ�भजीत, ‘‘tेयु, तू Dहणाल�स Dहणून सकाळीच 'यांना घेऊन आलो ना. 'यांना बाकiची पण काह� कामं असतील.’’

tेयाची आई, ‘‘पण मी Dहणतेय, तुDहा दोघांना हे खुळ सचुलंच कस?ं’’

अ�भजीत, ‘‘मला कुठे? अशा क-पना +ह@याच डो]यात येतात. काल मला फोनवर Dहणत,े तू माUया आयुIयातल� सुखं +हरावून घेतल�स. मी �वचारल,ं

काय झालं Dहणून. तर Dहणे, +ह@या एका मै�Sणीचा बघ;याचा काय3bम होता, 8तथे या मॅडमस[ुदा गे-या हो'या. तो काय3bम बघून झा-यावर मला Dहणत,े

आपण एकमेकांना लहानपणापासून ओळखतो, कॉलेज एकS केल,ं नंतर �ेम झाल,ं घर@यांना कळल,ं तू काह� वष3 मागीतल�स आ9ण पा;यात बुडायला गेलास. पा;यातुन बाहेर आ-यावर ल^न करेन Dहणालास, आता आलास आ9ण आप-या बाबांनी ल^ना@या प�Sका सु[दा छाप-या. चार +दवसांवर ल^न आलं आ9ण आपला बघ;याचा काय3bम झालाच नाह�. 'यापेhा मी अर�ज मॅरेज केलं असतं तर बरं झालं असतं, आता बोला...’’

tेयाची आई, ‘‘काय गं tेया? काय सांगतोय अ�भजीत?’’

tेया हसून अ�भजीतला डोळा मारत े आ9ण अ�भजीत@या आईजवळ जाऊन 'या@या आई@या कुशीत डोकं ठेवत.े अ�भजीतची आईदेखील हसू लागत.े थोडा वेळ का होईना, बघ;याचा काय3bम झाला Dहणून tेया खुश असत.े

अ�भजीत आ9ण tेया एकाच सोसायट�म[ये राहत असतात, लहानपणापासून दोघे चांगले �मSमैSीण होत.े अ�यासा@या 8न�म'ताने `कंवा वेगवेगkया कारणांनी 'यां@याम[ये जवळीक वाढू लागल� आ9ण दोघेह� एकमेकां@या �ेमात पडले. ह� गोIट दोघां@याह� घर� समजल�, दोघां@याह� घर� आनंद� वातावरण होत.े

ल^ना�वषयीची बोलणी सु� असताना अ�भजीतला ड�ेमाक3 येथील ‘इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी’ म[ये वRरIठ संशोधक Dहणून संधी �मळत.े कॉलेजनंतर अ�भजीत महासागर�व7ानाम[ये गंुतला होता.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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16 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ�यासbमा[ये 'याने चांगल� काम�गर� केल� होती Dहणून जगातील सवा3त मोठ. महासागर�व7ानावर सशंोधन करणार� संLथा ‘इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी’ येथे 'याला नोकर� �मळाल�. tेया आ9ण अ�भजीत दोघेह� ल^न पुढे ढकल;याचा 8नण3य घेतात. आईवडील देखील 'यांना परवानगी देतात. ड�ेमाक3 ला जाऊन आता अ�भजीतला पाच वषB झालेल� असतात. फोनवर आईसोबत बोलत असताना पुढ@या म+ह�यापासून स�ुी �मळ;याची श]यता कमी आहे असं अ�भजीत सांगतो. त�ेहा अ�भजीतची आई लगेचच 'याला स�ुी काढून भारतात यायला सांगत ेआ9ण लगेचच tेया आ9ण अ�भजीत@या ल^नाची धावपळ सु� करत.े अ�भजीतची रवानगी अजu+टना येथे होत अस-याने तो ल^नासाठ. सु�ी घेऊन भारतात येतो. पणजी येथे 'याचं कामदेखील असतं Dहणून त ेकाम आटोपून तो ल^नासाठ. घर� येतो. 'याने tेया@या पासपोट3साठ. अज3 +दलेला असतो. ल^न होईपयBत 8तचा पासपोट3 �मळेल आ9ण दोघांना लगेच अजu+टना येथे जाता येईल अशी �यवLथा 'याने केलेल� असत.े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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17 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण २

बघता बघता चार +दवस 8नघून जातात. �ववाहाचा +दवस उजाडतो. आद-या +दवशी अ�भजीत@या घर� हळद�चा काय3bम उरकला जातो. 'याची आई व ना'यातील बायका 'याला सुगंधी तलेात �भज�वलेल� हळद लावतात, नंतर अ�भजीतला समारंभपूव3क आंघोळ घातल� जात.े �श-लक रा+हलेल� Dहणजे उIट� हळद, साडी आ9ण पूजे@या सा+ह'यासह tेया@या घर� नेल� जात.े tेयाला हळद लावताना नारळ आ9ण पाच मूठभर तांदळाची 8तची समारंभपूव3क ओट� भरल� जात.े

दसु-या +दवशी Dहणजे �ववाहा@या +दवशी अ�भजीत, 'याच े आईवडील आ9ण नातलग जवळ@या देवळात जातात. 8तथे पुजा करतात, tेयाच ेआईवडील आ9ण नातलग 'यांचं Lवागत कर;यासाठ. देवळात जातात. 8तथे गणपती आ9ण व�ण देवतांच े �तीक असलेल� सुपार� आ9ण कलश यांची पूजा केल� जात.े �वIणूLव�प नवरदेवास आपल� ल�मीसारखी क�या �यावयाची अस-यामुळे tेयाच ेआईवडील �थे�माणे अ�भजीतची पूजा करतात. 'यावेळी 'याला नवीन पोषाख अप3ण करतात. tेयाची आई अ�भजीत@या आईच े पाय धुत,े मग अ�भजीतची आई इतर आVतेIट म+हलांची ओट�भरण �वधी करत.े देवळातील �वधी उरक-यानंतर tेया@या घर� जा;यासाठ. अ�भजीतची वरात 8नघत.े वरात वाजतगाजत tेया@या घर� पोहोच-यावर मंडप�वेश�वारावर अ�भजीतची पंचारती ओवाळून सवुा�सनी 'याच ेLवागत करतात. 'याला मंडपात समारंभपूव3क नेऊन चौरंगावर बसवतात, शुभ महूुता3ची यो^य वेळ कळ;याLतव पुरो+हत घ+टकापाSाची योजना करतो. tेयाला बोलाव;यात येतं. दोघेह� य7ासमोर एकमेकांशेजार� बसतात.

तसं पहायला गेलं तर महाराIJाम[ये मुmयतः तीन �कारे �ववाह सोहळे साजरे केले जातात. वेदमंSो@चाराचा समावेश असलेल� वै+दक प[दती, वेदमंS�वर+हत पौरा9णक पzती आ9ण लोणावkया@या धम38नण3य मंडळाने सुच�वलेल� पुनर3�चत वै+दक प�वती. उ@चवणCय लोक प+ह-या पzतीचा अं�गकार करतात, vाDहणेतर

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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18 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

दसु-या आ9ण कुठ-याह� जातीच े लोक 8तस-या पzतीनुसार �ववाह करतात. अ�भजीत आ9ण tेया वै+दक प�वतीने �ववाहब[द होत होत.े

ल^न लाग;या@या सु�वातीला पुरो+हत@या सांग;यानुसार अ�भजीत पुवा3�भमखु उभा राहतो. 'या@यासमोर LविLतक �च�ह रेखां`कत केलेला अंतरपाट धरला जातो. 'या@या पु�यात अंतरपाटा@या दसु-या बाजूला tेया उभी असत.े पुरो+हत मंगलाIटके पठन करतो. शुभ महूुता3चा hण येताच मंगलाIटक पठन बंद होत,े

परुो+हत अंतरपाटा उ'तरेकडे ओढून घेतो, वादक वाजंSी वाजवतात आ9ण आमं�Sत पाहूणे अ�भजीत आ9ण tेयावर अhता टाकतात. अगोदर tेया अ�भजीत@या गkयात वरमाला घालत.े नंतर अ�भजीत tेयाला पुIपहार घालतो, नंतर पु�हा य7ासमोर बस-यावर �वधीनुसार अ�भजीत tेया@या गkयात मंगळसSू बांधतो.

tेयाच े आईवडील क�यादान करतात. आप-या क�येची धम3, अथ3 आ9ण कमा3@या बाबतीत कुठ-याह� �तारणा क� नये असे tेयाचे वडील अ�भजीतला �थे�माणे सांगतात. ‘ना8तचरा�म’ या शZदांनी अ�भजीत �8तसाद देतो. होमा^नी �yवल�त केला जातो. 'यानंतर होम �वधी होतो. अ�भजीत मंSो@चार कर�त असताना tेया होमा^नीला भाता@या ला�या �Sवार अप3ण करत.े ला�यांच ेचौथे आ9ण अं8तम अ[य3दान ती अ�भजीतच ेमंSो@चार थांब-यावर LतZधपणे करत.े नंतर त ेजोडपे प�वS होमा^नी, भमूाता आ9ण देवाvाDहणांना साhी ठेवून अशी शपथ घेतात कi, आयुIया@या अंतापयBत सव3 सुखदःुखांम[ये त े एकमेकांचे साथीदार राहतील. 'यानंतर अि^नपRरणयन आ9ण अ{मारोहण �वधी पार पडतात. य7वेद�@या सभोवती सात पाटांवर �'येकi एक अशा तांदळा@या लहान लहान सात राशी मांडले-या असतात. �'येक राशीवर सुपार� ठेवलेल� असत.े होमा^नी अ�यदानाने �yवल�त केला जातो. पुरो+हता@या सतत मंSो@चार चालू असताना दोघेह� य7वेद�भोवती �दwhणा घालतात. तसे करताना �थे�माणे अ�भजीत tेयाचा हात ध�न पुढे चालतो. tेया तांदळा@या �'येक राशीवर �थम उजवे पाऊल ठेवत ेआ9ण 'याच �कारे सव3 राशींवर पाऊल ठेवून चालत.े �'येक पदाचा LवतंS मंS उ@चारला जातो. 'यानंतर त े दोघे होमा^नीस तूप आ9ण

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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19 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

ला�या अप3ण करतात. सVतपद�नंतर दोघे अचल अशा xुवता-याच ेदश3न घेऊन हात जोडून नमLकार करतात. �ववाहसंवधनाच े आज�म �चरंतन पालन कर;या@य �8त7ेच ेत े�8तक असत.े

�ववाह सपं�न झा-यानंतर अ�भजीत@या घर� tेयाचा गृह�वेश होतो. 'यानंतर गहृ�वेश, ल�मीपूजन, देवको'थापन आ9ण मंडापो�वासन �या �वधींनंतर 'यांचा �ववाह ख-या अथा3ने संप�न होतो. tेया@या आयुIयातला तो खूप मोठा आ9ण खास +दवस असतो. दो�ह� घरातील मंडळी खूप खूश असत.े काह� +दवसांनी सव3 नातलग आपाप-या घर� जातात.

देवदश3न क�न अ�भजीत आ9ण tेया अजu+टनाला जा;याची तयार� करतात. अ�भजीतची आई tेयाला अ�भजीतची काळजी �यायला सांगत.े तसेच tेया प+ह-यांदाच भारताबाहेर जात अस-याने 'या अ�भजीतलादेखील tेयाची काळजी �यायला सांगतात. tेयाच े आ9ण अ�भजीतच े आईवडील 'या दोघांना 8नरोप दे;यासाठ. �वमानतळावर जातात. डोळयासमोर असणार� आपल� मुलगी आप-यापासून सातासमुoापार जातये, मावशीकड ेजर� जायचं Dहटलं तर� रडणार� ती, भारताबाहेर 8तला करमेल का? अ�भजीत आ9ण ती, दोघांना �यविLथत संसार करता येईल का? जवळचं कोणीह� 8तथे नसताना ते दोघे कसे राहतील? आजार� पड-यावर काय करतील? असे अनेक �{न tेया@या आई@या मनात येत असतात. मुल�@या ल^नात 'या िजत]या रड-या नाह�त तवे�या 'या 8तला �वमानतळावर सोडायला जाताना रडत असतात. tेया आ9ण अ�भजीत 'यानंा धीर देतात.

अ�भजीत, ‘‘आई, तुDह� अशा रडणार असाल तर आमची जायची इ@छा तर� होईल का?’’

tेया, ‘‘आई, काळजी नको ग ं क�स, अभीच े काह� �मS आहेत 8तथे. काह� अडचण असेल तर सांगू ना तसं आDह�. तू रडणं बंद कर अगोदर, नाह�तर मला पण रडायला येईल.’’

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20 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

tेयाच े वडील, ‘‘अगं, लेक 8त@या संसाराला चालल� आहे. असं रडत पाठवणार आहेस का तू 8तला?’’ इत]यात ‘आ`�का माग� अजu+टनाला जाणा-या �वमाना@या �वाशांनी 'यां@या 8तकiट आ9ण सामाना@या तपासणीसाठ. 9खडकi bमांक 12

वर याव’े’ अशी घोषणा होत.े

तर�ह� tेयाची आई ऐकेना, ती 'या दोघांना लहानसहान गोIट� समजावून सांगत होती. tेया सु[दा 8त@या आईकड े टक लावून पाहत होती. ती भावना�ववश होऊन बोलत न�हती. शांत, िLथर आवाजात बोलत होती

tेयाला देखील काह� कळेनास ंझाल ंहोतं. 8तला वाटू लागलं होतं कi, ती पु�हा एकदा लहान झाल� आहे आ9ण 8तची आई गाणे गुणगुणतेय. 8तचा Lवर असा लागला कi 8तला जोरात सांगाव,ं ‘‘आई, मला कायम तुUयाजवळच रहायचं आहे. तुUया कुशीम[ये डोकं ठेवून शांत झोपायचं आहे. मी कुठेच नाह� जात. तुUयाबरोबर परत घर� येत.े’’

‘आ`�का माग� अजu+टनाला जाणा-या...’ घोषणा झा-यावर tेया एकदम दचकत.े आता 'या दोघांना खरंच 8नघायला हवं होतं. अ�भजीत आ9ण tेया चौघां@या पाया पडतात. दोघेह� लगबगीने 8नघतात. tेया �स]युRरट� चकेमधून आत जाताना शेवटपयBत हात हलवत होती. 8त@या डोkयांसमोर पा;याचा एक पातळ पडदा तयार झाला. 'या पड�यातून +दसणार� 8त@या आईची आकृती हळूहळू धूसर होत गेल�.

�वमानाम[ये बस-यानंतर tेया जरा उदास असत.े अ�भजीत@या ते लगेच लhात येतं.

‘‘काय ग?ं काय झाल?ं’’

‘‘मा+हत नाह� रे... कसंतर�च वाटतंय... प+ह-यांदाच �वमानाने �वास करतये ना! आईचा चहेरा डोkयासमोर येतोय नुसता... 8तला करमनार नाह� माUया�शवाय... एक वेळ घरात बाबा नसले तर� काह� वाटत नाह�, पण मी

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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21 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

नसले तर आई लगेच शोधाशोध सु� करत.े.. त�ेहा दोन �मनीटसु[दा इकड े8तकड ेझाल� तर� जीव कसा खालवर �हायचा 8तचा, आ9ण आता तर कायमची 8त@यापासून लांब चाललेय...’’

‘‘शोना माझी, अगं वेड,े आपण एक�वसा�या शतकाम[ये आहोत. तुला तुUया आईला रोज पहायचंय का?’’

‘‘हो...’’

‘‘बरं, 8तथे आप-या घर� इंटरनेट असेल. जे�हा तुला आईसोबत बोलावसं वाटल ंतर Lकाईप ऑन कर, तू आईसोबत ि�हडीओ चॅट क� ‘शकशील आ9ण आईलास[ुदा इंटरनेट ऑन करता येतोय.’’

‘‘हो रे...’’

‘‘असंह� तुला मा+हतच आहे, अचानक काम 8नघालं तर मला लगेचच महासागरात जावं लागतं. संशोधन करायला कधी कधी दोन-चार म+हनेसु[दा लागतात.’’

‘‘(खोडकरपणे) ए हॅलो... हे सांगायला तू थोडा उशीर केलास... जर तू हे मला चार +दवस आधी सां�गतलं असतंस तर कदा�चत मी तुUयाशी ल^नंच केलं नसतं... मी एकट� 8तथे काय करणार? �वमान चालू होतयं हा... आ'ताच काय त ेसांग... नाह�तर लगेच उतरेन मी...’’ अ�भजीतला हसू येतं.

‘‘Nडयर, मला पुढचं आयुIय तुUयासोबतच जगायचंय. फ]त काह� +दवस मला असं बाहेर काम कराव ंलागणार आहे. आम@या संLथे@या मुmय काया3लयामधले जॉड3न सर मला 'यां@यासोबत ड�ेमाक3 लाच काम करायला सांगताहेत. फ]त अजu+टनाचं काम होऊ दे... मग बघ, आप-याला वेळच वेळ �मळेल... नंतर मी आप-या आईबाबांना देखील डे�माक3 लाच बोलावून घेईन...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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22 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘ओके... ओके... +ठक आहे... आय हॅव नो ऑZजे]शन... सगळं खरं खरं सां�गतलंस Dहणून वाचलास तू... नाह�तर तुझी �वकेटच पडल� असती आता...’’ tेया अ�भजीतला कोपरा मा�न Dहणत.े

थो�या वेळात �वमान उडू लागतं. tेया 9खडकiमधून खाल� ज�मनीकड े पाहत असत.े आ`�के@या +दशेने जात असताना �वमान पा;या@या व�न जात असतं,

दरुपयBत 8तला फ]त पाणीच पाणी +दसतं. कुठे जमीन नाह� ना कोणता जहाज नाह�, Lव@छ आ9ण 8नळसर पाणीच 8तला +दसत असतं. ती अ�भजीतकड ेबघते त�ेहा तो काह� कागदपSे तपासत असतो.

‘‘एक �वचा�.’’

‘‘हं... हो... �वचार...’’ अ�भजीत 'या कागदांम[ये डोकं खूपसनूच अवघडत उ'तर देतो.

‘‘समoुाम[ये खूप शांत शांत वाटत असेल ना तुला?’’

‘‘हो.. हो..’’ अ�भजीतचा पु�हा तोच Lवर असतो.

‘‘मी बोलतये ना तुUयाशी! हे पेपर तू ऑ`फसम[ये गे-यावरसु[दा वाचू शकतोस ना?’’

आप-या हातातील कागदपSे बाजूला ठेवत अ�भजीत 8त@याकड े बघतो, ‘‘बोल,

काय �वचारतसे?’’

‘‘मला तुझ े समoुातले अनुभव सांग ना! अजu+टनाला जाईपयBत तवेढाच टाईमपास होईल.’’

‘‘टाईमपास? +ठक आहे, टाईमपास तर टाईमपास. ऐक... आप-या प�ृवीचा खूप मोठा भाग समुoाने �यापला आहे.’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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23 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘हॅलो... लहान नाह�ये मी... मा+हत नसलेलं काह� सांग...’’

‘‘बरं... मी न]कi काय काम करतो हे सांगतो. महासागराम[ये पाणी आ9ण वायू यां@यात उभी व आडवी हालचाल व एकमेकांसोबत �मtण`bया दूरपयBत होत असत.े याम[ये बहुतके +ठकाण@या पा;यात संप3क येत असतो. सांगायचं झालं तर, +हदं� महासागरात वादळाने 8नमा3ण झालेल� लाट पॅ�स`फक ओलांडून कॅ�लफो8न3या@या `कना-यापयBत जात,े तर अंटाि]ट3कचे थंड, जड पाणी �वषवुव'ृता@या ब-याच उ'तरेस आढळत.े अशा �कारे पा;याचा १ कण सुमारे ५,००० वषाBम[ये सव3 महासागरांतून `फdन येत असतो, असे ग9णतीय अनुमान सांगतं. यामुळे संपूण3 महासागर हा एकच जलाशय आहे असे समजून आDहाला 'याच ेसंशोधन करावे लागत.े काह� अ�यास �योगशाळेत करता येऊ शकतात. संपणू3 महासागराचा अ�यास व संशोधन कर;यासाठ. खास जहाजांतून आDहाला �'यh महासागरात जावं लागतं आ9ण श]य तवे�या खोलवर जाऊन �'यh 8नर�hणे करावी लागतात.’’

‘‘बाप रे... मग तू जहाजाने जातोस? लाLट टाईम मला Dहणाला होतास पाणबुडीतून जातोस Dहणून...’’

‘‘आपण कुठे आ9ण काय संशोधन करतोय यावर हे सगळं अवलंबून असतं... समज मला पा;या@या वर@या भागात काम करायचं असेल तर आDह� जहाजाने जातो आ9ण पा;याखाल� जाLत खोलवर जायचं असेल तर पाणबुडीचा वापर करतो. मी ह-ल� पाणबुडीने जाऊ लागलोय, अगोदर मी जहाजामधून जायचो. आम@या जहाजांवर संशोधन करण अवघड व खचा3च ेअसतं Dहणून आDहाला मो+हमेची काळजीपूव3क आखणी करावी लागत.े जहाज, उपकरणे, साधनसाम�ी व वेळ या गोIट� यो^य �कारे 8नवडा�या लागतात. 'यामुळे कमी वेळात जाLत काम होऊ शकतं. अशा जहाजांवर आDहा संशोधकांना व तंS7ांना खवळले-या समoुात जाLत वेळपयBत काम करावं लागतं. 'यासाठ. आDहा सवाBना खास ��शhण �यावं लागल.ं पा;याची खोल�, �व�शIट गुण, तापमान, चंुबक'व इ'याद�ंच े मापन करणे, पाणी, जीव व गाळाच े नमुने घेणे व 'यांच े �व{लेषण करणे, जीव ओळखणे व 'यांची �चSे काढणे, यंS आ9ण उपकरणे द�ुLत करणे

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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24 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

नाह�तर वेळ पड-यास नवीन बन�वणे अशी असंmय कामे आDहाला करावी लागतात. 'यामुळे आDहाला जीव�व7ान, भौ8तकi, रसायनशाLS, भ�ूव7ान,

इले]Jॉनीय व साधी उपकरणे, �चSकला या सगkया �वषयांची पुरेशी मा+हती क�न �यावी लागत.े सलगपणे मा+हती न�दणार� उपकरणे वापdन �मळणार� मा+हती आकड ेवा �च�हां@या �पांत कागदावर न�दवावे लागतात. अशा व इतर �कारे �मळाले-या मा+हतीच े �व{लेषण करावे लागत.े मग तो अहवाल आDह� जॉड3न सरांकड ेदेतो...’’

‘‘बLस... बLस... बLस... कसं जमतं तुला हे सगळं? नुसता �वचार क�नच माझं डोकं दखुायला लागलंय...’’

‘‘थांब, मी तुला माझ े जहाजावरच े आ9ण पा;याखालच े फोटो दाखवतो.’’ असं Dहणत अ�भजीत 'याचा लॅपटॉप उघडतो, फोटो असलेलं फो-डर उघडून लॅपटॉप tेयाकड े देतो. मग कोणता फोटो कुठे काढला, कसा काढला, जहाजावरच ेफोटो तो 8तला दाखवतो. tेयादेखील आवडीने त ेसव3 फोटो पाहत.े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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25 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ३

एक एक फोटो बघत असताना �वमान आ`�केला कधी उतरले हे दोघांनाह� कळलं नाह�. �वमानातील काह� �वासी उतरतात आ9ण काह� नवे �वासी �वमानाम[ये येतात. tेयाला हे सव3काह� नवीन असतं. उ'सुकता, आ{चय3 आ9ण आनंद असे भाव अ�भजीतला 8त@या चहे-यावर LपIटपणे +दसत असतात. एकटक तो 8त@याकड े पाहतच असतो, 8त@या डोkयांची होणार� सततची हालचाल, बाहेर@या देशातील लोकांकड ेम[येच एकटक पाहत राहणं अ�भजीतला खूप गोड वाटतं. न राहवून तो 8तला �वचारतो, ‘‘Nडयर, खुश आहेस ना!’’

tेया 8त@याच �व{वात हरवलेल� असत.े अ�भजीत काय बोलतोय याकड े 8तचं काह� लh नसतं. अ�भजीत हळूच 8तचा हात Lवतः@या हातात घेतो आ9ण 8तचा हात कुरवळत बसतो. 8तला Lवतः@या �व{वात रमलेलं पाहून अ�भजीत थोडा भतूकाळात जातो. 'याला दोघांचं लहानपण आठवतं, दोघे एकS खेळत,

मLती करत, एकमेकांन �चडवत पण दोघांनी कधी क-पनाह� केल� न�हती कi त ेएकमेकांसोबत �ववाहा@या बंधनात अडकतील. कामात `कतीह� �यLत असला तर� अ�भजीतचं 8त@यावरचं �ेम हे सतत वाढतच होतं. आयुIयात काह�तर� वेगळं क�न दाखवायचं या सोबतच tेयासोबत ल^न करायचं हेदेखील 'याचं LवVनंच होतं. शाळेनंतर अ�भजीतने आपल� वाट 8नवडल� होती, 'याने महासागरातील जीवांवर संशोधन करायचं ठरवलं असतं. tेया बी.कॉम. करत,े

दोघेह� वेगवेगkया hेSात, अ�भजीत@या कामाचं Lव�प पुढे काय असेल हे tेयाला चांगलंच ठाऊक होतं, 'याने 'या@या hेSात पुढे जाव ंअशी 8तची देखील मनोमन इ@छा होती. Dहणून अ�भजीतने हा �वषय 8नवड-यापासून ती 'याला �'येक गोIट�म[ये मदत करायची. 'या@या अ�यासbमाची �याVती मोठ. अस-याने ती कधीह� 'या@या अ�यासा@या म[ये आल� नाह�, उलट जे�हा तो एखादं �ोजे]ट अथवा काम करायला असमथ3 असायचा, ग�धळलेला असायचा त�ेहा tेयाच 'याचं मनोबल उंचवायची. tेयाची ह�च गोIट 8त@या आ9ण अ�भजीत@या आईवडीलांना आवडल� होती, Dहणून त े दोघां@याह� बाबतीत 8नि{चंत होत.े अ�भजीत आ9ण tेयाने ल^नाचा 8नण3य घेतला यात 'यांना काह�

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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26 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

आ{चय3 वाटले नाह�. दोघेह� एकमेकांना समजून घेतात यापेhा 'यांना जाLत काह� नको होतं. अ�भजीतच े वडील tेया@या वडीलांना नेहमी Dहणत, ‘आपला काळ तो वेगळा होता. आपले आईवडील ठरवायच े तसं �हायचं, 8नवड आ9ण शेवटचा शZदसु[दा 'यांचाच असायचा. पण आता काळ बदलला आहे. मुलांना 'यां@या कत3�याची आ9ण जबाबदार�ची जाणीव लवकरच होऊ लागल� आहे. दोघांनी �वचार क�न 8नण3य घेतला आहे. यात आप-यासारmयांनी कोणताह� अहंकार न ठेवता 'यां@या 8नण3याचं Lवागत करायला हव.ं मुळात आप-याला आप-या संLकारांवर �व{वास असायला हवा. आपल� मुलं समजुतदार आहेत,

आप-यापेhा 'यांची LवVने मोठ. आहेत तशा 'यां@या समLयासु[दा मो�या आहेत. आपण आप-या आई-वडीलांचा 8नण3य कायम शेवटचा मानायचो. आज आपल� मुल ं Lवतःची वेगळी ओळख 8नमा3ण करायचा �य'न करत आहेत,

इत]या कमी वयाम[ये त े पुढ@या वीस-पंचवीस वषाBचं 8नयोजन करत आहेत,

आप-याला खरंच आप-या मुलांचं कौतुक असायला हव.ं कुब�यांचा आधार घे;यापेhा आपल� मुलं आज Lवतः@या पायावर उभी आहेत.’

‘‘ए]स]युज मी सर...’’ हवाई संुदर� अ�भजीतला उठवत.े

अ�भजीत डोळे उघडत, ‘‘यस?’’

‘‘सर, आता काह� hणांत आपण अजu+टना येथे पोहोचणार आहोत.’’

अ�भजीत tेयाकड े बघतो. ती देखील झोपलेल� असत.े हवाई संुदर� 8तला उठवायला जात े त�ेहा अ�भजीत 8तला अडवतो आ9ण ‘मी उठवेन 8तला’ असं इशा-याने सांगतो. ती हवाई संुदर� तथूेन 8नघून जात.े अ�भजीत tेयाकडे एकटक पाहत असतो. झोपेत ती एका 8नरागस बाळा�माणे +दसत होती. नुकतंच ज�माला आलेलं बाळ, yयाला बाहेर@या जगाची काह�च क-पना नाह�, �ाणी-पhी काह�, काह�च माह�त नाह�, पणू3पणे अ7ानी, नुक'याच उमलले-या कळीसारखी, �वमानाम[ये पु�हा एकदा सुचना केल� जात.े आवाजाने tेया जागी होत.े अ�भजीत 8त@याकड े बघून िLमतहाLय करतो आ9ण हळूच 8तच े गाल

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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27 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

खेचत Dहणतो, ‘‘चला मॅडम, घर� जाऊन झोप काढा, आता आप-याला उतरायचंय.’

अज�+टना येथील �वमानतळावर �वमान उतरतं. दोघे �वमानतळाबाहेर येतात. अ�भजीत टॅ]सी@या शोधात असतो तचे tेयाची नजर एका माणसाकड ेजात.े अ�भजीतकड े बघून ती �वचारत,े “ए अभी, ती माणसं आप-याला �यायला आल�त का?’’

अ�भजीत 8तथे बघतो तर, िLटफन आ9ण अ-बट3 8तथे उभे असतात. 'यां@या हातात ‘वेलकम �युल� मॅर�ड कपल �मLटर अ�भजीत अॅ�ड �मसेस tेया’ असं मो�या अhरात �ल+हलेला बोड3 होता. 'या दोघांना पाहून अ�भजीतला आनंदच होतो. धावतच तो 'या दोघांना भेटतो, 8तघेह� एकमेकांना �मठ.त घेतात. tेयादेखील 8तथे येत.े

अ�भजीत, ‘‘�हॉट अॅन अम�9झग सर�ाईझ...!! तुDह� दोघे इथे कसे?’’

िLटफन, ‘‘असचं, Dहटलं तुला सर�ाईज �याव.ं हाय व+हनी, कशा आहात?’’

tेया हसतच Dहणत,े ‘‘हाय... थोडी ग�धळलेल� आहे...’’

अ�भजीत, ‘‘tेया, हा माझा सहकार� िLटफन आ9ण हा माझा अ�सLटंट अ-बट3. िLटफन आ9ण मी, आDह� एकSच �ोजे]ट करायचो, अ-बट3 नुकताच �जू झालाय...’’

अ-बट3, ‘‘अ�भजीत सरांनी सु�ी घेतल� Dहणून जॉड3न सरांनी आDहा दोघांना इथे पाठवल.ं Dहणाले अ�भजीत येईपयBत काह� +दवस तुDह� मा+हती घेऊन ठेवा. अ�भजीत आ-यावर 'याला मला Rरपोट3 करायला सांगा आ9ण मग लगेच कामाला लागा...’’

िLटफन, ‘‘सगळं इथेच बोलणार आहेस का? �वास क�न आलेत त,े अगोदर घर� चल...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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28 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ-बट3 आ9ण िLटफन अ�भजीत@या हातून सामान घेतात.

अ�भजीत, ‘‘मग तुमची राह;याची �यवLथा कशी?’’

अ-बट3, ‘‘जॉड3न सरांनी ‘िLbVस इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi’ ला अगोदर तशी सचुना केल� होती. काह�तर� मोठ. गोIट होणार आहे वाटतं. अमेRरका, चीन,

र�शया या देशांमधून आ9ण युनेLको संLथेमधूनसु[दा काह� ऑ`फसस3 आले होत.े बहुतेक आप-याला चार त ेपाच म+हने इथे रहावं लागणार आहे. 'यासाठ. ‘िLbVस इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi’ कडून आपल� राह;याची �यवLथा कर;यात आल� आहे. इि�LटWयूट@या जवळच आप-या वसाहती आहेत.’’

बोलता बोलता चौघेह� गाडीम[ये बसतात. गाडी िLbVस इि�LटWयूट@या संशोधन काया3यलाजवळील वसाहतीसमोर थांबत.े िLटफनची प'नी रोडा आ9ण अ-बट3च ेआईवडील 'यां@या Lवागतासाठ. उभेच असतात. गाडीतून उतर-यानंतर रोडा tेयाला अ�लगंन देत.े अ�भजीत आ9ण tेया दोघे अ-बट3@या आईवडीलां@या पाया पडतात.

‘‘अरे बेटा, हे कशासाठ.?’’ अ-बट3ची आई Dहणत.े

‘‘आम@याकड े प[दत आहे. मो�या माणसां@या पायाला हात लावून 'यांचा आ�शवा3द �यायचा.’’ क�र भारतीय अस-याच े भाव चेह-यावर आणत tेया अ-बट3@या आईला सांगत.े गाडीतून सामान बाहेर काढ-यानंतर सगळे अ�भजीत@या घर� जातात. सLंथेकडून अ�भजीतला प+ह-या मज-यावरची खोल� दे;यात येत.े 8तथ-या 9खडकiमधून बाहेर पा+हलं तर समोर ‘िLbVस इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi’ आ9ण 'या@या पुढे दरुपयBत पसरलेला �वशाल समुo +दसतो. संशोधन कर;यासाठ. लागणा-या सगkया गोIट� अ-बट3ने अगोदर घरात आणले-या असतात. रोडा आ9ण tेया प+ह-या भेट�तच चांग-या मै�Sणी होतात. आंघोळ क�न tेया Lवयंपाकघरात जात े तर रोडा 8तथे जेवण तयार करत असत.े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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29 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘अगं रोडा, तू कशाला Sास क�न घेतसे? समोर@या हॉलम[ये जा. सगkयांसाठ. मी बनवत ेकाह�तर�.’’

‘‘यात Sास कसला? आ'ताच तर तू �वास क�न आल�स. जरा आराम करायला नको का? तू बस, मी आणत े तुDहा सगkयांसाठ. ना{ता, मगाशी सगळं कापून ठेवलं होतं, फ]त �शजवायचं बाकi होतं. कॉन3 Lपेशल Nडश आहे. तुला न]कi आवडले.’’

tेया 8तचं काह� ऐकत नाह�. ती देखील Lवयंपाकघरात थांबत.े दोघी एकमेकiंशी गVपागोIट� करत ना{ता बनवतात आ9ण सगळे एकS ना{ता करतात. सगळे आपाप-या घर� गे-यानंतर अ�भजीत भारताम[ये tेया@या आ9ण 'या@या आईवडीलांना �ीजीने आपण �यविLथत पोहोचलो, �वास �यविLथत झाला असं सांगतो. tेयादेखील काह� वळे आप-या आईवडील आ9ण सासु सास-यासंोबत बोलत.े फोन ठेव-यानंतर अ�भजीत tेयाकड े एकटक बघतो, 8तचा हात घ� पकडून 8तला आप-या +दशेने खेचत तो 8त@या ओठांचे चंुबन घेतो. tेया लगेचच 'याला �8तसाद देत.े ल^नानंतर 'या दोघांना आता काय तो एकांत �मळाला असतो.एकमेकांवर �ेमाचा वषा3व करत �णय`bडा क�न दोघेह� थोडा वेळ �वtांती करतात. राSी सगळे बाहेर `फरायला जातात.नायगारहून उंच व �ंद ई^वास ूधबधबा व पँपास अशी +ठकाणे पाहून tेया LतZधच होत.े राSीची ती रोषणाई 8तला खूप आवडू लागत.े रोडा, िLटफन, अ-बट3 आ9ण 'याच ेआईवडील यां@या सहवासात 8तला परकेपणाची जरादेखील जाणीव होत नाह�.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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30 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ४ सकाळी जरा लवकरच उठून अ�भजीत िLbVस इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi@या �योगशाळेत जातो. ह� कॅ�लफो8न3या येथील महासागरावर संशोधन करणार� एक संLथा असत.े अजu+टना येथे 'यांची एक शाखा असत.े 8तथ-या अ�धका-यासंोबत चचा3 क�न अ�भजीत लगेचच कामाला लागतो. त'पवुC 'यां@या संLथे@या ि�हडीओ कॉ�फर�स�वारे जॉड3न सरांसोबत 'याची चचा3 होत.े

‘‘हाय जॉड3न सर...’’

‘‘नाईस टू सी यू अ�भजीत... बरं झालं सु�य्ा संपवून तू लगेचच �जू झालास... ल^नानंतर आता कसं वाटतंय?’’

‘‘खूप छान वाटतंय सर...’’

‘‘हं.... सु�वातीला �'येकाला असंच वाटतं... एनीव,े भारतामधलं काम झालं का?’’

‘‘हो सर, मी पणजी इथ-या ‘ नॅशनल इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi’ म[ये गेलो होतो. आपण सां�गत-या�माणे ह� संLथा भारताभोवताल@या समुoां�वषयी व +हदं� महासागरा�वषयी मा+हती �मळ�वणे, देशा@या फाय�यासाठ. समुoाचा उपयोग क�न घे;याची hमता �मळ�वणे, सागर� उपकरणयोजनेत Lवंयपूण3ता �मळ�वणे आ9ण आकडवेार� व मा+हतीच ेसंकलन करणे व ती इतरांना पुर�वणे,

अशी काय3 करत े यासाठ. संLथेच े आठ �वभाग काय3 करतात. महासागर�व7ाना@या भौ8तकiय, रासाय8नक, जैव व भूवै7ा8नक शाखा तसेच सागर� उपकरणयोजना, सागर� �दषूण, महासागर अ�भयां�Sकi योजना व आकडवेार� हे �वभाग मह''वपूण3 काय3 करतात. ‘आर. �ह�. गवेषणी’ व

‘सागरक�या’ ह� सव3 मोसमांत संचार क� शकणार� जहाजे संLथेजवळ आहेत. अ'याधु8नक �योगशळा, उपकरणे व 8नवास यांनी ती सुसyज आहेत. यां@या सफर�ंमळेु अरबी समुo, बंगालचा उपसागर आ9ण म[य +हदं� महासागर

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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31 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

यां@या�वषयी@या मा+हतीत मह''वपूण3 भर पडत असत.े या संLथेने युनेLको, आय ओ सी, इं+ट�ेटेड ^लोबल ओशन Lटेशन �सिLटम (आय जी ओ एस एस), इंटरनॅशनल फाउंडशेन फॉर साय�स (Lटॉकहोम), जाग8तक आरो^य संघटना इ. आंतरराIJ�य संLथा-संघटनांशी सहकाय3 केले आहे. �शवाय युनायटेड नेश�स ए��हायर�म�ट �ो�ॅम (यू एन ई पी), इंडो-सोि�हएट मॉ�सून एि]LपRरम�ट (आय एस एस ई ए]स), मॉ�सनू एि]LपRरम�ट(एम ओ एन ई ए]स) इ. आंतरराIJ�य मो+हमांत संLथेने भाग घेतला आहे.’’

‘‘वेल डन, बर�च मा+हती घेतल�स. बरं, 8तथले हेड ओशन Rरसच3र यांनी तुला आप-या कामी येईल अशी काह� मा+हती +दल� का?’’

‘‘हो सर, 'यांनी 'यांचा पुण3 Rरपोट3 मला नकाशा आ9ण इतर आकृ'यांसह�त दाखवला. 'यांचा Rरपोट3 पा+ह-यापासून माUया मनात अनेक �{न उपिLथत झाले आहे.’’

‘‘काय Rरपोट3 +दला 'यांनी...?’’

‘‘yया�कारे अंटाि]ट3का खंडाजवळ असले-या आप-या Lवयंचल�त जहाजां�वारे महासागरातील yया हालचाल� आप-या 8नदश3नास आ-या हो'या अगद� तशाच हालचाल� 'यांना पॅ�स`फक महासागराम[ये आढळून आ-या. ऑLJे�लया आ9ण �यु9झलंडची सीमा न ओलांडणारे काह� जीव 'यांना बंगाल@या उपसागराजवळ आढळून आले. �वशेष Dहणजे अटलां+टक महासागरातील पा;याच ेकाह� गुणसSू 'यांना अंदमानजवळील �योगशाळेत आढळून आले. +हदं� महासागराम[ये देखील समुo� जीव Lथलांतर करत अस-याचा Rरपोट3 'यां@याकड ेहोता. हे सव3 न]कi कोण'या गोIट�च ेसंकेत देत आहेत याचा मला काह� अंदाज येत नाह�ये सर...’’

‘‘खरंच, आता मलादेखील �{न पडू लागले आहेत. गे-या 200 वषाBम[ये इत]या जलदगतीने अशी कोणतीह� घटना घड-याच े पुरावे नाह�त. मुळात अशा घटना घड-याच नाह� पा+हजेत, खरंतर ह� धो]याची सुचना आहे. युनेLकोने +दले-या

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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32 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अहवालानुसार आपण �वचार केला तर ‘संपणू3 प�ृवी खूप मो�या संकटात सापडणार आहे’ ह� गोIट नाह� Dहटलं तर� खर� आहे.’’

‘‘सर, मला वाटतं तुDह� लवकरात लवकर आम@यासाठ. अंटाि]ट3का खंडाजवळ जा;याची �यवLथा करावी. जोपयBत मला पडले-या �{नांची उ'तरं मी �मळवत नाह�, तोपयBत मलादेखील LवLथ बसता येणार नाह�. आता वाटतं, उगाचच मी ल^नासाठ. इतकi मोठ. सु�ी घेतल�.’’

‘‘स�ुीचं राहू दे. तू न�हतास त�ेहा देखील आपलं काम सुरळीतपणे चालूच होतं. मला फ]त हे पहायचं होतं, तू अंटाि]ट3का खंडावर जा;यास मान�सक�IWया तयार आहेस का?’’

‘‘हो सर, फ]त आपण हुकूम �यावा.’’

‘‘+ठक आहे, लवकरच मी तुला याबाबत सुचना करतो. तुला संशोधन कर;यासाठ. आणखी कोणकोण'या गोIट� लागणार आहेत?’’

‘‘सर, मला माझी पाणबुडी आ9ण माझी संपूण3 ट�म हवी आहे.’’

‘‘आर यू शुअर?’’

‘‘हो सर, आमचं Wयु8नगं एकमेकांशी चांगलं असलं तर� माUया ट�ममधील सव3जण 'या +ठकाणी जा;यास उ'सुक आहेत, �'येकाने 8तथ-या हालचाल�ंवर बहूतके सव3 �कारची मा+हती घेतल� आहे. माझी ट�म सोबत असेल तर आप-याला एकदम परफे]ट RरपोW3स �मळतील.’’

‘‘ओके मी आजच तुUया ट�मला अजu+टना@या +दशेने जायला सांगतो. अमेRरकi सै�याशी चचा3 क�न मी लवकरच तुला पुढ�ल मो+हमेबeल सांगतो. तोपयBत �योगशाळेतील आप-या सव3 टाग�Wसच ेRरपोट3 तयार क�न ठेव.’’

‘‘ओके सर, थ�]स.’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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33 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

ि�हडीओ कॉ�फर�स आपोआप बंद होतो. अ�भजीत कॉ�फर�स �ममधून �योगशाळे@या +दशेने जातो. अ-बट3 आ9ण िLटफन �योगशाळेम[ये समoुातील पा;याच े �मtण काह� �व�शIट o�यांम[ये करत होत.े के�मक-स �8तबंधक आवरण घालून अ�भजीत देखील आतम[ये जातो. िLटफन करत असलेलं �योग पाहून तो �वचारतो,

‘‘काह� �ोगेस झाल� का?’’

िLटफन, ‘‘मला �{न पडलाय, +हदं� महासागरात-या पा;यावर Rरसच3 करत असताना मला 'यात अटलां+टक महासागरातील िजवाणू +दसताहेत.’’

अ-बट3, ‘‘खूप ग�धळ आहे सर, एक वेळ असं वाटतं, 8त�ह� महासागरांमधील पाणी एकS क�न नंतर त ेवेगवेगkया पRरhण नkयांम[ये टाक;यात आल.ं’’

अ�भजीत, ‘‘माझं डोकंसु[दा काह�च काम करत नाह�ये, जॉड3न सरांसोबत बोलणं झाल.ं लवकरच आप-याला अंटाि]ट3कावर जावं लागणार आहे.’’

िLटफन-अ-बट3 एकSच, ‘‘काय?’’

अ�भजीत, ‘‘हो, जॉड3न सरांसोबत माझं बोलणं झाल ंआहे. आप-यासाठ. आनंदाची गोIट Dहणजे आपल�च ट�म 8तथे जाणार आहे. सर आजच आप-या ट�मला इथे पाठवणार अस-याचं सां�गतल.ं’’

िLटफन, ‘‘त ेसगळं +ठक आहे, पण अचानक अंटाि]ट3का?’’

अ�भजीत, ‘‘हो, का? काह� �ॉZलेम आहे का?’’

िLटफन, ‘‘�ॉZलेम Dहणजे? �ॉZलेमच �ॉZलेम आहे. जॉड3न सरांनी तुला पूण3 मा+हती +दल� नाह� वाटतं.’’

अ�भजीत, ‘‘कसल� मा+हती?’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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34 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

िLटफन, ‘‘तू ल^नासाठ. सु�ी घेतल�स 'या@या काह� +दवसांनी अंटाि]ट3काम[ये खूप मोठं वादळ आल.ं 8तथे असलेल� िजतकi क� oं होती, सव3 उ�ववLत झाल�त. 8तथ-या �ा;यांनी तर नॅशनल िजओ�ाफi कंपनी@या Lवयंचल�त कॅमे-याचे तुकड े तुकड ेक�न टाकले. स[या 8तथल� अवLथा बमु3डा J�गल सारखी झाल� आहे. हरवले-या सै8नकांना शोध;यासाठ. गेले-या तुक�यादेखील परत आ-या नाह�त...’’ अ�भजीत, ‘‘एक �मनीट, इत]या मो�या घटना घड-या आ9ण मला कोणीह� काह�च मा+हती +दल� नाह�?’’

अ-बट3, ‘‘सॉर� सर, म[येच बोलतोय. आDह� तुम@याकडे मा+हती पाठ�वल� होती, जॉड3न सरांनी तुDहाला मा+हती �यायला मनाई केल�. ए�हाना, 'याबाबतची कोणतीह� बातमी 'यांनी तुम@यापयBत पोहोचू +दल� नाह�.’’

िLटफन, ‘‘आDह� तुला अगोदरच सावध करणार होतो, पण जॉड3न सरांच ेआदेश होत े Dहणून आDहाला गVप बसावं लागल.ं.. कालच तुला सांगणार होतो, पण व+हनी सोबत हो'या आ9ण �वास क�न नुकताच आला होतास Dहणून आDह� काह� बोललो नाह�.’’

अ-बट3, ‘‘सर, आता तुDह� जॉड3न सरांसोबत बोलणार आहात का?’’

अ�भजीत, ‘‘नाह�, आता जर मी 'यां@यासोबत बोललो तर 'यांना कळेल कi तुDह� दोघांनी मला हे सव3 सां�गतलं आहे. मी 'यांना आता काह� �वचारत नाह�. बघूया 'यां@या मनात न]कi काय चाललंय... अंटाि]ट3कावर मी आप-या इतर साथीदारांसोबत जातो. तुDह� दोघं इथेच थांबा.’’

िLटफन, ‘‘का? नाह�, आिजबात नाह�. आतापयBत आपण सोबत काम केलंय, यापढेु स[ुदा एकSच करायचं... काह� असो, मी तुUयाबरोबर अंटाि]ट3कावर येतोय...’’

अ-बट3, ‘‘हो... मी सु[दा...’’

अ�भजीत, ‘‘ऐका माझ,ं 8तथे खूप धोका आहे...’’

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35 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

िLटफन, ‘‘धोका आहे तर तू कशाला जातोस? tेया व+हनीचा �वचार नाह� केलास का?’’

अ�भजीत, ‘‘8तचा �वचार करतोय मी, पण या hणाला मला संपूण3 जगाचा �वचार करायचा आहे. तुDहा दोघांना नाह� मा+हत माUया मनात न]कi काय चाललंय... समजा माझा अंदाज बरोबर 8नघाला तर संपूण3 जग मो�या संकटात सापडणार आहे...’’

िLटफन, ‘‘त े तर आDह� समजूनच चाललोय, माग@या आठव�यात अमेRरकi नौसेनेच ेकाह� अ�धकार� इथे आले होत.े 'यांनी आDहाला सुचना +दल� होती कi अंटाि]ट3कावर न]कi कोण'या गोIट� घडत आहेत याबाबत काह� सांगता येत नाह�ये. सॅटेलाईट काह� काम करत नाह�, कोणतहे� जहाज `कंवा पाणबुडी 8तथे पोहोचू शकत नाह�. ह� एक धो]याची सुचना आहे आ9ण कदा�चत यासाठ. तुDहाला 8तथे जावं लागत असेल तर 'याबाबत बाहेर काह� सांगू नका. युनेLको आ9ण संपूण3 जगाने काह� काळासाठ. 8तथ-या भागात जा;यास बंद� घातल� आहे. 'यां@या मत ेअंटाि]ट3का खंडावर 8नमा3ण झालेल� वादळं त'परुती आहेत,

वादळं शांत झा-यावर 'यांनी 8तथे जायला सां�गतलंय. आपण 8तथे जात असू तर आप-याला 8तथल ंकाम अ'यंत गुVतपणे करावं लागणार आहे. या कामात आDह� तुम@यासोबत आहोत.’’

‘‘पRरिLथती खूपच गंभीर आहे.’’ एवढं बोलून अ�भजीत एकाएकi गVप होतो.

थोडा वेळ �वचार करत तो, िLटफन आ9ण अ-बट3 एकमेकांकड ेपाहत असतात. �योगशाळेत इतकi शांतता असत े कi, समoुा@या लाटा LपIटपणे ऐकू येत हो'या. अ�भजीत लगेचच काह�ह� न बोलता कॉ�फर�स �म@या +दशेने जातो. अचानक अ�भजीत 8तथे का गेला हे 'या दोघांनाह� समजलं नाह�. तो न]कi जॉड3न सरांसोबत बोलायला गेला हे 'यांना मा+हत होतं. पण न]कi काय बोलायला गेला हे 'या दोघानंा मा+हत न�हतं. अ�भजीत बाहेर ये;याची वाट पाह;याखेर�ज 'यां@याकड ेदसुरा पया3य न�हता.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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36 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ५

जवळजवळ दोन तासांनंतर अ�भजीत 8तथून बाहेर येतो आ9ण 'या दोघांकडे बघतो.

िLटफन, ‘‘काय झाल?ं’’

अ�भजीत, ‘‘आप-याला लगेचच कामाला लागल ंपा+हज.े अ-बट3, अंटाि]ट3का खंड आ9ण महासागराबाबत आप-या कामी येईल अशी सव3 �कारची मा+हती, नकाश,े

छाया�चSे मला हवी आहेत.’’

अ�भजीत@या बोल;यात उ'Lफूत3ता होती. जणू काह� 'याला सव3 कळलं आहे. संपणू3 मो+हमेची लगाम 'या@याच हातात आहे. अंटाि]ट3कावर जायचं न]कi आहे आ9ण फ]त झालेलं 8नयोजन इतर साथीदारांना सांगायचं आहे. थोड]यात सांगायचं तर अ�भजीत नेहमीसारmया चपळाईने कामाला सु�वात करत होता.

अ-बट3, ‘‘ओकेसर, लगेच कामाला लागतो.’’

अ�भजीत, ‘‘िLटफन, आपल� ट�म ड�ेमाक3 मधून 8नघाल� आहे... उ�यापयBत त ेसगळे इथे पोहोचतील... अमेRरकi नौसेनेतील अ�धका-यासंोबत लगेचच चचा3 कर आ9ण पRरिLथती न]कi काय आहे याची आहे 8ततकi मा+हती मला �मळवून दे...’’

िLटफन, ‘‘बरं, आ9ण हे लॅबमधलं काम?’’

अ�भजीत, ‘‘त े आप-यासाठ. काह� मह''वाचं नाह�... इथ-या कम3चा-यानंा ले]चर �मची Lव@छता करायला सांग... उ�या आप-याला 8तथेच बसायचं आहे... तू आ'ताच 8नघू शकतोस... जाताना tेयाला सागं, आज मला घर� यायला उशीर होईल आ9ण कुणाला तर� सांगून इथे कॉफiचं यंS बसव...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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37 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

िLटफन लगेच कामाला लागतो. अ�भजीत एकटाच �योगशाळेम[ये काम करत असतो. सॅटेलाईट�वारे तो महासागरातील लहर�ंचा अंदाज घेतो. कागदावर प�ृवीवर�ल आकृ'या काढू लागतो. �योगशाळेम[ये असलेल� पुLतके उघडून 'यातील शाLSीय अंदाज �लहून घेतो. ग9णताची आकडमेोड करत `कतीतर� पानं तो नुसती फाडून फेकून देतो. िLटफनने लगेचच कॉफiची �यवLथा केल� अस-याने अ�भजीत +दवसभर बारा-चौदा कप कॉफi संपवतो. दुसर�कड ेअ-बट3 ‘िLbVस इि�LटWयूट’@या �ंथालयाम[ये महासागरावर�ल आव{यक असणार� मा+हती एकS कर;याचं काम करतो. मोठमो�या संशोधकांनी महासागरावर केलेलं संशोधन तो 'या@या न�द�म[ये �लहून घेतो. इथे िLटफन अमेRरकi नौसेने@या अ�धका-यानंा आपण लवकरच अंटाि]ट3का खंडावर जात अस-याचे सांगतो. स[या 8तथे न]कi कोण'या हालचाल� होत आहेत याबाबत अमेRरकi नौसेनेच े अ�धकार� 'याला मा+हती देतात, तसेच ह� मो+हम धो]याची आहे,

Dहणून अमेRरकi नौसेनेतील पाणबुडीचा �वशेष अनुभव असलेले मेजर रॉजड3 यांना आपण आप-यासोबत पाठवत आहोत असे सांगतात.

सगळं अगद� जोमाने चालत असताना पRरिLथती आणखीच गंभीर होते जे�हा अ�भजीतची ट�म अज�+टना@या +दशेने जात असत.े आ`�केजवळील काह� नौसेनेच ेजहाज 'यांना पाणबुडी पुढे ने;यास मyजाव आणतात. महासागराम[ये xुवीय मासे मोकाट `फरत अस-याने पाणबु�या दरुपयBत ने;यास मनाई आहे,

असं सांगतात. शेवट� अ�भजीत@या ट�मला मागे परतावं लागतं. जॉड3न सर त'काळ अ�भजीत@या ट�मला �वमानाने अज�+टनाला पाठवतात, अमेRरकi नौसेना अ�भजीत@या ट�मसाठ. पाणबुडीची �यवLथा करत.े अ�भजीत जर� बंद �योगशाळेत बसून काम करत असला तर�, संपणू3 जगभर 'या@या मो+हमेसाठ. धावपळ सु� असत.े जॉड3न सरां@या अंदाजानुसार पRरिLथती हाताबाहेर गेलेल� अस-याने आता hणाचाह� �वलंब धोकादायक ठ� शकतो. अ�भजीत राSी उशीरापयBत �योगशाळेम[ये काम करतो. 'याने मो+हमेची आखणी केलेल� असत,े आता 'याला फ]त आप-या ट�मला ती मो+हम कशा �कारची आहे हे सांगावयाचं असतं, 'याची ट�म दसु-या +दवशी पहाटे अजu+टनाला पोहोचणार अस-याने अ�भजीत घर� जातो. घर� गे-यावर बघतो तर घराला कुलपू लावलेल ं

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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38 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

असतं. 'याला �{न पडतो, ‘आता tेया कुठे गेल�?’ तो बाजूला असले-या िLटफन@या घर� जातो तर 8तथे tेया आ9ण रोडा गVपा मारत असतात. अ�भजीत आलेला पाहून ती रोडाचा 8नरोप घेत ेआ9ण 8तथून 8नघत.े

tेया, ‘‘जाLतच उशीर केलास... आईचा फोन आला होता, �वचारत हो'या...’’

अ�भजीत, ‘‘हं... खूप काम होतं Dहणून जाLत उशीर झाला...’’

बोलता बोलता दोघे घरात �शरतात. अ�भजीत आंघोळ करतो आ9ण दसुर�कडे tेया जेवण गरम करत.े नंतर दोघेह� जेवण करायला बसतात. tेयाने 8तथे ��स[द असलेले पॉDफट3 आ9ण लॉबLटार मासे बन�वलेले असतात. दपुार� रोडाने 8तला हे मासे कसे बनवायचे हे �शकवलं असतं. अ�भजीतला त े मासे खूप आवडतात. जेवता जेवता tेया म[येच बोलत.े

‘‘अभ�या, ऐक ना!’’ अ�भजीत 8त@याकड े�{नाथ3क नजरेने बघतो.

‘‘मला ना, आप-या ल^नाचा प+हला वाढ+दवस समुoा@या मधोमध साजरा करायचा आहे.’’

‘‘एवढंच ना! क� मग, 'यात काय? bुझवर जायचं Dहणतसे ना!’’

‘‘हो, मला एकदा तर� bुझवर जायचंय मLतपैकi, आजूबाजूला कसलाच Sास नाह�, गा�या नाह�, माणसं नाह�, रLत,े �बि-डगं, टॉवर वगैरे काह� नाह�. फ]त आ9ण फ]त शांत समुo आ9ण 'या@या लाटांचा आवाज...’’

अ�भजीतचं �वचारचb पु�हा स�ु होतं. समुoा@या लाटांचं नाव काढताच अ�भजीत@या डो]यात पु�हा तेच �वचार सु� होतात. मग तो गVपच राहतो, tेया प�ुहा थो�या वेळाने बोलू लागत.े

‘‘तू बडुायला जात आहेस का?’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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39 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘Dहणजे?’’

‘‘िLटफन रोडाला आ9ण मला सांगत होता, तुDह� सगळे अंटाि]ट3कावर चाललात...’’

‘‘अ@छा... Dहणजे बातमी तुUयापयBत पोहोचल�?’’

‘‘का? नाह� पोहोचल� पा+हजे का?’’

‘‘तसं नाह� ग,ं िLटफनने बरं केलं तुDहा दोघींना सांगून, फ]त हे बाहेर कुणाला कळू देऊ नकोस.’’

‘‘�युज वाचतोस कi नाह� तू? सगkया देशां@या सै8नकांना आ9ण वै7ा8नकांना 8तथे जायला बंद� घातल� आहे. जेवढ� माणसं 8तथे गेल� होती, 'या सवाBचं न]कi काय झालं काह� सांगता येत नाह�ये आ9ण आता तुला 8तथे जायचं आहे?’’

‘‘तु माUयासोबत भांडत आहेस का?’’

‘‘नाह� रे, मी तुला �वचारतये... पRरिLथती इतकi गंभीर असताना तुला थोडं थांबायला हव.ं नंतर सगळं �यविLथत झालं कi जा ना मग... तुझं काम कशा �कारचं आहे हे मला चांगलं मा+हत आहे... 'या +टपीकल मुल�ंसारखं रडणं,

अडवणं मला नाह� आवडत... फ]त एवढंच Dहणायचंय कi, वातावरण जरा शांत होऊ दे, नंतर जा...’’

‘‘तू Dहणतसे त ेबरोबर आहे... आता 8तथे गेलो तर धोका आहेच... पण जर का मी आता 8तथे गेलो नाह� तर कदा�चत उ�या संपूण3 जगाला धोका असू शकेल... थोड ंNडटेलम[ये बोलू?’’

‘‘�वचारतोस काय?’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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40 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘नाह� Dहणजे, बायका नव-याचं तवेढं ऐकत नाह�त ना!’’

‘‘Nडयर, इथे जगाचा �{न आहे Dहणतोस ना...!!’’

‘‘हं... अगं 8तथले काह� मासे आहेत जे गे-या 1000 वषाBम[ये इथ-या समoुाम[ये आ-याच े कोणतेह� पुरावे नाह�त आ9ण आज त े सव3 मासे जवळजवळ उ'तर अटलां+टक महासागराम[ये सापडले आहेत... हे सव3 मासे जवळजवळ 20 मीटर लांब आ9ण आकाराने खूप मोठे आहेत, 'यात-या काह� जाती मांसाहार� आहेत, जर 'यांनी अंटाि]ट3कावर माणसाचं मांस खा-ल असेल तर त ेआपल� भूक भागव;यासाठ. इथे Lथलांतर�त होतील... 'यांना मार;याचा �य'न केला तर 'यां@या �जाती नIट होऊन पया3वरणाचं मोठं नुकसान होईल आ9ण 'यांना असंच सोडलं तर जगभरातील सव3 �कारची जहाज,ं नौका, हो�या उ[दवLत होऊ शकतात...’’

‘‘मग 'यांना परत अटंाि]ट3कावर पाठवता येईल का?’’

‘‘तचे तर पहायचंय, 'यासाठ.च मला 8तथे जावं लागणार आहे...’’

‘‘जे करतोस त े�यविLथत कर. तुUयावर �व{वास आहे, पण काळजीसु[दा खूप वाटत.े..’’

‘‘अगं तू इतकi समजूतदार आहेस कi, मला माझं काम खरंच �यविLथतपणे करता येतंय... नाह�तर +दवसभर काम करा आ9ण घर� आ-यावर आप-या प'नीचा राग शांत करा...’’

दोघेह� हसतात. जेवण आटोपून दोघेह� झोपायला जातात. राSी उशीरापयBत 'यां@या गVपा चालूच असतात, 'यात दोघांना झोप कधी लागत ेहे 'यांना देखील कळत नाह�.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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41 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ६

सकाळी लवकरच अ�भजीतची संपूण3 ट�म आ9ण अमेRरकन नौसेनेतील अ�धकार� मेजर रॉजड3 ले]चर �मम[ये उपिLथत असतात. आप-या ट�ममधील सवाBना पाहून अ�भजीतला बरं वाटतं. तो मेजर रॉजड3 यांची 'या@या ट�मसोबत ओळख क�न देतो. अ�भजीत@या ट�मम[ये पाणबुडी चालवणारा कVतान vुस, रडार ऑपरेटर मोहDमद, बाहेर�ल जगासोबत सांकेतीक भाषेम[ये संपक3 करणारा 'से�ग चू, मर�न इंिज8नयर जेन, सॅटेलाईट सांभाळणार� बाब3रा, संशोधन करणारे अ�भजीत, िLटफन आ9ण 'यांचा सहा�यक अ-बट3 अशा नऊ जणांची ह� ट�म असत.े अ�भजीत@या ट�मम[ये �'येकाने जीव�व7ान, भौ8तकi, रसायनशाLS,

भ�ूव7ान, इले]Jॉनीय, �चSकला या सगkया �वषयांचं 7ान संपा+दत केलं होतं. एखाद� �य]ती उपलZध नसेल तर दसुर� �य]ती 'या �य]तीचं काम क� शकत ेइतकi अ�भजीतने आप-या ट�मम[ये लव�चकता आणलेल� होती. ‘इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी’ म[ये हे सव3जण एकSच �जू झाले होत.े त�ेहापासून Dहणज ेपाच वषाBपूवCपासनू त ेसव3जण एकS काम करत होत.े

अ�भजीत, ‘‘�मSांनो, आज आपण एका मो�या आ9ण गंभीर मो+हमेसाठ. इथे एकS आलो आहोत. आपण yया मो+हमेसाठ. जाणार आहोत 8तथून पु�हा ये;याची श]यता शु�या@या बरोबर�ची आहे. जर आप-यापैकi कुणाला या मो+हमेम[ये यायचं नसेल तर 'याने आ'ताच तसं सांगाव.ं न ये;याचं कारण देखील मी समजू शकतो, �'येकाला आपला आ9ण आप-या कुटंूबाचा �वचार कर;याचं पुण3 LवातंS आहे.’’ कोणीह� हात वर करत नाह�. अ�भजीत पुढे बोल ूलागतो, ‘‘प�ुहा �वचार करा. नंतर कुणालाह� ह� मो+हम अ[या3वर सोडता येणार नाह�.’’ तर�ह� कोणी काह� बोलत नाह�.

बाब3रा, ‘‘आप-याला आता काय करावं लागेल?’’

अ�भजीतला 8तची उ'सुकता पाहून बरं वाटतं. मेजर रॉजड3 आ9ण ट�ममधील �'येक जण मो+हमेवर जा;यासाठ. उ'सुक असतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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42 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ�भजीत, ‘‘आपण संपूण3 मो+हम महासागरा@या आतमधून करणार आहोत,

यासाठ. अमेRरकi नौसेना आप-याला पाणबुडी देणार आहे... पाणबुडीची मा+हती आप-याला असल� तर� आपला संपूण3 �वास हा महासागरामधूनच होणार आहे तर सव3�थम आप-याला महासागर Dहणजे काय, या संक-पनेची मा+हती पु�हा एकदा �यावी लागेल... इथे �'येकजन 'याबाबत 7ानी आहे याची मला पूण3 क-पना आहे... तर�ह� मला कोण'याह� बाबतीत धोका प'कारायचा नाह�ये... यासाठ. आप-याम[ये सवा3त कमी 7ान असले-या अ-बट3ला मी काल महासागरा�वषयी मा+हती �यायला सां�गतल�... मेजर रॉजड3 यांनादेखील महासागरा�वषयी मह''वपूण3 मा+हती आहे, तर�ह� पु�हा एकदा उजळणी करणं आप-यासाठ. मह''वाचं नसलं तर� गरजेचं आहे... अ-बट3 आता आप-याला महासागरा�वषयीची मा+हती देईल आ9ण आपण ती �यविLथतपणे ऐकू Dहणजे �'येकाला �यविLथत मा+हती �मळाल� असं मी समजेन... तर अ-बट3...!!’’

अ-बट3 लगेचच आप-या जागेव�न उठतो आ9ण आप-या हातातील न�दवह� घेऊन तो �ोजे]टरजवळ जाऊन उभा राहतो. �ोजे]टरवर तो जगा@या नकाशाच ेसॅटेलाईट �चS उभं करतो. हातातील न�दवह�कड े पाहत मग तो बोलायला स�ुवात करतो.

‘‘अ�भजीत सरांनी सां�गत-या�माणे महासागरावर�ल काह� मह''वा@या गोIट�ंची मा+हती मी जमा केल�... मह''वाची Dहण;यापेhा आप-या सामा�य 7ानासाठ. हवी असलेल� काह� ठरा�वक मा+हती मी घेतल�... तर आपण राहत असले-या प�ृवी@या संपूण3 पIृठभागावर पाणी, बफ3 व जमीन यांच ेआवरण आहे... 'यापैकi समुारे ७१ ट]के भाग खा-या पा;या@या �चंड जलाशयाने �यापलेला असनू 'याला आपण ‘महासागर’ Dहणतो... �'येक गोलाधा3तील पाणी व जमीन यां@या �माणाचा �वचार के-यास दwhण गोलाधा3त पाणी व जमीन यांनी �यापले-या hSेफळांच े गुणो'तर जवळ-जवळ ५:१ आहे तर उ'तर गोलाधा3त त े ३:२ आहे. यामळेु अशीह� क-पना करता येत ेकi, प�ृवी हाच एक �चंड महासागर असून खंड े ह� 'यामधील बेटे आहेत... महासागर हे प�ृवीच े सवाBत ठळक वै�शIWय असनू आपण सोयीसाठ. याचे भौगो�लक �IWया �वभाग पाडले आहेत... या@या

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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43 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�मखु खंडांशी तु-य अशा �वभागांनाह� ‘महासागर’ Dहणतात... उदाहरण �यायचं झालं तर +हदं� महासागर, पॅ�स`फक महासागर आ9ण या महासागरा@या उप�वभागांना ‘समoु’ Dहणतात…

समoुापेhा आप-याला स[या महासागराकड े लh �यायचं आहे... आप-या प�ृवीवर अटलां+टक पॅ�स`फक, +हदं�, आि]ट3क व अंटाि]ट3क हे परंपरागत �मुख महासागर मानले जातात... यांपैकi आि]ट3क व अंटाि]ट3क काह�ं@या मते LवतंS महासागर नसून आि]ट3क हा अटलां+टकचाच भाग आहे, तर अंटाि]ट3का खंडाभोवतीचा अंटाि]ट3क महासागर हा पॅ�स`फक, अटलां+टक व +हदं� महासागरां@या �वLतारले-या शाखांचा बनलेला आहे...काल जे�हा मी इ8तहासाताल� काह� न�द� तपास-या त�ेहा 'यात असं �ल+ह;यात आलं होतं कi, १९५३ म[ये Lवीकार;यात आले-या आंतरराIJ�य संकेतानुसार आि]ट3क हा चौथा महासागर मानला जातो... महासागरांलगतच े समुo आता 'यांचेच भाग मानले जातात... पॅ�स`फक महासागर हा सवाBत मोठा Dहणजे जवळजवळ अटलां+टक व +हदं� महासागरां@या एक�Sत hेSफळाएवढा असून 'याच ेhेSफळ प�ृवी@या 1/3 hेSफळाहून अ�धक आहे... हा सवाBत खोलह� आहे... यातील सवाBत खोल भाग ^वॉम@या आ^नेयीस असलेला ‘चॅल�जर डीप’ हा असनू याची खोल� समुoसपाट�खाल� ११,०३४ मीटर आहे... पॅ�स`फक शZदाचा अथ3 शांत असनू 'या�माणे महासागर शांत +दसत असला, तर� सवाBत भयाणक वादळे,

yवालामखुींच े उoेक व भूकंप यात होत असतात...+हदं� महासागरातील सवाBत खोल +ठकाण, सूंदा खंदक ७,७२५ मीटर जावा@या दwhणेस आहे... सव3साधारणपणे या महासागरातील वारे मंद असतात माS कधीकधी यात टायफूनसारखी वादळे होतात... या@या �वषुवव'ृता@या उ'तरेकडील भागात हंगामानुसार वा-याम[ये व वा-यानुसार �वाहांम[ये बदल होतात...अटलां+टक हा +हदं� महासागरापेhा थोडा मोठा असून आपल� मो+हम या महासागराम[ये असणार आहे... यातील सवाBत खोल Vवेत3 र�को खंदकाची खोल� ८,६४८ मीटर आहे... यात मोठ. वादळे होत असल�, तर� शांत असणार� मोठ. hेSेह� यात येतात... �शवाय या@या `कना-याची लांबी +हदं� व पॅ�स`फक यां@या `कना-या@ंया एक�Sत लांबीपेhा जाLत आहे व जगातील बहुतके Dह''वा@या न�या याला

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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44 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

येऊन �मळतात. आि]ट3कमधील सवाBत जाLत खोल� ५,४५० मीटर आढळल� आहे. ज�मनीलगतचा याचा बराचसा भाग वष3भर बफा3ने आ@छा+दलेला असतो... गंमत Dहणज.े..’’

अ�भजीत, ‘‘ओके अ-बट3, थ�]स. तू बस ू शकतोस. जने, आतापयBत जेव�या मह''वा@या सागर� मो+हमा झा-या, 'या@या नोWस तू काढ-यास का?’’

जेन, ‘‘हो. तुUया मत ेमी आता 'या इथे वाचून दाखवा�यात का?’’

अ�भजीत, ‘‘न]कiच, आप-यासाठ. त े मह''वाचं आहे... यातून �'येका@या 7ानात भर पडले...’’

अ-बट3 आप-या जागेवर जाऊन बसतो आ9ण जेन �ोजे]टरजवळ जाऊन उभी राहत.े 8तने 8त@या नोWसची ि�हडीओ बनवलेल� असत,े आपला पेन �ाई�ह �ोजे]टरला लावून ती महासागरातील मो+हमांबeल मा+हती देत.े

‘‘ओके तर आपण अंटाि]ट3का खंडावर जाणार आहोत, हा �वास खडतर असला तर� 'यासाठ. स[या@या युगात आपण �वमान, जहाज आ9ण पाणबुडी यांपैकi कोण'याह� साधनाने जाऊ शकतो... माS अंटाि]ट3का खंडावर गे-या काह� म+ह�यांपासून yया घटना घडत आहेत, 'यामळेु आप-याला गुVतपणे 8तथे जायला हव,ं Dहणून आपण पाणबुडी@या सहा�याने 8तथे जाणार आहोत... पाणबुडीबाबत आप-याला माUयापेhा अमेRरकi नौसेनेच े मेजर रॉजड3 सर �यविLथत मा+हती देऊ शकतील... मी आप-याला आतापयBत समुo आ9ण महासागराम[ये घे;यात आले-या मो+हमांची थोड]यात मा+हती देत.े.. बघायला गेलं तर �ाचीन काळापासून माणसाचा अ�न पदाथ3 �मळ�व;यासाठ. समुoाशी संबंध आला आहे. नंतर मासेमार�, �यापार, संप'तीचा शोध या हेतंूनी समoु�वास कर;यात येऊ लागला... इ. स. पू. समुारे १,००० वषाBपूवCपासनू त ेकोलंबसा@या काळापयBत प�ृवी सपाट तबकडीसारखी असून 8त@याभोवती ‘ओ�शअॅनस’ नावाचा जलाशय आहे, असा समज होता... 'यामुळे काह� �माणात समुoपय3टनावर मया3दा पड-या हो'या... �ाचीन, �ीक, `फ8न�शयन, रोमन व अरबी लोकांना

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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45 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

समoुा�वषयी कुतूहल होत े व 'यांनी 'या�वषयी भौगो�लक मा+हती �मळ�वल� होती... मी अगोदरच सुचना देऊन ठेवतये, पढेु जाऊन तुDहाला हे थोड ं रटाळ वाटेल, पण 'यामुळे �'येकाला समुo, महासागर आ9ण आप-या प�ृवीचा इ8तहास थोड]यात कळेल...’’

अ�भजीत िLमतहाLय करतो. जेन आपल� ि�हडीओ स�ु करत.े संगणकावर अ8ॅनमेशन@या सहा�याने �चSां@या हालचाल� सु� होतात. �चSांना उeेशून जेन पढेु बोल ूलागत.े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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46 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ७ (�करण ७ आ9ण ८ केवळ मा+हती दे;यासाठ. पुLतकाम[ये समा�वIट कर;यात आले आहेत. आप-याला खाल�ल मा+हती वाचायची नसले तर आपण �करण ९ वाचू शकता. सदर दोन �करणे वगळ-याने कथानकाम[ये कोणताह� बदल होत नाह�.)

‘‘आप-याला ह�या असले-या मा+हतीसाठ. मी �शकत असताना बनवलेल� ह� ि�हडीओ आपणा सवाBना दाखवत आहे, yयामळेु आपणा सवाBना मा+हती �मळवणं सोपं जाईल... ि�हडीओम[ये आपण पाहत आहात कi, इ. स. पू. सात�या शतकात `फ8न�शयन खलाशी आ`�का खंडाला वळसा घालून गे-याचा उ-लेख +हरोटोDसने केला आहे... इ.स.पू. पाच�या शतकात भूम[य समुoा@या पूव�कडील समoुाची आ�धक मा+हती �मळत गेल� व 'यामुळे हेकाट�असने तयार केले-या जगा@या नकाशाच े Lवdप `कं�चत बदलले... अले]झांडर@या भारत देशावर�ल Lवार�मळेु कॅिLपयन समुo, इराणच े आखात व अरबी समुo यां@या�वषयी आ�धक मा+हती उपलZध झाल�... इ.स.पू. चौ�या शतका@या उ'तराधा3त �ीक �वासी व भूगोलवे'ता �प�थयस भूम[य समुoा@या पल�कड ेउ'तर धवृव'ृतापयBत गेला होता... 'याने Lपेन, गॉल व �v+टश बेटे यां@या `कना-याचंा शोध घे;याचा �य'न केलेला... गु�'वाकष3णा@या 8नयमांची मा+हती न�हती त�ेहा 'याने भरती-ओहोट�, 8तच ेकालबz आंदोलन व 8तचा चंoा@या कलांशी असलेला संबंध यांचे वण3न केले होत.े.. अhांश ठर�व;याचाह� 'याने �य'न केला... 'यानंतर १०० वषाBनी ऑपीअनने �थमच मासे आ9ण मासेमार� यां�वषयी लेखन केले... +हपाbस, एराटॉLथीनीझ इ'याद�ं@या काया3मुळे प�ृवीवर�ल +ठकाणांचा अचूकपणे 8नद�श करता येऊ लागला... टॉलेमीने +हदं� महासागरा@या आ`�का व चीन या दोन सीमा �थमच नकाशात दश3�व-या... इ. स. १,००० @या सुमारास �हाय`कंग लोक अटलां+टक पार क�न अमेRरकेस गेले होत,े असे. �यू फाउंडलंड व �यू इं^लंड येथे आढळणा-या पुराण�श-पां@या आधारे मानतात...’’

आता जेन �ीडी तंSाचा वापर करत.े yयामुळे ती सांगत असले-या सव3 गोIट� �'यhात घडत आहेत आ9ण सव3जण 'या �'यhात अनुभवत आहेत असा भास होत होता.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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47 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘माझा असा अंदाज आहे कi, महासागर �व7ाना@या इ8तहासातील दसुरा टVपा पंधरा�या शतकात सुd झाला... या शतकात पोतु3गालम[ये राजपुS हे¡ीने नौकानयन�वषयक �व�यालय सुd कdन समुoा@या संशोधनाकड े लोकांना आक�ष3त केले...१४९७ साल� वाLको-द-गामा आ`�केला वळसा घालनू भारताकडे ये;यास 8नघाला... कोलंबसने अमेRरकेचा शोध लावला, तर �हाLको नु�येथ बॅ-बोआ याने पनामातील टेकडीवdन प+ह-यांदाच पॅ�स`फकच े दश3न घेतले...१५१९ साल� फNड 3नंड मॅगेलनची मोह�म सुd झाल� व केप ऑफ गुड होपला वळसा घालून ती १५२२ म[ये Lवदेशी परतल�... 'याने शोधले-या सामoुधुनीला मॅगेलन सामुoधुनी Dहण;यात येऊ लागले... दwhण आमेRरका व अंटाि]ट3का यां@यामधील जलाशयाची क-पना या तुकडीला आल� नाह� माS �ाि�सस �के या इं�ज सम�वेषकाला ती आल�, Dहणून 'याला 'याच े नाव दे;यात आले…

मा+ट3न �ॉ�बशरया �v+टश सम�वेषकाने कॅनडालगतचा उपसागर शोध-याने 'याला �ो�बशर उपसागर असे नाव पडले, तर जॉन डिे�हस हा आि]ट3क सम�वेषक yया सामुoधुनीतून पढेु गेला, 8तला 'या@याव�न डिे�हस सामुoधुनी Dहण;यात येऊ लागले... यानेच फॉकलंड बेटे शोधल�... हे¡ी हडसन या इं�ज ना�वकाने चार मो+हमांत भाग घेतला आ9ण हडसन नद� व हडसन उपसागर यांचा शोध लावला... �व-यम बँ`फनने बॅ`फन उपसागराचा शोध लावला, अनेक मो+हमांत भाग घेणारा हा इं�ज ना�वक उ'तरेस ७७०४५’ अhव'ृतापयBत गेला व नंतर दोन शतके या@या उ'तरेस कोणताह� मनुIय �ाणी जाऊ शकला नाह�. 'याने चंoा@या वेधां@या आधारे सव3�थम रेखावृ'त 8नि{चत केले... पुढे रेखांश दश3�वणार� अचूक उपकरणे उपलZध झाल�...१७३१ साल� कोणादश3क या उपकरणाचाह� शोध लागला... अशा �कारे या शतकात समुoावर�ल Lथान 8नि{चत करता येणे श]य झाले... �ह�टुस बेRरगं या डॅ8नश ना�वकाने कॅमचॅटका त ेअलाLका असा �वास केला... परती@या �वासात 'याचा yया बेटावर म'ृयू झाला, 'याला बेRरगं बेट Dहणतात... 'याने बेRरगं समुo व बेRरगं सामुoधुनीचा शोध लावला...’’ जेनचं ले]चर ऐकून vसुला खरंतर डुलकi लागल� होती. तर�ह� जेन आपलं बोलणं पुढे चाल ूठेवत होती.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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48 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ८

‘‘अठरा�या शतकात जेDस कुक या इं�ज सम�वेषकाने समुoपय3टनात bां8तकारक बदल घडवून आणले... प+ह-या �वासात 'याने �यूझीलंडला वळसा घातला व ऑLJे�लया@या पूव3 `कना-याची मा+हती �मळ�वल�... दसु-या प�ृवी �दwhणेचा 'याचा माग3 ६० अhांशा@या जवळचा होता... दwhण धृवव'ृतापल�कडे जाणारा तो प+हला �वासी होता. 'याने वै7ा8नक 7ान संपादनासाठ. मोह�मा काढून दwhण पॅ�स`फकच े अचूक चाट3 तयार केले, उ'तर अमेRरके@या वाय�य `कना-याच ेतपशीलवार 8नर�hण केले व पॅ�स`फकमधील अनेक बेटे नकाशावर �थम दश3�वल�…

जेDस ]लाक3 रॉस या Lकॉ+टश धवृसम�वेषकाने आि]ट3क व अंटाि]ट3ककडील मो+हमांत भाग घेतला... तो चार +हवाळे आि]ट3क �देशात होता व परतताना 'याने तथेील व सागरतळावर�ल अनेक जीवांच ेनमुने आणले... 'याने प�ृवी@या चुबंकiय उ'तर धवृाच े Lथान 8नि{चत केले... दwhण धृवाची मा+हती �मळ�व;यासाठ. �v+टश सरकारने रॉसला ‘एरेबस’ व ‘टेरर’ या जहाजांतून दwhणेकडील मो+हमेवर पाठ�वले, 'यामळेु अंटाि]ट3का खंडाचीह� सवाBना मा+हती झाल�... 'याच े�हॉ8यज ऑफ NडLक�हर� हे पुLतक मह'वाचे आहे. रॉस समुo,

रॉस बेट व अंटाि]ट3कातील काह� भाग यांची नावे 'या@याव�न पडल� आहेत... या�शवाय सर जॉन �ँि-कन या इं�ज सम�वेषकाने आि]ट3क भागात सम�वेषण केलेय तर �व-यम व �व-यDस Lकोझ3बी या �पतापुSांनी �ीनलंड समoुा@या `कनार� भागाच े सम�वेषण केले. यांपैकi मुलाने धवृीय समुoात अ�धक खोल�वर�ल पा;याच े तापमान पIृठभागावर�ल पा;या@या तापमानापेhा अ�धक अस-याच े�8तपा+दले होत…े

एको9णसा�या शतका@या म[यापासून महासागराचा सम� अ�यास होऊ लागला... मॅ�यू फाँटेन मॉर�ने महासागर �व7ाना@या संशोधनात मोलाची भर घातल�... समुoाच े पाणी व वारे यां@यात 8न'य परLपर`bया चालू असते व 'यामळेु महासागरात कायम अ�भसरण चालू असत,े असे अनुमान 'याने केले...

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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49 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

या संक-पनेच े मह''व ए]मनने १९०५ साल� �वशद केले... अजुनह� ह� संक-पना मह'वाची मानल� जात.े.. वारे व सागर� �वाह यां@यामधील परLपर`bया जाणून घेऊन मॉर�ने अटलां+टक, पॅ�स`फक व +हदं� महासागरांमधील वारे व �वाह यांच े चाट3 तयार केले. 'याने �ल+हलेले द `फिजकल िजऑ�ाफi ऑफ द सी हे आधु8नक महासागर�व7ानाच े प+हले पा�यपुLतक मानले जात.े.. 'याने उ'तर अमेRरका व युरोप या@ंयामधील अटलां+टक@या तळाचहे� चाट3 तयार केले... संदेशवहनासाठ. सागरतळाव�न केबल टाकता येणे श]य अस-याच े 'याने दाखवून +दले... 'यातूनच महासागर�व7ाना@या अ[ययनात आंतरराIJ�य पातळीवर सहकाय3 हो;यास स�ुवात झाल�... एडवड3 फॉZझ3ने सागरातील जीवांची वाटणी, तसेच सागर� जीव व 'याच े पया3वरण यां@यातील परLपरसंबंध यां�वषयी संशोधन केले... यामुळे सागर� जीव�व7ानाला नवीन +दशा �मळाल� व सागर� पRरिLथ8त�व7ानाचा पाया घातला गेला... योहान यॉट3, झां लइु आगािLसझव ए. एच. चा-स3 यांनी खाजगी यॉट �कार@या होडीमधून उ'तर अटलां+टकच,े तर मायकेलसनने उ'तर समुoाचे सम�वेषण केले. जेDस �वाइट डनेा या अमेRरकन भूवै7ा8नकाने दwhण पॅ�स`फक@या मो+हमेत भाग घेऊन महासागरा�वषयीची भूवै7ा8नक व िजववै7ा8नक मा+हती �मळ�वल�... `�'यॉफ ना�सेन या नॉव�िजयन सम�वेषकाने आि]ट3क आ9ण अंटाि]ट3क महासागरां@या मो+हमा काढ-या... 'याने Vलवक जीव पकड;या@या जाkयात सुधारणा के-या व समुoांतग3त लाटा अस-याच े सुच�वले... एन. ए. ई. नूद�नश-द या LवीNडश भूवै7ा8नकाने आि]ट3कमधील अनेक मो+हमांत भाग घेतला आ9ण �ीनलंडमधील बफा3@या थरांचा अ�यास केला... अले]झांडर आगािLसझ या अमेRरकन �ा9णवै7ा8नकाने पRरसरा@या संदभा3त सागर� �ा;यांचा अ�यास केला आ9ण एल. एफ. पतूा3लेसने आगािLसझसह खोल सागर� जीवा�वषयी सशंोधन केले... अॅ-बट3 हेिLटं^झ माbमने आि]ट3कच े सम�वेषण केले... तर आडॉ-फस वॉ�शं̂ टन �ील� या अमेRरकन सम�वेषकाने �ीनलंड@या उ'तरेकडील �देशाचा शोध लावला व धवृीय �देशां�वषयीची पुLतकेह� �ल+हल�…

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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50 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

ओटो ¢यूमेलया जम3न भूगोलत7ाने १८७९ साल� महासागर व काह� समुo यां@या सीमा 8नि{चत कर;याचा �य'न केला... रॉबट3 एड�वन पीअर� हा �'यh उ'तर धवृावर पोहोचला... 'याने �लहलेले द नॉथ3 पोल हे पुLतक महासागर�व7ाना@या �Iट�ने उपयु]त आहे... रॉबट3 Lकॉट हा इं�ज सम�वेषक दwhण धवृावर गेला व 'याने अंटाि]ट3क@या आतील भागाच े सव�hण केले... 'याने सातवा `कंग एडवड3 लँडचा शोध लावला व रॉस समुoाची खोल� मोजल�... रोआल आमुनसेन या दwhण धवृ संशोधकाच ेसाऊथ पोल हे पुLतक Dह''वाचे आहे... Zयन3 हे-लान हा�सेन या नॉव�िजयन महासागरवै7ा8नकाने उ'तर समoुाच े सम�वेषण केले तर जॉज3 �यूLटने समुारे ४०० मीटर खोल�वर�ल उंचवWयां@या आधारे महासागराच े�वभाग पाडावेत असे सुच�वले व 'यानुसार ४५ oोणींची याद�ह� तयार केल�, माS ह� �वभागणी केवळ खोल�वरच आधारलेल� अस-याने उपयु]त ठरल� नाह�…

एरनबेख3 हंबो-ट, हूकर व ओLट�ड या १९ �या शतकातील 8नसग3वै7ा8नकांनी महासागरातील Vलवकाचं े मह''व तसेच तळावर�ल गाळ व खडक 8नमा3ण कर;यातील 'यांचा वाटा यां�वषयी संशोधन केले... चा-स3 डा�व3नने �वाळ�भ'तीं@या उ'प'ती�वषयी, तर Dयूलरने Vलवक पकड;या@या जाkयां�वषयी अ�यास केला…

‘बीगल’ या �v+टश जहाजाची मोह�म ५ वष� चालल�... या मो+हमेत दwhण अमेRरके@या `कनारप�ीचा अ�यास कर;यात आला... चा£स डा�व3नला bम�वकासाचा तसेच सागर� बेटे व �वाळ�द�पे यां@या उ'प'तीचा �सzांत मांड;यास या मो+हमेचा उपयोग झाला…

१८६८ म[ये ‘लाईW8नगं व १८६९ म[ये पॉ¢युपाइन या जहाजांनी केले-या मो+हमामुंळे महासागर �व7ानातील काह� आडाmयांचा पुन�व3चार करणे व जाLतीत जाLत मा+हती �मळ�वणे आव{यक वाटू लागले... या मो+हमांमुळे पढु�ल मह'वाच े8नIकष3 काढ;यास मदत झाल�... एक Dहणज,े पा;याचे तापमान 8नर8नराkया खोल�ंवर सव3साधारणपणे सारखे आढळत ेव 'यामुळे महासागरात एकसारखे अ�भसरण चालू असत,े याची खाSी पटल�. अनेक +ठकाणां@या

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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51 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

नम�ुयांच े 8नर�hण के-यावर २ `कमी. खोल पा;यातह� जीवसृIट� असत,े याचा परुावा �मळाला आ9ण चॅल�जर मो+हमेला यामुळे चालना �मळाल�…

प�ृवीला वळसा घालून सव3 समुoांच ेसंशोधन करणारे चॅल�जर सम�वेषण १८७२ म[ये Nडस�बरात सुd झाले... समुoां�वषयी सव3 �कारची मा+हती �मळ�व;याकर�ता 8नघालेले हे जहाज १८७६ साल� मे म+ह�यात इं^लंडला परतले... या मो+हमेत आि]ट3क�शवाय इतर महासागरांतील पा;या@या खोल��वषयीची मा+हती गोळा कर;यात आल�, तसेच ३६२ जलालेखन क� oे उभार;यात आल�... समुoतळाच े मान�चSण कर;यात आले... समुoातील �ा;यां@या ४,७१७न�या जाती शोधून काढून 'यांच ेवण3न कर;यात आले... रॉयल सोसायट� व �vटनने ना�वक खात े यांनी पुरLकाRरले-या या मो+हमेतून �मळाले-या मा+हतीच ेसुमारे ५० खंड �का�शत झाले…

या मो+हमेचा नेता Lकॉ+टश 8नसग3वै7ा8नक सर चा-स3 �वि�हल टॉमसन याने �वशेषतः खोल सागर� जीवांचा अ�यास केला. �हॉ8यज ऑफ द चॅल�जर हे 'याच े

पLुतकह� मह''वाच े आहे... सर जान मर�नेया मो+हमे@या वै7ा8नक फलtुती@या अहवालाच े संपादन व उ'तर अटलां+टकच े सम�वेषण केले. या मो+हमेत गोळा कर;यात आले-या पा;या@या नमु�यां@या �व{लेषणा�वारे 'यातील घटक ठरवून सी. आम3Nडटमरने रासाय8नक महासागर�व7ानाचा पाया घातला…

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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52 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ९ �'येक महासागर व तथेील जीवशाLSीय पRरिLथती तसेच �व�वध जीवां@या भौगो�लक वाटणीची कारणे यांचा आ�यास करणे, हा या मो+हमेचा उeेश होता... हा अ�यास कर;यासाठ. पा;याच ेनमुने घेणे, पा;याच ेपIृठालगतच ेव तळालगचे तापमान मोजणे, सागर� �वाहांच े व हवे@या दाबाच े मापन करणे, सागरा@या तळावर�ल गाळाच ेनमुने घेऊन 'यांच े�व{लेषण करणे जीवां@या न�या जातींचा शोध घेणे वगैरे कामे कर;यात आल�…

ना�सेन हा १८९३ म[ये ‘�ाम’ या जहाजातून जाLतीत जाLत उ'तरेस गेला होता...१९२५ त े 19२७ या काळात ‘�म+टअर’ या जम3न जहाजाने दwhण अटलां+टकच ेभौ8तकiय व रासाय8नक �Iट�ंनी अ[ययन केले व तथेील गाळाचा अ�यास केला... ‘NडLक�हर�-१’ व ‘NडLक�हर�-२’ या इं^लंड@या जहाजांतून प+ह-या महायुzांनंतर कर;यात आले-या मो+हमेतून �वशेषतः दwhण गोलाधा3तील महासागराची, बर�च मा+हती उपलZध झाल�...१९२७-२९ या काळात ‘कान�गी’ हे अमेRरकन जहाज, दसु-या महायुzात आ9ण नंतर@या काळात ना�वक दलाची जहाजे तसेच आंतरराIJ�य भूभौ8तकiय वषा3त अनेक वै7ा8नक जहाजे यांतून महासागराची मह''वपूण3 8नर�hणे कर;यात आल�...३ ऑगLट १९५८ रोजी अमेRरके@या अणुऊज�वर चालणा-या पाणबुडीने भौगो�लक उ'तर धवृा@या बफा3खालून �वास केला...’’

अ�भजीत, ‘‘+ठक आहे, स[या इतकi मा+हती +ठक आहे...’’

जेन, ‘‘पण अॅड�हा�स मा+हती तर मी आता सांगणारच होत.े..’’

अ�भजीत इशा-याने 8तला vुसकड ेबघायला सांगतो. 'यामुळे थोडा वेळ शांतता असत.े मेजर रॉजड3 यांना vुस झोपी गेला ह� गोIट मा+हत नसत े Dहणून ते बोल ूलागतात,

‘‘जेनने +दलेल� मा+हती ऐक-यानंतर तुमची ट�म �'येक गोIट�चा चांगला अ�यास क�न जाणीवपूव3क मो+हमेची आखणी करत.े.. खरंच, माUया मनात

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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53 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

तुम@या जॉड3न सरां�वषयी स�मानाची भावना आता आणखीच वाढल� आहे.’’ जेन अ�भजीतला डोळा मारत ेआ9ण vुसशेजार� आप-या जागेवर जाऊन बसत.े नंतर कोपरखळी मा�न ती 'याला उठवत.े

अ�भजीत पु�हा �ोजे]टरजवळ जातो आ9ण बोलू लागतो, ‘‘हे सव3 फ]त आप-या मा+हतीसाठ. सांग;यात आल,ं आतापयBत झाले-या मोठमो�या मो+हमांचा हा एक छोटासा आढावा होता. माS आपल� मो+हम ह� या सव3 मो+हमांपेhा वेगळी असणार आहे. 'याआधी तुDहा सवाBना एक मह'तवाची गोIट सांगतो. काल जॉड3न सरांबरांबर माझं बोलणं झाल ंत�ेहा एक दुदTवी गोIट मला कळाल�. ती Dहणज,े अंटाि]ट3का खंडावर होणा-या हालचाल�ंमुळे जगभरातील जवळजवळ 65 ट]के महासागर वै7ा8नक आ9ण संशोधक बेप'ता झाले `कंवा मरण पावले. या हालचाल� न]कi का होत आहे `कंवा अशी कोणती गोIट 'या +ठकाणी होत आहे, yयामळेु 8तथ-या जलचरांना आप-याकड े Lथलांतर करावं लागतंय, या सव3 �{नांची उ'तरं आप-याला या मो+हमे�वारे �मळवायची आहे.’’

बाब3रा, ‘‘आपण आता न]कi काय करायला हवं सर?’’

अ�भजीत, ‘‘सव3�थम मोहDमद आ9ण 'से�ग, तुDह� दोघांनी अंटाि]टका खंडाजवळ जाणा-या मागा3चा नकाशा तयार करा... vुस, तू रॉजड3 सरांबरोबर जाऊन पाणबुडीची यो^य ती मा+हती घे... अ-बट3 आ9ण िLटफन, मला वातावरणाची मा+हती �या, पढु�ल चार आठवड े8तथ-या लाटा, वारे, वादळे आ9ण एकूणच सव3 �कार@या हवामानाची मा+हती मला हवी आहे... रॉजड3 सर,

पाणबुडी@या hमतचेी तपशीलवार मा+हती मला आप-याकडून हवी आहे... हवामान आ9ण इतर पRरिLथती यो^य असेल तर आप-याला दोन +दवसांनंतर 8तथे माग3bमण करावे लागेल, तर आपण सवाBनी आ'ताच कामाला लागलेल ंबरं...’’

अमेRरकi नौसेनेच ेअ�धकार� मेजर रॉजड3 हे वयाने आ9ण अ�धकाराने सवाBपेhा मोठे असले तर� अ�भजीतने +दले-या सुचनांचं पालन त े करत होत.े जॉड3न सरांनी 'यांना अ�भजीत@या ट�मबeल यो^य ती सव3 �कारची मा+हती +दल�

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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54 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

होती. नौसेनेतील मोठे अ�धकार� असले तर� त ेअमेRरकi नौसेनेम[ये, इथे मी एका मो+हमेवर आलो आहे आ9ण अ�भजीत या मो+हमेचा �मुख अस-याने त ेअ�भजीत@या सव3 सव3 सुचनांचं तंतोतंत पालन करतात. vुसला त ेएका छोWया जहाजाने पाणबुडीपयBत घेऊन जातात. �योगशाळेजवळ@या समुo`कना-यापासून ती पाणबुडी दोन तासां@या अंतरावर असत.े 8तथे अमेRरकi नौसेनेतील सै8नक 8तची देखभाल करत असतात. अ�भजीत संशोधन करत असले-या पाणबडुीपेhा ह� पाणबुडी खूपच वेगळी होती. पाणबुडी@या आत �शर-यानंतर मेजर रॉजड3 vसुला मा+हती देऊ लागतात.

‘‘ह� आमची अमेRरकi नौसेनेची पाणबुडी आहे... आपण यु[दाला न जाता एका मो+हमेसाठ. जात आहोत Dहणून आDह� ह� ह'यारं नसलेल� पाणबुडी आप-या मो+हमेसाठ. 8नवडल�...’’ vसु 'यांचं बोलणं ऐकत पाणबुडीचं 8नRरhण करत असतो. मेजर रॉजड3 पुढे एका यंSाकड ेबोट दाखवत सांगतात,

‘‘हे आप-या पाणबुडीमधल� मह''वाच े उपकरण आहे... सोनार... पा;यातून �वास कर�त असताना मागा3त येणारे अडथळे व इतर पाणबु�या यांचा सुगावा या यंSणेने लागतो... 'या@या बाजूला जो आराखडा आहे तो आहे जल8नरोधी �वभागाचा, हे �वभागक पाच +ठकाणी बस�वलेले असतात... 'यामुळे पाणबुडी@या अंतभा3गात सहा कh तयार होतात... 'यांतील दरवाजे जल8नरोधी असतात... 'यामळेु एखा�या कhात पाणी आ-यास तो कh इतरांपासून अलग करता येतो व इतर कhांत पाणी येत नाह�... या �वभागकामुळे आप-या पाणबुडी@या �ाकृ8तक जल�वरोधी नौकायेचे बल वाढत.े.. इथून आतम[ये भोजन कh आहे... यातच आपले खा�यपदाथाBच ेभांडार समा�वIट असेल...’’

थो�या पुढे गे-यानंतर त ेएका िLवच फलकाजवळ येऊन थांबतात आ9ण vुसला 'या िLवच फलकाबाबत मा+हती देतात.

‘‘आप-या मो+हमेसाठ. ह� पाणबुडी खरोखरंच यो^य आहे का?’’ vसु@या मनात शंका उपिLथत होत.े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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55 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘Dहणजे? मला समजलं नाह�...’’ मेजर रॉजड3 जरा दचकतात.

‘‘आप-या मो+हमेसाठ. आप-याला यापेhा जाLत श]तीशाल� पाणबुडी लागणार आहे... कदा�चत आप-याला 'सुनामीचा देखील सामना करावा लागेल, आपण सां�गतले-या hमतनुेसार ह� पाणबुडी पा;यात +टकाव धरेल अस ं मला तर� वाटत नाह�’’ vसु आपल� शंका LपIट करतो.

‘‘अ@छा, असं Dहणतोस... �हेर� गुड... या छोWया छोWया गोIट�ंकड ेदलु3h केलं तर पुढे जाऊन 'याच ेपRरणाम भोगावे लागतात... इथून आतम[ये ये...’’

मेजर रॉजड3 vुसला एका कhाम[ये घेऊन जातात. 8तथे एक वेगळीच यंSणा बसवलेल� असत.े vुसने अशी यंSणा कधीह� पा+हल� न�हती.

vसु, ‘‘हे काय आहे? आतापयBत मी अनेक �कार@या पाणबु�यांमधून �वास केला आहे... अशी यंSणा मी प+ह-यांदाच पाहतोय...’’

मेजर रॉजड3, ‘‘हं... ह� यंSणा कोण'याह� लIकराकड ेनाह�, ए�हाना या यंSणेबाबत बाहेर कुणालाह� मा+हती नाह�.आम@या संशोधकांनी पाणबुडीवर वेगवेगळे �योग केले होत,े त�ेहा इंधन वाचव;यावर 'यांनी एक छान यु]ती शोधून काढल�... या �वभागाम[ये एक वेगळा जनरेटर बसवला आहे... पाणबुडी जे�हा पा;या@या आतमधून जात असत ेत�ेहा �वाहा@या �व�[द याच ेपात े `फरतात... पाणबुडी िजत]या जाLत वेगाने पुढे जात रा+हल 8तत]या जाLत वेगाने हे जनरेटर चाज3 होत राह�ल... आपण या यंSणे@या सहा�याने संपूण3 जगाला �दwhणा घालू शकतो, तहे� इंधनाचा वापर न करता...’’

vसु बघतच राहतो, जगा@या इ8तहासाम[ये अशा �कार@या कोण'याह� पाणबुडीची न�द नाह�. मेजर रॉजड3 पुढे बोलतात, ‘‘समजा आपण पा;या@या बाहेर आलो आ9ण आप-याला ऊजा3 हवी असेल तर आप-या पाणबुडी@या वर@या बाजूला सोलर पॅनल बसवलेले आहेत, 'यामळेुदेखील आप-याला भरपूर ऊजा3 �मळू शकेल...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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56 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘मेजर रॉजड3, हा एक bांतीकार� शोध आहे...आपण याची मा+हती जाह�र करायला हवी होती...’’ vसु जरा आbमक होतो.

‘‘नाह�, हा आम@या संशोधकांनी केलेला �योग आहे... आDह� याची मा+हती बाहेर कुणालाह� देऊ शकत नाह�...’’

‘‘पण हे चुकiचं आहे, आज `कतीतर� मो+हमा इंधनाकड े बघून रe के-या जातात... आज अंटाि]ट3काम[ये जे संशोधक अडकले आहेत 'यांना देखील इंधनाची आव{यकता आहे, आपल� ह� यंSणा आज बाहेर माह�त असती तर अनेक संशोधकांचा जीव आप-याला वाचवता आला असता...’’

‘‘vसु, माUया बाळा, मी तुUया मनातला bोध समजू शकतो... पण हे सव3 माUया हातात नसतं... माUयादेखील वर काह� अ�धकार� असतात... 'यां@या आ7ेपुढे आDहाला काह� करता येत नाह�...’’

‘‘तुम@या ता¤याम[ये अशा `कती पाणबु�या आहेत?’’

‘‘स[या तर� ह� एकच आहे...’’

vसु काह�च बोलत नाह�. दोघे पुढ@या कhात जातात. मेजर रॉजड3 पुढे बोल ूलागतात, ‘‘या कhाम[ये तोफा व �वमान�वरोधी तोफ यांना लागणारा दाdगोळा या +ठकाणी साठ�वला जातो... 'या@या पुढे भांडार आहे...या भांडारम[ये सव3साधारणपणे लागणारे अ�भयां�Sकi सामान व ह'यारे असतात... 'या@या पुढे सकुाणू कh... याबाबत तुला मा+हती असणारच,पाणबुडीची +दशा 8नयं�Sत करणा-या सुकाणूच ेसंचालन या कhातून होत ेआ9ण 'यामुळे पाणबुडी इि@छत मागा3वर चाल�वता येत.े..’’

vसु@या मनात 'या bांतीकार� यंSणेबeल �वचार सु� असतात. मेजर रॉजड3 यं@या बोल;याकड े'याचं लh नसतं.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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57 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘हे पRरदश3क आहे, आDह� याम[ये थोडा बदल केला आहे... आपल� पाणबुडी साधारण 20 मीटर खोल पा;यात असतानासु[दा आपण समुoा@या पIृठभागावर पाहू शकतो. 10 मीटर खोल पा;यात पाणबुडी@या वdन सव3साधारणपणे इतर पIृठ भागावर�ल जहाजे जाऊ शकतात व 'या +ठकाणी बाहेर�ल पा;यात शांतता असत.े..'या@या बाजूला +दशाशोधक आहे... सागरा@या पIृठभागावर असताना पाणबुडीच े भौगो�लक Lथान ठर�व;याकRरता `कना-यावर�ल �व�शIट क� oांशी रेNडओ संदेशा�वारा संपक3 साध;या@या या यंSणे@या साहा�याने िLथती �मळ�वता येत.े.. रडार तर तुला माह�तच आहे... yया वळेी श]य असेल त�ेहा �वशेषतः राSी@या वेळी रडारचा उपयोग कdन आप-याला पृIठभागावर टेहळणी करता येत.े.. रडारचा उपयोग करत असताना 'याचा आधारLतंभ पा;याबाहेर काढावा लागतो, पण आप-या रडारला हा 8नयम लागू होत नाह�...’’

त ेदोघे पु�हा �योगशाळे@या +दशेने परतीचा �वास सु� करतात. वाटेत vुसचं �वचारचb सु� होतं, ‘जर माणसाकड े चांग-या hमता आहे, 8नसगा3चं संवध3न कर;याच ेमाग3 सापडले आहेत तर 'या hमता, त ेमाग3 तो इतरांना का सांगत नाह�? yया�माणे अमेRरकi नौसेने@या अ�धका-यानंी सौर ऊजा3 आ9ण समoुांतग3त �वाहा@या सहा�याने 8नमा3ण होणार� ऊजा3 वाप�न काय3hम होणार� bांतीकार� पाणबुडी इतर देशांपासून गुVत ठेवल�, 'या�माणे इतर देशांनी देखील असे काह� शोध फ]त Lवतःपुरता मया3+दत ठेवले. जर संशोधकांनी आपले शोध असेच गुVत ठेवले असत ेतर आज yया गोIट� घडत आहेत, माणसाचं जीवन yया�माणे सुरळीत झालं आहे, त े 8ततकं सुरळीत झालं नसतं. न]कi दोष �यायचा तर� कुणाला? माणूस Lवतःचंच बघत बसला आ9ण आता 'याच माणसाने संपूण3 प�ृवीलाच म'ृयू@या जब�यात आणल.ं..’

�योगशाळेजवळ पोहोच-यावर मोहDमद 'यांना मो+हमेची मा+हती देतो, ‘‘पढु�ल दोन +दवस वातावरण खराब अस-यामुळे आप-याला परवा पहाटे अंटाि]ट3का@या +दशेने �वास करावा लागणार आहे... संशोधनासाठ. yया गोIट� गरजे@या आहेत 'या आDह� �योगशाळेम[ये ठेव-या आहेत...अ�भजीत सर Dहणाले, िजत]या लवकर होईल 8तत]या लवकर मो+हमे@या सव3 गोIट� पाणबुडीम[ये ठेवा...

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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58 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

वातावरण िLथर झालं तर कदा�चत आप-याला या दोन +दवसांतच मो+हमेला जावं लागेल...’’

पढु�ल दोन +दवस अ�भजीत संशोधनाच े आराखड े बनवतो आ9ण �श-लक असलेला वेळ �'येक जण आप-या कुटंूबा@या सहवासात असतो.

tेया, ‘‘चला, बरं आहे. तुला ल^नानंतर बायकोची कटकट सहन करावी लागत नाह�ये...’’

अ�भजीत, ‘‘Nडयर, थोड ंथांब... 8तथून परत आलो कi होईल सगळं �यविLथत...’’

tेया, ‘‘आय होप सो...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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59 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १० ‘‘रडार चके केलंस?’’

‘‘हो सर...’’

‘‘Nडझले चके केलंस?’’

‘‘हो सर...’’

‘‘इंिजन ओके आहे का?’’

‘‘हो...’’

‘‘पाणबुडी �यविLथत चालू शकत ेका?’’

‘‘हो सर...’’

‘‘सकुाणू �यविLथत काम करताहेत ना!’’

‘‘हो सर...’’

‘‘समoुाखाल� फोटो काढता येतील ना!’’

‘‘हो सर, सगळं करता येईल... काह� अडचण नाह�... तुDह� आतम[ये येऊ शकता...’’ बाब3रा वैतागतच Dहणत.े

‘‘मा+हत आहे गं मला सगळं... tेया �वचारत होती... मला सोडायला आल� आहे ती...’’ के�वलवाणा चहेरा करत अ�भजीत सांगतो. पाणबुडी@या आतमधून सगळे हस ूलागतात.

अ�भजीतला सोडायला आले-या छोWया बोटमधून tेया पु�हा ओरडून �वचारत,े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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60 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘जेवणाचं सगळं आठवणीने घेतलं आहे ना!’’ या वेळी tेयाचा आवाज सगkयांना ऐकू येतो Dहणून त ेपु�हा हसतात. अ�भजीत डो]यावर हात मा�न घेतो. हळू हळू एकेक क�न tेयाला बघ;यासाठ. सगळे पाणबुडी@या बाहेर येतात. बाहेर 'या बोटम[ये tेयासोबत रोडा, अ-बट3 आईवडील आ9ण ती बोट चालवणारा नावीक असतात. सगkयांना पाहून tेया ‘हाय...’ करत.े सगळे tेयाला �8तसाद देतात.

tेया, ‘‘जाLत काम नका क�... �भती वाटल� कi पु�हा मागे `फरा... सगkयांसाठ. मी बेसनच ेलाडू बनवलेत... आठवणीने खा... श]यतो पाणबुडीच ेदरवाजे उघडू नका... पा;या@या बाट-या सोबत घेत-या असतीलच ना... जाLत खोल जाऊ नका... मो�या मा{याजंवळ पाणबुडी नेऊ नका... तुम@यापैकi कुणाला पा;याखालच ेफोटो काढता येत असतील तर माUयासाठ. न]कi घेऊन या...’’

‘‘हो व+हनी...!’’ सगळे एकासुरात ओरडतात. अ�भजीत पु�हा Lवतः@या डो]यावर हात मा�न घेतो आ9ण tेयाकड ेबघून Dहणतो,

‘‘हॅलो मॅडम, संशोधन करायला चाललोय, �पक8नकला नाह�. फोटो काढा Dहणे... त ेलहानपणी वाचलं होतं, कोलंबसने ल^न का नाह� केल,ं आज �'यh अनुभव आला...’’ सगळे पु�हा हसू लागतात. अ�भजीत सवाBना आतम[ये जायला सांगतो. tेया मु�याम 'याची खोड काढत होती, अ�भजीत जे�हा पाणबुडीम[ये जातो त�ेहा पु�हा एकदा 8त@याकड े पाहतो, 8त@या 'या खोडकर नजरे म[येदेखील 'याला काळजी +दसत होती. एक वेळ 'या@या मनात �वचार आला, नको ह� मोह�म मी पु�हा तुUयाकड े येतो. ल^नाला एक म+हना झाला नाह� आ9ण मी तुUयापासून दरू चाललोय. पण मी मोह�म सोडून तुUयाकड ेआलेलं तुला आवडणार नाह�. नाह�, मी मोह�म पुण3 करतो आ9ण लवकरात लवकर तुUयाजवळ येतो. मग मी तुUया कुशीत डोकं ठेवून झोपेन, तू माUया केसांमधून हळूवार हात `फरव. मी तुUया डोkयांत बघेन आ9ण…

‘‘अभी, इंिजन सु� झाल.ं..’’ आतमधून िLटफन बोलतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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61 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ�भजीत एकदम शु[द�वर येतो. समोर पाहतो तर, tेया आ9ण सोडायला आलेले इतर सव3जण 'याचा 8नरोप घेत असतात. सवाBना 8नरोपाचा हात दाखवत लवकरच येईन असं अ�भजीत सांगतो आ9ण पाणबुडीम[ये जातो. अ-बट3 पाणबुडीचं झाकन बंद करतो. पाणबुडी पा;याखाल� जाऊ लागत.े tेयाची नजर 'या पाणबुडीव�न हटतच नाह�, हळूहळू पाणबुडी पा;याम[ये जाऊन नजरेआड होत,े तर�ह� समुoा@या आतमध-या �वाहाचा आवाज 8तला ऐकू येतो, थो�या वेळाने तो सु[दा बंद होतो. होडी `कना-या@या +दशेने जाऊ लागत.े नाह� Dहटलं तर� tेयाला अ�भजीतची �चतंा होत असत.े पण, तो पु�हा येईल याबाबत 8तला पणू3 खाSी असत.े दरूपयBत पसरले-या समुoा@या 8नkया पा;याकड े एकटक बघत ती `कना-यावर पोहोचत.े

पाणबुडी@या आतम[ये आ-यानंतर अ�भजीत संशोधनाचे सव3 आराखड े तपासू लागतो. मोहDमद रडार@या सहा�याने बाहेर@या हालचाल�ंवर लh ठेवतो. vुस आ9ण मेजर रॉजड3 पाणबुडी चालवतात. जेन आ9ण बाब3रा पाणबुडीतील सव3 कhांमधील �यवLथा तपासतात, अ-बट3 आ9ण िLटफन पा;याबाहेर असले-या कॅमे-या@या सहा�याने समुoातील हालचाल�ंकड ेलh ठेवतात, 'से�ग पाणबुडीला सॅटेलाईटसोबत जोडतो. 20 `कमी पुढे गे-यानंतर अ�भजीतची ट�म पाणबुडीवर पणु3पणे 8नयंSण �मळवत.े संचार�यवLथा सुरळीत अस-याने आ9ण कोणतीह� �वचीS हालचाल +दसत नस-याने जेन सहजच �वषय काढत,े

‘‘अ�भजीत, ल^न झा-यावर कसं वाटतंय?’’

‘‘छान...’’

‘‘फ]त छान...! tेया व+हनीबeल तू मला काह� सां�गतलंच नाह�स...’’

‘‘माग@या वेळेस सां�गतलं होतं ना! आDह� दोघे लहानपणापासून एकाच +ठकाणी होतो... शाळा, कॉलेज एकSच केल.ं.. आDह� लहान असतानाच एकमेकां@या �ेमात पडलो होतो, मोठं झा-यावर आDह� ल^न करायचं ठरवल.ं..’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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62 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘अ@छा, हो... बLस.. बस... मला वाटल ंकाह� नवीन सांगशील...’’

‘‘नवीन काय सांगू? जे काह� तुला माह�त आहे तचे... 'या�य8तRर]त काह� नाह�...’’

‘‘हDम...’’

दोघे गVप होतात. नंतर अ�भजीत vुसकड ेजातो.

‘‘थो�या वेळेपूवC मी �वचारणार होतो... आपण इत]या पुढे आलो आहोत, मला आप-या पाणबुडीम[ये कुठेह� इंधनाचे कॅन +दसले नाह�त, ए�हाना �लLटम[ये कुठेह� इंधनाचा उ-लेख नाह�ये...’’

vसु काह� बोलत नाह�, तो मेजर रॉजड3कड े बघतो. मेजर रॉजड3 अ�भजीतला पाणबुडीचं वेगळेपण सांगतात. vुस आ9ण अ�भजीत दोघेह� मेजर रॉजड3 यांना इत]या गंभीर संशोधनाबाबत जाब �वचारतात, vसुला +दलेलं LपIट�करण त ेअ�भजीतला देखील देतात.

मोहDमद, ‘‘सर, आप-यापासून 500 `क.मी. अंतरावर देवमासा आहे...’’

अ�भजीत, ‘‘काय? कसं श]य आहे?’’

अ�भजीत, िLटफन आ9ण अ-बट3 लगेचच मोहDमद@या +दशेने जातात. 'यांना रडारवर देवमासा +दसतो. अ�भजीतला 'या@या डोkयांवर �व{वास बसत नाह�, कारण त ेसमुoा@या yया भागातून जात असतात 'या भागात 3,000 वषाBम[ये देवमासा अस-याचा कोणताह� पुरावा न�हता. थो�या वेळात तो देवमासा 'यां@यापासून दरू जातो आ9ण रडारम[ये देखील तो +दसत नाह�. 'से�ग लगेच ह� मा+हती 'या@या संगणकाम[ये जतन करतो.

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63 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘देवमासा yया +दशेने गेला 'या +दशेने पाणबुडी �या... आप-याला 'या@या जाLत जवळ जायचं नाह�, पण कमीत कमी 100 `क.मी. अंतराव�न तर� आप-याला 'या@यावर नजर ठेवता येईल...’’

vसु, मोहDमद आ9ण मेजर रॉजड3 लगेच कामाला लागतात. अ-बट3 हा �शकाऊ अस-याने अ�भजीत 'याला Lवतःसोबत रहायला सांगतो. पRरिLथती `कतीह� गंभीर असल� तर� हा अ-बट3 Dहणजे पूण3तः पुLतकi `कडा आहे. 'याला कोणतीह� गोIट �वचारल� कi तो आपलं पुLतकi 7ान सु� करायचा. सवाBपुढे तो नवखा असला तर� 'याने +दले-या पुLतकi 7ानातून इतरांना समाधान �मळालं नाह� तर� 'याला Lवतःला तर� समाधान �मळायचं. Dहणून अ�भजीत गंमतीने 'याला एखाद� गोIट �वचारायचा आ9ण अ-बट3 आपलं बोलणं तोपयBत स�ु ठेवायचा, जोपयBत कुणी 'याला थांबवत नाह�. कधीतर� कंटाळा आला कi मुeाम अ�भजीत 'याला एखादा �{न �वचारत असे. इथे सु[दा थोडा �वरंगुळा Dहणून अ�भजीत 'याला �वचारतो,

‘‘आपण आता कुठे आहोत?’’

‘‘सर, आता आपण अटलां+टक महासागराम[ये आहोत.’’

‘‘मला पुण3 मा+हती दे...’’

‘‘सर, आपण yया महासागराम[ये आता आहोत 'या@या पि{चमेस उ'तर व दwhण अमेRरका, पवू�स यूरोप व आ`�का आ9ण दwhणेस अंटाि]ट3का ह� खंडे आहेत... उ'तरेचा आि]ट3क महासागर हा काह�ं@या मत े अटलां+टकचाच एक उपसमoु आहे, तर उ'तरधवृव'ृत व दwhणधवृव'ृत या काह�ं@या मते अटलां+टक@या उ'तर व दwhण सीमा होत... यां@या दरDयान अटला+ंटकची लांबी समुारे 14,450 `कमी. आहे, तर अंटाि]ट3कापयBत ती सुमारे 16,000 `कमी. आहे... सामा�यतः �वषुवव'ृता@या उ'तरेचा तो उ'तर अटलां+टक व दwhणेचा तो दwhण अटलां+टक असे असले तर� वारे, �वाह व तपमान यां@या �Iट�ने दोह�मधील सीमा 5 अंश उ'तर अhव'ृत ह� मानणे अ�धक यो^य होय... दwhण

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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64 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अटलां+टक@या मानाने उ'तर अटलां+टकम[ये बेटे, उपसमoु आ9ण `कनारे यांची �व�वधता अ�धक आहे... कॅRर�बयन समुo, मेि]सकोच े आखात, स�ट लॉरे�सच ेआखात, हडसनचा उपसागर, बॅ`फनचा उपसागर, भमू[य समुo, काळा समुo,

बाि-टक समुo, बॅर�Wस समुo, नॉव�िजयन समुo हे अटलां+टकच े भाग होत... आि]ट3क महासागरातून खु-या अटलां+टकम[ये बाहेर पड;या@या वाटा या पहायला गेलं तर अdंद आहेत... अटलां+टकम[ये पाणी वाहून आणणा-या �देशाच ेhेSफळ सुमारे 43 कोट� 23 लh चौ.`कमी., पॅ�स`फक@या `कंवा +हदं� महासागरा@या अशा hेSा@या चौपट आहे... जगातील ब-याच मोठमो�या न�या याच महासागराला �मळतात... याचा पूव3 `कनारा सुमारे 51,500 `कमी. व पि{चम `कनारा सुमारे 88,500 `कमी. आहे...’’

‘‘त ेनाह�, हा महासागराचा संबंध कोणकोण'या देशांसोबत जोडला जात आहे ते सांग...’’ अ�भजीत आराख�याम[ये बघतच 'याला �वचारतो. इतर सगळे आपलं हस ू आवर;याचा �य'न करतात. vुस तर अ-बट3@या या गोIट�ला कंटाळला होता. अ-बट3ने बोलायला सु�वात केल� कi तो कानात कापसाच े बोळे भ�न ठेवत असे. हातात असलेला नकाशा समोर घेऊन अ-बट3 पुढे बोल ूलागतो.

‘‘सर, अटलां+टक महासागर खूप मोठा आहे Dहणून 'याच े दोन भाग आहेत,

उ'तर आ9ण दwhण �वभाग. उ'तर अटलां+टकपेhा दwhण अटलां+टक मोठा असनू 'यात उपसमुo नाह�त... बेटे थोडी आहेत... स�ट पॉल रॉ]स, फन¦दो नरो�या, असे�शन, स�ट हेल�ना, �S8नदाद, मा+ट3न �हास, +JLटन द कुना, गॉफ् व ब�ूहे ह� सागर� बेटे आ9ण फरनँदो पो, साऊं टोमे, ��ि�सपे, आ�नबाँ, फॉकलंड,

साउथ जॉिज3या, साउथ सँड�वच व साउथ ऑbनी ह� खंडांशी सबंz आहेत... उ'तर अटलां+टकच े `कनारे अ�धक दंतुर व ज+टल रचनेच ेअसून 'यांतील बेटे मोठ. व पुIकळ आहेत... �ा�झ जोझफे, िLपWLबग�न, बेअर आयलंड, यान मायेन, आइसलँड, फेअरो, अझोस3, माद�रा, कानेर�, केप �हद3, �यू फाउंडलंड, �v+टश बेटे, वेLट इंडीज व बहामा ह� 'यांतील काह� बेटे आहेत...बमु3डा भाग देखील याच महासागराम[ये येतो... �ीनलंड हा या संदभा3त उ'तर अमेRरकेचा भाग समजला जातो... अंटाि]ट3का@या भोवतीच े8त�ह� महासागरांच ेपाणी सारmयाच

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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65 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

वै�शIWयांच ेअस-यामुळे 40 अंश दwhण@या दwhणेचा अटलां+टकचा भाग दwhण महासागरात धरतात.’’ अ-बट3 थांबतो.

‘‘ओके या व�न तुला काय समजल?ं’’

‘‘सर, याव�न एक गोIट समजत.े समजा, अटलां+टक महासागराम[ये एखाद� �सरण पावणार� घटना घडत असेल तर कालांतराने ती एक एक क�न अ[या3 जगाम[ये पसरत जाईल... महासागराला सीमा आपण ठरव-या आहेत, तर�ह� �सरण पावणार� गोIट इतर महासागरांम[ये देखील परसेल...’’

‘‘अगद� बरोबर... Dहणजे मूळ मeुा तुला कळला आहे...’’

‘‘हो सर...’’

‘‘आता एक काम कर, मोहDमद@या रडारवर yया गोIट� आप-याला +दसताहेत 'या तू नोट क�न ठेव... गंभीर असं काह� +दसल ंतर मला लगेच कळव... मी पाणबुडी@या खाल@या कhाम[ये आहे...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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66 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण ११ ‘‘ओके सर...’’ एवढं बोलून अ-बट3 मोहDमदजवळ जातो आ9ण अ�भजीत पाणबुडी@या खाल@या कhाम[ये, 8तथे दोन +ठकाणी काचा असतात. या काचा इत]या मजबूत असतात कi, पाणबुडी एखा�या दगडावर जर� आपटल� तर� 'या काचांना जरादेखील तडा जाणार नाह�. अ�भजीत 'या काचमेधून बाहेर पा;यामधील वाLतव जीवन पाहतो.

अगद� संथपणे मासे संचार कर�त असतात. जेल�फiश, लहान मासे, बेडूक, समoु� साप, छोटे शाक3 मासे अगद� संथपणे पा;यातून संचार करत होत,े हळूच एक जेल�फiश अ�भजीत उभा असले-या काचजेवळ येत.े अ�भजीत 8त@याजवळ जातो तोच ती घाब�न 8तथून 8नघून जात.े नंतर अ�भजीतला 8तथे कासव +दसतात. एक मोठा मासा आप-या �पलांना कुशीत घेत-या�माणे पाणबुडी@या �व�[द +दशेने जातो. जरा खाल� पा+ह-यावर अ�भजीतला 8तथे अ�कर `फश +दसतो, एखा�या राhसासारखा +दसणा-या 'या अ�कर `फश@या डो]याव�न एक पेशी डोkयासमोर आलेल� होती, 'यातून �काश 8नमा3ण �हायचा आ9ण 'या �काशा@या सहा�याने अंधारातून वाट काढत अ�कर `फश पुढे जात होता. yया�माणे प�यांचा थवा आकाशात मु]तपणे संचार करत असतो, 'याच�माणे लहान मासे पा;याखालून एकS इकडून 8तकड े `फरत होत.े इत]यात 'याला खाल� असले-या �वाळामंधून एक खेकडा वेगाने जाताना +दसतो. समुoाखालचं त े नयनरDय वातावरण बघत तो मोह�म, tेया, आईवडील, जॉड3न सर सवाBना �वसरतो.

दसुर�कड े चीन आ9ण र�शया यां@या संशोधकांना सॅटेलाईट�वारे अ�भजीतची पाणबुडी अंटाि]ट3का@या +दशेने जाताना +दसत.े अमेRरकi नौसेना आ9ण

‘इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी’ यांनी �मळून संपूण3 जगाचा �व{वासघात करत अंटाि]ट3का@या +दशेने जा;याचा �य'न केला Dहणून इतर देशांच े वै7ा8नक, संशोधक आ9ण सै�यदल 'यां@यावर कडाडून +टका करतात. ‘अ�भजीत@या ट�मला लगेचच मागे `फरायला सांगा नाह�तर आम@या bोधाला सामोरे जा...’ असे रोखठोक बोल र�शयाच े सै�य�मुख करतात.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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67 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अमेRरकेने 8नयमांचा भंग केला अस-याने अमेRरकi नौसेने@या अ�धका-यानंा ‘युनेLको’म[ये उपिLथत रहायला सांगतात.

पRरिLथती आणखी गंभीर होत,े ऑLJे�लया आ9ण �यु9झलंड देशाच ेसव3 जहाज पा;याम[ये बुडतात, जपानम[ये 'सुनामीचा मोठा तडाखा बसतो. जगातील वेगवेगkया देशांमधील जहाजं पा;याखाल� बुड;या@या घटना घडू लागतात. समoुातील पा;याच े �वाह अचानक बदलू लागतात, कुणालाह� काह� अंदाज यायला माग3 न�हता. काह� धा�म3क लोकांचं असं Dहणणं असतं कi, आपण देवाला Sास +दला आहे आ9ण आता देवाचा कोप झाला Dहणून तो आप-याला �शhा देत आहे. माS जगभरातील वै7ा8नक, सै�यदल आ9ण संशोधक 'यां@या बोल;यावर �व{वास ठेवू नका असं जाह�रपणे सु�चत करतात. संपूण3 जगभर हा बदल लगेच झालेला नसतो, गे-या `क'येक वषाBपासून पाऊस अ8नय�मतपणे पडत असतो. +हवाkयाम[ये थंडी वाढलेल� आ9ण उ�हाkयात कडा]याचं ऊन असतं. काह� +ठकाणी चम'काRरकपणे न�या गोठ-या गे-याचं +दसून येत होतं. माS ऑLJे�लया, �यु9झलंड, `फ�लपाई�स आ9ण काह� बेटांवर�ल जीवसIृट� धो]यात आ-याचं LपIटपणे +दसत होतं.

अ�भजीतची ट�म तZबल एक आठवडा पा;याखाल� असत.े पा;याचा तो �चंड �वाह 'यां@यापयBत येतो.

अ�भजीत, ‘‘ताबडतोब पाणबुडीची +दशा बदला. पाणबुडीला उ'तरेकड े�या...’’

मोहDमद, ‘‘'याचा काह� उपयोग नाह� सर, �वाह अ'यंत वेगाने आप-या +दशेने येत आहे...’’

अ�भजीत, ‘‘+ठक आहे, पाणबुडी सेफ मोडवर ठेवा आ9ण �'येकाने �ोटे]शन माLक घालून ठेवा...’’

पाणबुडीम[ये �ोटे]शन माLक ठेवले होत.े एखा�या वेळी पRरिLथती हाताबाहेर जात अस-याचा अंदाज येत असेल तर ताबडतोब सवाBना त े माLक घालावं

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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68 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

लागतं. 'यामुळे पाणबुडीला जोरात धडक बसल� `कंवा पाणबुडीचा अपघात जर� झाला, तर� आतम[ये असले-या वै7ा8नक आ9ण सै8नकांना जाLत इजा होत नाह�.

मोहDमद, ‘‘सर, लवकर इकड ेया...’’ अ�भजीतसोबतच जेन, बाब3रा आ9ण िLटफन मोहDमदजवळ जातात. रडारवर 'यांना xुवीय मासे 'यां@या +दशेने येताना +दसतात. सगळे एकमेकांकडे बघू लागतात. म'ृयूला आता पया3य न�हता. अ�भजीत पु�हा एकदा सवाBना �ोटे]शन माLक घालायला सांगतो. vुस आ9ण मेजर रॉजड3 पाणबुडीला पा;या@या वर ने;याचा �य'न करतात. पाणबुडी हळूहळू वर जाऊ लागत,े तोच पाणबुडीला जोराचा तडाखा बसतो. Lवॉन `फशचा जोरदार ध]का पाणबुडीला बसलेला असतो. पाणबुडी गोल `फ� लागत.े असे एकामागोमाग 60-70 Lवॉन `फश 'यां@या +दशेने येतात. vुस सव3 इंिजन बंद करतो. Lवॉन `फश गे-यानंतर पाणबुडीला एका +ठकाणी भेग पडून पा;याचा जोरदार �वाह 'यातून आतम[ये येतो. पाणबुडी आणखी खाल� जाऊ लागत,े

इत]यात पा;याची जोरदार लाट 'यां@या +दशेने येत.े �वाहाबरोबर त ेदरू फेकले जातात. आतम[ये �'येकाने �ोटे]शन माLक घात-याने कुणालाह� दखुापत होत नाह�. माS पाणी आतम[ये आ-याने पाणबुडीचं नुकसान होतं, पा;याचा मोठा �वाह आतम[ये येतो आ9ण बचाव कर;यासाठ. कसलाह� आधार घेता न आ-याने 'यात जेन वाहून जाऊ लागत.े 8तला वाचव;यासाठ. अ�भजीत आ9ण 'से�ग चू पढेु होतात. दोघेह� पा;या@या �वाहाम[ये उडी मा�न पोहतच दरवाजाजवळ जातात. एका बाजूने 'से�ग चु आ9ण दसु-या बाजूनं अ�भजीत आधारासाठ. एक साखळी पकडून ठेवतात. जेन पा;या@या �वाहाम[ये वाहत 'यां@यापयBत येत.े दरवाजाजवळ दोघेह� 8तला घ� पकडून ठेवतात. बाब3रा लगेचच इंिजन सु� करत ेआ9ण सगळे सुटकेचा 8नः{वास सोडतात.

पाणबुडी@या भोवताल� अचानक एक वगेळं आवरण तयार होतं आ9ण आत आलेलं पाणी वेगाने बाहेर जाऊ लागतं. आतम[ये असलेल� संशोधनाची मोठ. पेट� �वाहाबरोबर बाहेर जाऊ लागत.े अ-बट3चं लh लगेच 8तथे जातं. ती पेट� अ�भजीत, 'से�ग आ9ण जेन@या +दशेने येत असत.े अ-बट3 आपल� जागा सोडून

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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69 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

धावत 'या पेट�वर उडी मारतो आ9ण 'या पेट�ची +दशा बदलतो. तर�ह� ती पेट� अ�भजीत@या +दशेने येतेच. अ-बट3 पूण3 जोर लावून 8तला थांबवायचा �य'न करतो त�ेहा 'याला समोर@या टेबलापासून पढेु �8तबंधक दांडा +दसतो. अ-बट3 लगेच 'या दां�याला पकडतो. पा;या@या �वाहाबरोबर पेट� पाणबडुीबाहेर फेकल� जात.े अ-बट3 बचावला Dहणून अ�भजीत सुटकेचा {वास सोडतो. ग�धळा@या पRरिLथतीम[ये देखील सवाB@या चहे-यावर समाधान येतं. अचानक आतमधून एक मोठा टेबल पा;या@या �वाहाबरोबर बाहेर येतो, तो अ-बट3@या पोटालाच लागतो. जोराचा मार बस-याने अ-बट3 आपले हात सोडतो. टेबलासह अ-बट3 पाणबुडीबाहेर फेकला जातो. अ�भजीत मो�याने ‘अ-बट3..!!’’ Dहणून ओरडतो. पण, 'याचा काह� उपयोग होत नाह�. अ-बट3 वाहून गेलेला असतो. अ�भजीत@या डोkयाची पापणी देखील हलत नाह�, {वास एकदम बंद, बाहेरचं काह� ऐकू येत नाह� इत]यात जेन 'याला जोरजोरात हलवत.े..

‘‘अ�भजीत, बाजूला हो... पाठ.मागून दसुरा टेबल तुUया +दशेने येतोय...’’

अ�भजीत लगेचच बाजूला होतो. दसुरा टेबलदेखील बाहेर गे-यानंतर पाणबुडीची सव3 दारं बंद होतात.

कोण होता हा अ-बट3? अ�भजीतसाठ. एक लहान मुलगा होता तो. आपल ं�शhण पुण3 क�न नुकताच 'या@या हाताखाल� काम क� लागला होता तो. थोडासा पुLतकi `कडा होता, पण अ�भजीत खूप जीव लावायचा 'याला. नाह� Dहटलं तर� लहान भावासारखी वागणूक �यायचा तो अ-बट3ला. 'याची इ@छा असायची कi अ�भजीतने आप-या �'येक मो+हमेम[ये 'याला सोबत ठेवाव,ं

आ9ण 8नरागस मना@या 'या मुलाची ह� इ@छा अ�भजीत नेहमी पुण3 करत असे. आता अ�भजीतलादेखील अ-बट3ची सवय झाल� होती. हेच एक कारण होतं कi, अशा जीवघे;या मो+हमेम[ये देखील अ-बट3 अ�भजीतसोबत होता. पण अगद� अ�भजीत@या डोkयांसमh अ-बट3ने �ाण सोडावा? आ9ण 'यात अ�भजीतची इ@छा असून देखील 'याला काह�ह� करता न याव?ं अ�भजीतसाठ. यापेhा मोठ. शोकां8तका काह�च न�हती.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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70 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

थोडया वेळाने पाणबुडी पूव3िLथतीम[ये येत,े माS 'या सवाBचा कुणाशीह� संपक3 होत न�हता. अ�भजीत पाणबुडी वर घे;याच ेआदेश देतो.

पाणबुडी काठावर पोहोचत.े 'से�ग लगेचच अमेRरकi नौसेनेशी संपक3 साध;याचा �य'न करतो त�ेहा 'यांना अंटाि]ट3कावर�ल �चनी संशोधकांचं मोडलेलं जहाज +दसतं, पाणबुडी जहाजा@या +दशेने वळव;यात येत.े अ�भजीतबरोबर जेन आ9ण िLटफन पाणबुडीचं झाकण उघडून बाहेर येतात. जहाजाचं खूप नुकसान झालं असतं. 8तघेह� थंड पा;यातून पोहत, Lवान माशांना चुकवत 'या जहाजाम[ये जातात. अगोदर अ�भजीत 'या जहाजाम[ये �शरतो आ9ण मग तो जेन आ9ण िLटफनला आतम[ये घेतो.

आत गे-यानंतर 'यांना सव3 वै7ा8नक आ9ण संशोधक मृतावLथेत +दसतात. जहाजावर सील मासा आ9ण प�ि^वन यांच े देखील मृतदेह असतात. कुजले-या मांसा�माणे 'या सवाBना घाण वास येत होता. आप-या बोटांनी नाक दाबत अ�भजीत जहाजा@या वर@या +दशेने जातो त�ेहा 'याला 8तथे चीनमधील संशोधक डॉ. वेन िज�तो जखमी अवLथेत +दसतात. अ�भजीत िLटफनला वर बोलावतो. दोघेह� 'यांना तपासतात त�ेहा 'यां@या �दयाच ेठोके चाल ूअस-याचं 'यांना समजतं.दोघेह� 'यांना उचलतात आ9ण जेनला जहाजाम[ये असलेल� छोट� बोट पा;यात उतरवायला सांगतात. 'या बोट�म[ये डॉ. वेन िज�तो यांना अलगदपणे ठेवून 8तघेह� 'यांना आप-या पाणबुडीम[ये घेऊन जातात. त'पुवC जेनने 'या जहाजामधील संशोधन केलेल� मा+हती घेतलेल� असत.े

चौघेह� 'या जहाजामधून 8नघा-यानंतर लगेचच एक देवमासा जोरात 'या जहाजाला धडक देतो. ती धडक इतकi मोठ. असत ेकi काह� अंतरावर असलेले त े चौघेह� पा;याम[ये फेकले जातात. जे�हा पा;याखालून अ�भजीत 'या देवमाशाकड े बघतो त�ेहा तो देवमासा 'यां@या +दशेने येताना 'याला +दसतो. पRरिLथतीचं गां�भय3 ओळखून vुस पाणबुडीमधून लहर�ंचा एक मोठा आवाज करतो. हा आवाज फ]त पा;याखाल�च येतो. याची 8त§ता इतकi असत ेकi तो देवमासा �चंड �चडतो आ9ण पाणबुडी@या +दशेने जातो. आता आपलं काह� खरं नाह� हे सगळे मनाशी प]क ठरवतात तचे एक मोठा Lफोट 'या +ठकाणी होतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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71 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

Lफोटाने घाब�न तो देवमासा पु�हा पा;याम[ये जातो. पाणबुडी@या आतम[ये असलेले सगळे बाहेर येतात आ9ण पाहतात तर अमेRरकi सै�यदला@या सहा हे�लकॉVटस3 तथेे आलेले असतात. पाणबुडी +दसताच वीस-पंचवीस सै8नक पा;याम[ये दोरखंड टाकून पा;यात उतरतात. काह� सै8नक अ�भजीत, िLटफन,

जेन आ9ण डॉ. वेन िज�तो यांना हे�लकॉVटरम[ये नेतात. इतर हे�लकॉVटस3 आपले दोरखंड पाणबुडीला बांधतात आ9ण ती पाणबुडी घेऊन अजu+टना@या +दशेने 8नघतात.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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72 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १२ अ�भजीत समुoाकड े बघतच असतो. लाटांचा आकार मोठा झाला होता, समoु चांगलाच खवळलेला होता. वादळ ये;याची श]यता अस-याने सगळे हे�लकॉVटस3 वेगाने अंटाि]ट3का@या +दशेने 8नघतात. वाटेत सव3 संशोधकांवर उपचार केले जातात. डॉ.वेन िज�तो यांची �कृती गंभीर अस-याने 'यां@याकडे जाLत लh +दलं जातं. त ेअ[या3 तासानंतर डोळे उघडतात. अ�भजीत 'यां@या बाजूलाच बसलेला असतो. आपण जीवंत आहोत यावर 'यांचा �व{वास बसत नाह�.

‘‘अ�भजीत..?’’

‘‘हो, डॉ]टर...आपण अगद� बरोबर ओळखलंत... आराम करा... आता तुम@या �कृतीम[ये हळूहळू सधुारणा होत आहे...’’

‘‘�व{वासच बसत नाह�... इत]या मो�या तडाmयातून मी सुख�प कसा काय येऊ शकलो?’’

‘‘आDहाला तुमचं जहाज +दसलं होतं...’’

‘‘माझ ेइतर साथीदार सुख�प आहेत ना?’’

‘‘माफ करा सर, आDह� पोहोचेपयBत 'या सवाBचा म'ृयू झाला होता...’’

डॉ. वेन िज�तो दःुखी होतात. आप-या साथीदारांना गमाव-यामुळे 'यां@या डोkयांतून अtु येतात. 'यां@या त�डून शZद 8नघत नाह�, तर�ह� शर�रातील पूण3 श]ती एकवटून त े Dहणतात, “जे घडलं त ेभयाणक घडल.ं.. माS ज ेघडणार आहे त ेयाह�पेhा भयाणक घडणार आहे...’’

‘‘Dहणजे? मला आप-या बोल;याचा अथ3 समजला नाह�...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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73 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

हे�लकॉVटरमधील एक सै8नक 'यां@याजवळ येतो आ9ण 'यांना काह� न बोल;याची सूचना करतो.

डॉ. वेन िज�तो, ‘‘उपचार क�न काह� उपयोग नाह�... आता नाह� तर उ�या मला मरण येणारच आहे...’’

अ�भजीत, ‘‘असं नका Dहणू सर... जगाला आप-यासारmया �वmयात संशोधकांची गरज आहे...’’

डॉ. वेन िज�तो, ‘‘खूप उशीर झाला आहे...’’

अ�भजीत 'या सै8नकाला जा;यास सांगतो.

डॉ. वेन िज�तो थोड ंथांबत थांबत बोलू लागतात, ‘‘आDह�... आ�शयाई देशातील काह� संशोधक... आ9ण वै7ा8नक... अंटाि]ट3कावर संशोधनासाठ. गेलो होतो... 8तथे बफा3च े5 `क. मी. उंच थर होत.े.. थंडी खूप होती... Dहणून आDह� सव3 तयार� क�न... गेलो होतो... 8तथे उतर-यावर आDहाला... वेगळाच अनुभव आला... आDह�... या आधी सात वेळा... अंटाि]ट3का खंडावर गेलो होतो... सयुा3ची `करणे... नेहमी�माणे नारंगी रंगाची +दसत होती... आकाशाचा रंगदेखील तसाच होता... माS थंडी जाणवत न�हती... बफा3वर पाय ठेवताच... आमच ेपाय आतम[ये �तले गेले... कमरेपयBत भरले-या... आ9ण कच-याने तुडूबं असले-या... ना-यातून चालतो... 'या�माणे आDह� चालत होतो... आDहाला 8तथे वेगाने बफ3 �वतळत अस-याचं +दसल.ं..’’

‘‘पण सर, अचानक 8तथे जा;याचं काह� कारण?’’ अ�भजीत 'यांना म[येच थांबवत �वचारतो.

‘‘दोन... आठव�यांपासून आम@या यंSणेम[ये �बघाड अस-याने... यंSणा दु�Lत कर;यासाठ. आDहाला मोह�मेवर यावं लागल.ं.. वाटेतच समजलं कi... सव3 देशा@ंया यंSणांम[ये �बघाड झाला आहे... आDह� पु�हा मागे `फरलो... आ�शया खंडातील भारत, जपान आ9ण tीलंकेमधील... शाLS7ांबरोबर आDह� पु�हा

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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74 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

न�याने मोह�म सु� केल�... वाटेतच आDहाला सव3 देशां@या यंSणा... कोलमडून पड-याच े+दसले...’’

अचानक हे�लकॉVटरला जोराचा तडाखा बसतो. सगळे एकदम हाद�न जातात. समoुाम[ये वादळ आ-याने 'यां@या हे�लकॉVटरला पुढे जाता येत न�हतं. इतर हे�लकॉVटर एकमेकांशी संवाद साधतात त�ेहा 'यांना दwhण जॉिज3या बेटाजवळ अस-याच े कळत.े हे�लकॉVटर दwhण जॉिज3या@या +दशेने वळवल� जातात. वादळातून बाहेर 8नघा-यावर अ�भजीत जे�हा डॉ. वेन िज�तो यां@याकड ेपाहतो तर 'यांनी �ाण सोडलेले असतात. अ�भजीत 'यां@या हाताची नस तपासून पाहतो त�ेहा 'यांचा म'ृयू झा-याची 'याला खाSी पटत.े

वादळाचा सामना करत सव3 हे�लकॉVटस3 कसेतर� दwhण जॉिज3याजवळ पोहोचतात. 8नसगा3चं रौo �प 'यांना इथेदेखील +दसतं. दwhण जॉिज3याम[ये मसुळधार पाऊस सु� असतो. अधा3 जॉिज3या पा;याखाल� आला होता. लIकराकडून 8तथेदेखील मदतकाय3 सु� होतंच. माS 8तथे पोहोच-यामुळे 'यांना अजu+टनाला जाणं सोयीचं होतं, वादळाचा आ9ण लाटांचा जोर ओसर-यानंतर हे�लकॉVटर अजu+टना येथे उतरतात. अमेRरकi नौसेनेचं एक छोटंसं जहाज तथेे आलेलं असतं. पाणबुडी अमेRरकi नौसेने@या जहाजाकड े सुपदू3 कर;यात येत.े उपिLथत सै8नक अ�भजीत आ9ण 'या@या साथीदारांना LJेचर (�^णाला 'यावर झोपवून नेता येतं) व�न ताबडतोब जवळ@या �^णालयाम[ये ने;यात येतं. म'ृयू@या जब�यातून त ेसव3 सूख�प आलेले असतात, माS अ-बट3 आ9ण डॉ. वेन िज�तो यांचा म'ृयू डोkयासमोर झा-याने अ�भजीत खूप खूप द:ुख होत.े सततचा �वास आ9ण अंटाि]ट3काजवळ थंड पा;यात पोह-यामुळे अ�भजीतची �कृती जाLत �बघडल� होती. 'यातच तो हे�लकॉVटरम[ये अस-याने 'या@या संपणू3 शर�राला वेदना होत हो'या. �^णालयात नेत असताना वाटेतच अ�भजीत बेशु[द झाला.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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75 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १३

‘‘डॉ]टर, पेशंटने डोळे उघडलेत...’’

अ�भजीतने डोळे उघड-यावर नस3 लगेचच डॉ]टरांना बोलवायला जात.े tेया, िLटफन आ9ण रोडा लगेचच आतम[ये येतात. थो�या वेळाने डॉ]टर स[ुदा येतात.

‘‘अ�भनंदन, तुDह� आता शु[द�वर आला आहात...’’ डॉ]टर अ�भजीतची चौकशी करतात. अ�भजीत काह� बोलत नाह�, तो आजूबाजूला बघतो. tेयाला पा+ह-यावर 8तच े रडून लाल झालेले डोळे 'याला +दसतात. तो शुzीवर आ-याने Lट�फन आ9ण रोडा यांना आनंद झालेला असतो. अ�भजीतला तपासून डॉ]टर नस3ला काह� सचुना करतात आ9ण 8तथून 8नघून जातात.

tेया अ�भजीत@या बेडजवळील खुचCवर जाऊन बसत.े अ�भजीत काह� बोलत नाह�, तो फ]त सवाBकड े एकटक बघत असतो. tेया 'या@या डोkयात बघत राहत,े मग 'याचा हात आप-या हातात घेऊन खूप वेळ रडत.े अ�भजीतचा बेड 9खडकiजवळ अस-याने तो 9खडकiबाहेर बघत असतो, 'याला समुo +दसतो, समoुाम[ये हरवलेला अ-बट3 'याला +दसतो. 'या@या डोkयामंधून नकळत अtु येतात. िLटफन पुढे येऊन 'याच ेअtु पसुतो. पेशंटला Sास होतोय हे पाहून नस3 सवाBना बाहेर जायला सांगत,े माS अ�भजीत हात हलवत इशा-याने सवाBना थांबायला सांगतो. थो�या वेळाने अ�भजीत बोलू लागतो.

‘‘मला इथे `कती +दवस झाले?’’

‘‘सतरा +दवस...’’ िLटफन हल]या आवाजात बोलतो.

‘‘काय? सतरा +दवस मी बेशु[द होतो?’’

‘‘डो]याला जाLत ताण देऊ नकोस... आता आराम कर, मग आपण बोलू...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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76 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘आई आ9ण बाबांना याबाबत काह� माह�त आहे का?’’

tेया हातातला �माल त�डाजवळ घेत ेआ9ण रडत बाहेर जात,े 8त@या जा;याचं कारण अ�भजीतला समजत नाह�. ‘‘ती अशी रडत का गेल�?’’

िLटफन देखील काह� बोलत नाह�. नस3 अ�भजीतला �वtांती करायला सांगत.े tेयाचं वागणं पाहून अ�भजीतला 'या@या आईवडीलांची �चतंा होत.े पण कोणी काह� बोलत नाह�. सगळे 'याला �वtांती कर;याचा स-ला देतात. नंतरच ेदोन +दवस अ�भजीतला औषधे +दल� जातात, 'या@या �कृतीम[ये लवकरच सुधारणा होत.े 9खडकiतून समoु पाहत असताना िLटफन आतम[ये येतो. सोबत डॉ]टर आ9ण जॉड3न सरदेखील असतात. जॉड3न सरांना पाहून अ�भजीत बेडव�न उठ;याचा �य'न करतो.

‘‘अरे? उठतोस कशाला? आराम कर...’’ जॉड3न सर अ�भजीत@या शेजार� बसत Dहणतात.

‘‘सर, इथे मला गुदमरायला होतंय... बाहेर काय चाललंय, मला काह�च माह�त नाह�... ए�हाना माUया साथीदारांबाबत देखील मला काह�च मा+हती दे;यात आलेल� नाह�...’’

जॉड3न सर डॉ]टरांकड े बघत अ�भजीतला मा+हती दे;याची परवानगी घेतात. डॉ]टर होकाराथC मान दश3वतात.

िLटफन अ�भजीत@या हातात गे-या दोन आठव�यांच ेवृ'तपSं देतो. ऑLJे�लया आ9ण �यु9झलंड 70 ट]के पा;याखाल� गेले अस-याची बातमी 'यात होती. फ]त तथेील पव3त, उंच भाग एखा�या बेटा�माणे पा;या@या मधोमध आहे. जपानम[ये 'सुनामी@या तडाखा बस-याने तो अधा3 देश पा;याखाल� आला होता. भारत, पा`कLतान आ9ण tीलंका या देशांना देखील अरबी समुoातून 'सनुामीचा तडाखा बसला होता. 'याच बातमीव�न अ�भजीतला tेया@या

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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77 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

रड;याचं कारण समजल.ं उ'तर अमेRरका बफा3खाल� आलेल� असत.े अध3 जग Lमशान झाल ंअसतं आ9ण उरलेलं 'यावर शोक �य]त करत असतं. फ]त दोन आठव�यांम[ये जवळपास एक अZज लोक मृ'यूमखूी पडलेले असतात. अमेRरकi सै�याने काय�याचा भंग क�न अंटाि]ट3कावर पाणबुडी पाठ�व-याने 'यांना मो�या �शhेला सामोरं जावं लागल,ं ‘इंटरनॅशनल काउि�सल फॉर द ए]LVलोरेशन ऑफ द सी’ या संLथेला खूप मोठा दंड आकारावा लागला.

इत]या �व�चS आ9ण भयावह बातDया वाचून अ�भजीत एकदम सु�न होतो. आपण जे�हा बेशु[द होतो त�ेहा अध3 जग नIट झाल,ं आता उरलेलं जग आप-याला वाचवायचं आहे, 'यासाठ. काह�तर� करायचं आहे अशी भावना अ�भजीत@या मनात येत.े

अ�भजीत, ‘‘सर, मग आता काय करायचंय?’’

जॉड3न सर, ‘‘सव3 देशांच े �8त8नधी इथे जवळ असले-या हॉटेलम[ये थांबले आहेत. डॉ.वेन िज�तो यांनी तुला काह� मा+हती +द-याचं अमेRरकi सै�यातील एक जवान सांगत होता.’’

अ�भजीत, ‘‘हो, सर... मला समजलं सगळं... सव3 देशांच े�8त8नधी आप-याकडे चचा3 कर;यासाठ. आले आहेत... मी चच�साठ. तयार आहे...’’

अ�भजीतचा उ'साह पाहून जॉड3न सरांना 'याचा अ�भमान वाटतो. त ेअ�भजीतची पाठ थोपाटत 8नघू लागतात त�ेहा अ�भजीत 'यांना Dहणतो,

‘‘अगोदर माUया ट�ममधले वाचलेले सव3जण मला माUयासमोर हवे आहेत आ9ण डॉ.वेन िज�तो यां@या जहाजामधून आDहाला काह� मा+हती �मळाल� होती, ती मला लवकरात लवकर हवी आहे...’’

‘‘�चतंा क� नकोस... मी बघतो सव3...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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78 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

िLटफन 8तथेच अ�भजीतजवळ थांबतो. थो�याच वेळात जेन, बाब3रा, vसु,

मोहDमद आ9ण 'से�ग चु येतात. �'येका@या चहे-यावर �चतंा LपIटपणे +दसून येत.े माS �'येका@या मनात आपण काह� क� शकतो अशी आशा असत.े tेया आ9ण रोडा, दोघीह� आतम[ये येतात. अ�भजीत 8तला जवळ बोलावतो. ती इतकi भावना�ववश होत ेकi, धावत ती 'या@या �मठ.त जात ेआ9ण जोरजोरात हंुदके देत रडू लागत.े 8तथे असले-या �'येका@या डोkयातून पाणी येतं. ‘‘माUया शोना, मी आहे ना सोबत... नको रडूस... आता आप-या दोघांनाच एकमेकांचा आधार आहे...’’ tेयाचं रडणं थांबतच नाह�. शेवट� थो�या वेळाने ती शांत होत.े रोडा आ9ण जेन 8तचं सां'वन करतात. सगळं शांत झा-यावर बाब3रा जवळ असलेल� फळं बाहेर काढत.े रोडा आ9ण tेया ती फळं कापू लागतात. सगळे एकS ती फळं खातात. त�ेहा अ�भजीत जेनकड े डॉ.वेन िज�तो यां@या जहाजामधील मा+हती मागवतो. जेन ती मा+हती 'या@या हातात देत.े tेया आ9ण रोडादेखील 'या सवाBचा 8नरोप घेऊन 8तथून 8नघतात. मग पुढच े नऊ तास तो डॉ. वेन िज�तो यांनी �लह�लेल� मा+हती वाचतो. संपूण3 मा+हती वाचून झा-यावर 'याचा अंदाज खरा ठरतो आ9ण लगेचच उठत तो हाताची सलाइन काढतो. डॉ]टर 'याला थांबायला सांगतात.

‘‘डॉ]टर, मला थांबवू नका... अगोदरच उशीर झाला आहे...’’

‘‘मला पुण3 क-पना आहे... फ]त शर�राला जाLत Sास देऊ नकोस आ9ण तुUया ट�मकड ेमी टॅबलेWस देत आहे… जाLत अश]त वाटलं तर यात-या दोन गोkया खा...’’

‘‘न]कiच डॉ]टर, आप-या सहकाया3बeल आभार� आहे. तुDह� हॉिLपटलमधलं मह''वाचं सामान एकS क�न ठेवा आ9ण जॉड3न सरां@या आदेशांची वाट पहा.’’

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79 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १४

अ�भजीत जने आ9ण िLटफनला घेऊन जॉड3न सरांकड ेजातो. वाटेतच तो सव3 राIJां@या �8त8नधींची तातडीने बैठक �यायला सांगतो. अ�भजीत 8तथे पोहोचपेयBत सगळे आपाप-या जागी बसलेले असतात. स�ैयदलातील जवान देखील 8तथे उपिLथत असतात. संपूण3 कडकेोट सुरwhततेम[ये अ�भजीत 8तथे Lटेजवर जातो. जवळपास प�नास-पंचाव�न मा�यवर 8तथे उपिLथत अस-याने ग�धळ स�ु असतो. हातात माईक घेऊन अ�भजीत बोलू लागतो,

‘‘आपण सव3जण इथे आलात हे बरं केल.ं.. (सभागृहात शांतता पसरत)े कोणतीह� औपचाRरक गोIट न करता मी मूळ �वषयाकड ेवळतो... आप-याकडे िजतकi जहाजं, हो�या, पाणबु�या असतील. सगkया बाहेर काढा...

श]य होईल 8तत]या नागRरकांना 'याम[ये LथलांतRरत करा… जाLत +दवस परेुल अशा �कारचं अ�न 'याम[ये जमा क�न ठेवा... झाडदेंखील मो�या जहाजांम[ये जाऊ �या... जाLतीत जाLत �माणात तुळशीची �यवLथा �'येक जहाजाम[ये क�न ठेवा, कारण 'याम[ये ऑि]सजन उ'सिज3त कर;याचं �माण जाLत आहे... इंधन आ9ण गरजे@या सगkया गोIट� जहाजांम[ये साठवनू ठेवा... खास क�न सोलर पॅलन �'येक जहाजाम[ये असायला पा+हज.े..’’

म[येच चीनमधून आलेले एक सै�य अ�धकार�, ‘‘तुDहाला न]कi काय सांगायचं आहे? काय बोलत आहात, कशा@या आधारावर बोलत आहात, जे आहे त ेअगद� LपIटपणे सांगा...’’

अ�भजीत, ‘‘संपणू3 जग म'ृयू@या जब�यात जात असतांना मला या सव3 गोIट� स�वLतरपणे सांगायची गरज आहे, असं मला तर� वाटत नाह�. तुDह� सव3जण आपाप-या देशांच े�8त8नधी आहात. तुDहा सवाBना मा+हत असेलच आपण इथे न]कi कशासाठ. जमलो आहोत... या सव3 गोIट� घडत असताना 'या का घडत आहेत, कशा घडत आहेत, 'या घडवून आण;यासाठ. न]कi कोण जबाबदार आहे

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80 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

आ9ण ह� वेळ आप-यावर का आल�, या म©ुया◌ा◌ंवर चचा3 कर;यासाठ. माUयाकड ेतर� वळे नाह� आहे.’’

भारताच े �8त8नधी, ‘‘+ठक आहे. इतर �वषयांवर चचा3 नको, पण अंटाि]ट3का खंडावर गेले-या वै7ा8नक, संशोधक आ9ण सै8नकांबeल आप-याला काह� मा+हती �मळाल� आहे का?’’

अ�भजीत, ‘‘स[या 8तथे खूप भयाणक पRरिLथती आहे. बफ3 वेगाने �वतळत अस-याने समुoा@या लाटांचा....’’

प�ुहा अ�भजीतला म[येच थांबवत जम3नीच े�8त8नधी, ‘‘बफ3 वेगाने कसा काय �वतळू शकतो? माग@या सव�hणाम[येच आप-याला सांग;यात आलं होतं कi, अंटाि]ट3का खंडावर बफ3 �वतळत असला तर� 2050 पयBत फ]त 3 मीटर एवढ�च पा;याची पातळी वाढेल.’’

अ�भजीत, ‘‘मग ऑLJे�लया, �यु9झलंड, जपान, जॉिज3या आ9ण दwhणी बेटे काय 2 मीटर पा;यात बुडाल� आहेत का? महाशय, त�ेहा �दषूणाचं �माण कमी होतं. आप-याकडील माणसं अंटाि]ट3का खंडावर जाऊन आbमण करत न�हत.े 8तथ-या �ा;यां@या दैनं+दन काया3त ढवळाढवळ करत न�हत.े गे-या काह� वषाBम[ये �दषुणाचं �माण इतकं वाढल ं होतं yयामुळे `क'येक जीव आता अिLत'वात नाह� आहेत. आDह� संशोधक आपणा सवाBना सु�चत करत होतो, �दषूणावर 8नयंSण आणा, नाह�तर आप-या पुढ@या �पढ�ला मो�या संकटाचा सामना कर;याची वेळ येईल. पण आपलं �दषूण कर;याचं �माण इतकं वाढलं कi पुढ@या �पढ�@या समLया आताच आप-या पु�यात आ-या आहेत.’’

vा9झलच े सै�य अ�धकार�, ‘‘कृपया, बफ3 वेगाने �वतळत आहेत याचं आपण LपIट�करण देऊ शकाल का?’’

अ�भजीत, ‘‘गे-या अनेक वषाBपासून अंटाि]ट3का खंडावर�ल बफ3 �वतळत अस-या@या घटना आप-यापैकi अनेकांनी �'यh डोkयानंी पा+ह-या आहे. माS

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81 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

हे आप-या सवाBसमोर असलेलं एक वरवरचं �चS होतं. जो बफ3 �वतळत होता तो �वशालकाय बफा3@या कडांना आधार देणारा बफ3 होता. तो �वतळत अस-याने बफा3@या मो�या कडांना आधारासाठ. काह� �श-लक रा+हलं नाह� आ9ण त ेपा;यात पडू लागले. एक बफ3 पड-यानंतर 'यापाठोपाठ दसुरा, 8तसरा करत बफा3च े कड े पा;याम[ये पडत गेले. याम[येच आप-याकडील संशोधक,

वै7ा8नक आ9ण सॅटेलाईटसाठ. लाव;यात आलेल� यंSणा पा;याम[ये बुडून वाहून गेल�.’’

जॉिज3याच ेसै�यदल�मुख, ‘‘या गोIट� न]कi कशाचं संकेत देत आहेत?’’

अ�भजीत, ‘‘संपणू3 जग पा;याखाल� येणार आहे...’’

र�शयाचा दतुावास, ‘‘हे कसं श]य आहे? पा;याचा जोर आता ओसरला आहे. आम@या लIकर� खा'याने +दले-या मा+हतीनुसार आता कसलाह� धोका नाह�. फ]त ह� आप'ती कशी आल�, हे �वचारायला आDह� इथे आलो आहोत.’’

अ�भजीत, ‘‘माफ करा महाशय, अंटाि]ट3का खंडाम[ये जलदगतीने बदलणा-या हवामानाची न�द माUयाकड ेआहे... डॉ. वेन िज�तो यांनी �लहून ठेवलं होतं,

‘इत]या वषाBत प+ह-यांदा मी अंटाि]ट3का@या वातावरणाम[ये कमरेपयBत@या बफा3त अडकलो आहे... नेहमी�माणे असलेल� थंडी जाणवत नाह�... बफा3चे मोठमोठाले तुकड े1,000 त े5,000 मीटर उंचीव�न पा;यात पडत आहेत... इथले सव3 �ाणी, पhी आ9ण मासे भयभीत झाले आहेत Dहणून त े इथून भयभीत होऊन 8नघून जात आहेत...’ 'यां@याजवळ असले-या हवामानाचा अदंाज घेणा-या यंSामधून आ9ण ज.े सी. पी. Lकॅनर मधून �मळालेला डटेा आप-याला भ�वIयातील मो�या �वनाशाची सुचना देत आहे...’’

हॉलम[ये पु�हा ग�धळ सु� होतो.

इं^लंडचा दतुावास, ‘‘आप-या प�ृवीवर आता जवळपास 3 अZज@या आसपास लोक िजवंत आहेत आ9ण 'या सवाBना जहाजामं[ये घेणं श]य नाह�...’’

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82 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ�भजीत, ‘‘श]य असेल 8तत]या लोकांना वाचव;याचा �य'न करा...’’

चीनचा दतुावास, ‘‘ह� आप'ती कधीपयBत ये;याची श]यता आहे?’’

अ�भजीत, ‘‘त े मी सांगू शकत नाह�, सॅटेलाईटव�न देखील आप-याला 8तथला डटेा �मळणं कठ.ण झालं आहे... आप'ती िजत]या उशीरा येईल 8ततकं आप-यासाठ. चांगलं आहे...’’

सगkया देशांमधील दतुावास आ9ण सै�यदल अ�धकार� आपाप-या देशांम[ये लगेचच ह� मा+हती देतात आ9ण 'या सवाBना जहाजांम[ये जा;यासाठ. आवाहन करतात. संपूण3 जगावर जगबूडी येणार अस-याने एकच खळबळ उडालेल� असत.े जगावर येऊन गेले-या मो�या �लयानंतर आधीच अध3 जग म'ृयूमखूी पडलं असतं आ9ण 'यातून बचावले-या लोकांना आता शोक �य]त कर;यासाठ. वेळ नसतो. �'येकाने आता Lवतःचं संरhण करायचं असतं. संपूण3 जग जोमाने कामाला लागतं, काह� मि@छमार आपाप-या होडीम[ये आपलं गरजेचं सामान हलवतात. काह� उदार माणसं गर�बांसाठ. मोफत हो�या बनवून देतात. लIकर� जहाजामधील लढाऊ �वमाने उंच पव3तावर हलव;यात येतात. मोठमोठ. माणसं आप-याजवळचा पैसा दाखवून जहाजं �वकत घे;याचा �य'न करतात, माS पRरिLथती इतकi �बकट होते कi, फाई�ह Lटार जहाजांम[ये देखील माणसांना कच-यासारखं भरलं जातं. +दवस�+दवस पा;याची पातळी वाढत जाते. कुणी येशूकड े �ाथ3ना करतं तर कुणी अ-लाकड,े कुणाला राम आठवतो तर कुणाला कृIण, 'यांना आठवलेला येशु, अ-ला, राम, कृIण बहुतके 'यां@यावर उदार होतो कारण चीन आ9ण भारतातील वै7ा8नकांना एक अजब शोध लागतो.

चीन आ9ण भारत देशांमधील संशोधकांनी एका वेगkया �कार@या संयुगांची 8नमCती केलेल� असत.े ह� संयुगे लढाऊ �वमानां@या सहा�याने अंटाि]ट3कापयBत ने;यात यावी आ9ण 8तथेच ती संयुगे �मसळून अंटाि]ट3का खंडा@या जवळ अणु�वLफोट करायच.े yयामुळे 8तथलं हवामान इतकं बदलेल कi 48 तासां@या आत 'या भागात पा;याचा बफ3 �हायला सु�वात होईल. पा;याचा बफ3 होत

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83 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अस-याने समुoाची पातळी हळूहळू कमी होऊ लागेल आ9ण जाLतीत जाLत नागRरकांच े�ाण वाचू शकतील.

बातमीम[ये त�य होतं, पण त े संयुग न]कi `कती पRरणामकारक आहे हे सागंायला दो�ह� देशांमधील संशोधक तयार न�हत.े जॉड3न सरांनी संयुगांचा तप�शल मा�गत-यानंतर देखील 'यांना समो�न काह� �8त`bया आल� नाह�. पRरणामी 'यांना आbमक भु�मका �यावी लागल�, ‘जोपयBत आ�शया खंडातील शाLS7 न�या संयुगांबाबत मा+हती देत नाह�त, तोपयBत 'यांना मोह�मेवर जाता येणार नाह�.’ यावर आ�शया खंडातील चीन आ9ण भारत देश देखील आbमक होतात. ‘परवानगी नसताना देखील अंटाि]ट3का खंडाम[ये अन�धकृत मोह�म चालवणा-यानंी आDहाला �शकवू नये.’ असा टोला त ेजॉड3न सरांना लगावतात. चीन आ9ण भारत या देशांनी आपल� संयुगे LपIट केल� नसल� तर� जगाला 'यातून एक आशेचं `करण +दसत होतं, Dहणून सव3 देश चीन आ9ण भारत देशांना पा+ठंबा देतात. पा+ठंZयाला अपवाद असतात त े vा9झल, अजu+टना, यु. एस. ए., कॅ�लफो8न3या, जमैका, कोलं�बया, मेि]सको आ9ण कॅनडासह संपूण3 अमेRरका. Dहणजे एकटा अमेRरका खंड सोडला तर सपूंण3 जग चीन आ9ण भारतीय संशोधकां@या पाठ.शी होतं.

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84 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १५ आ�शया आ9ण युरोप खंडातील अनेक जाणकारांचा अ�भजीत आ9ण जॉड3न सरांवर �व{वास होता. अगद� पणजी येथील नॅशनल इि�LटWयूट ऑफ ओशनो�ाफi@या अ�धका-याचंा देखील अ�भजीतला पा+ठंबा होता. पण Dहणतात ना, ‘वेळ आल� कi गाढवाला सु[दा बाप बनवाव ं लागतं.’ तशीच अवLथा जगातील जनतचेी झाल� होती. इथे 'यांनी yयां@यावर �व{वास ठेवला होता त ेगाढव Dहण;यासारखे मुळीच न�हत.े पण त े आपला �स[दांत इतरांसमोर उघडपणे मांडत देखील न�हत.े 'यामुळे संपूण3 जगाकड े दसुरा पया3य न�हता. 'यांना �य]त होऊन अ�भजीतला समथ3न देखील देता येत न�हत.े म'ृयूला झंुज देत संपूण3 जगाचं लh भारत आ9ण चीन येथील संशोधकां@या संशोधनावर लागले होत.े

भारतामधील +द-ल� येथे संयुगे बन�व;याचं आ9ण चीनमधील �बिजंग मोह�म आख;याचं काम सु� होतं. दो�ह� देशांना संपूण3 जग आ�थ3क आ9ण लIकर� मदत करतं. र�शया, जम3नी, इं^लंड, �ा�स असे युरोपीय देश आप-या ता¤यातील लढाऊ जेट �वमानं या मोह�मेसाठ. देतात. पा`कLतान, अफगा8नLतान, आ`�का येथून अणु�वLफोटासाठ. लागणारा क@चा माल आणला जातो. �'येक देश या मोह�मेसाठ. काह� ना काह� मदत करतो. जवळपास 150 लढाऊ �वमाने अंटाि]ट3का खंडावर पाठव;याची तयार� सु� होत.े ह� �वमानं प�ृवी@या वतु3ळाकार भागातून अंटाि]ट3का@या सव3 बाजंूनी एकाच वेळी अणु�वLफोट घडवून आणणार होती.

पRरिLथतीचा �वचार करायला गेलं तर वेळ अशी होती कi, जगात सवाBत प+हले अणु�वLफोट घडवणारा अमेRरका या सवा3त श]तीशाल� अणु�वLफोट मोह�मेपासून अ�लVत होता. खरं तर सव3 देशामं[ये पु�हा अणु�वLफोट घडवून न आण;याच ेठरले होत,े पण या मोह�मेशीवाय इतर देशासंमोर पया3य न�हता. 1942 साल� +हरो�शमा आ9ण नागासाकi या +ठकाणी जे�हा अणु�वLफोट झाला त�ेहा ह� �णाल� नवीनच आ9ण अ'यंत लहान होती. 8तचा पRरणाम मोठा असला तर� ती �णाल� त�ेहा 8ततकiशी �वकसीत न�हती. माS आज@या युगात

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85 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अणु�व7ानाम[ये अनेक bांतीकार� बदल घडले. आि;वक `करणांचा �वकास क�न 'याम[ये मोठा संहार कर;याची hमता �वकसीत कर;यात आल�. आता जर अणु�वLफोट झाला, तर संपूण3 जगाचा �वनाश 8नि{चत आहे. 'यात इथे एक नाह� तर तZबल 150 अणु�वLफोट होणार आहेत आ9ण 'यातून होणा-या संहाराची कुणीह� क-पना क� शकत न�हतं हे माह�त अस-याने अमेRरका या मो+हमेला �वरोध करत होता. पण चीन आ9ण भारत येथे अणु�वLफोटाची तयार� जोर धरत असत.े

दसुर�कड े अमेRरकेत अ�भजीत आ9ण जॉड3न सरां@या नेतृ'वाखाल� अमेRरकi सै�य सव3 नागRरकांना जहाजाम[ये ने;याची �यवLथा करतात. yया गोIट� आव{यक आहेत 'या सव3@या सव3 जहाजांम[ये साठ�व-या जातात. यासाठ. नागRरकांना कायमचं घर सोडावं लागत अस-याने �'येकजण दुःखी असतो. अनेकजण तर भाव8नक होऊन (सहािजकच आहे) रडत होत.े अशा वेळी ‘अमेRरकेचा �'येक अ�धकार� आ9ण सै8नक शेवट@या {वासापयBत नागRरकांचं संरhण करेल असं मी आपणांस वचन देतो’ असं बोलून अमेRरकेच े राIJपती सवाBचा �व{वास िजंकून घेतात. 'यातच जॉड3न सरांना भारतातील 'यां@या एका गVुतहेराकडून भारताने तयार केले-या संयुगांची मा+हती �मळत.े जॉड3न सर लगेचच ह� मा+हती अ�भजीतला देतात. अ�भजीत लगेचच ती संयुगे तपासतो आ9ण 'याला कळून चुकतं कi, अंटाि]ट3का खंडाम[ये अणु�वLफोट झाला तर� या आि;वक `करणांचा 'यावर काह� पRरणाम होणार नाह�. महासागराम[ये मीठाचं �माण जाLत अस-याने चीन आ9ण भारत यांची मोह�म अयशLवी ठरेल आ9ण अणु�वLफोटातून 8नमा3ण होणा-या मो�या �वनाशाला संपूण3 जगाला सामोरं जाव ंलागेल. अ�भजीत इतका भाव8नक होतो कi, लगेचच तो चीन आ9ण भारत येथील संशोधकांना संपक3 क�न 'यांना मोह�म थांबवायला सांगतो. 'याला जगाबeल वाटणार� काळजी �ामा9णक होती, माS सरळ संशोधकांना 'यांची मो+हम थांबवायला सांगणं हा 'याचा सगkयात मोठा मुख3पणा होता आ9ण 'यामळेु आता ख-या अथा3ने 8तस-या महायु[दाला सु�वात होत.े अमेRरका �व�[द संपूण3 जग असे दोन गट पडतात. संपूण3 जग अमेRरकेवर आbमण

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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86 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कर;याची तयार� करतं, माS आधी अंटाि]ट3कावर�ल मोह�म उरकू आ9ण नंतर अमेRरकेकड ेबघू, असे चीनच ेपंत�धान Dहणतात.

माS आि;वक Lफोटांमुळे जगाला धोका अस-याने अमेRरका आणखी आbमक होत,े अजu+टनाजवळून अंटाि]ट3काकड े जाणा-या गुVत मागा3ची मा+हती फ]त अ�भजीत आ9ण 'या@या ट�मला होती Dहणून इतर देशां@या �वमानांना म[येच नIट कर;यासाठ. अ�भजीत अमेRरकi सै�याला सुचवतो आ9ण 'याबाबत आखणी देखील करतो. पण बमु3डाजवळ समुoाखालनू जाणा-या रL'याची मा+हती फ]त अ�भजीतला अस-याने जॉड3न सर अ�भजीतला देखील सै8नकांसोबत जा;यास सांगतात. प+ह-यांदाच अ�भजीत 'यांचं ऐकत नाह�.

‘इथे जग संकटात आहे, जगाला वाचवायचं असेल तर मला इथे राहणं मह''वाचं आहे Dहणून मी अंटाि]ट3का@या +दशेने जाणार नाह�.’ असं तो LपIट शZदांत सांगतो. खरं तर 'याला 'या@या शेवटच ेhण tेयासोबत घालवायच ेअसतात. tेयासोबतच 'याला 'याचं पुढचं आयुIय जगायचं असतं. एकदा महासागराम[ये जाऊन म'ृयू@या दारातून वाचलेला अस-याने तो अंटाि]ट3कावर जायचं टाळतो. जॉड3न सरांना देखील अ�भजीतचं बोलणं पटतं, त े दसु-या कामासाठ. 8नघून जातात.

आयुIयभर आप-या कामासाठ. झटत असलेला अ�भजीत प+ह-यांदाच LवाथC 8नण3य घेतो. तो अंटाि]ट3का@या +दशेने गेला असता तर 'याचा न]कiच फायदा झाला असता. माS tेयासाठ. तो अंटाि]ट3कावर जा;याचं टाळतो. कुठेतर� 'याचंह� 'या@या जागी बरोबर असतं, सव3 नातवेाईकांचा म'ृयू झालेला असताना 'याला tेया आ9ण tेयाला तो, असे त ेदोघेच असतात. ल^नानंतर दोन +दवस देखील तो 8त@यासोबत पुण3वेळ न�हता. आता जगाचा अंत होत आहे तर शेवटच ेhण तर� आपण 8त@यासोबत असावं असं 'याला वाटतं. जॉड3न सरांनी अ�भजीतला लढाऊ �वमानांची मा+हती �यायला सां�गतल� होती. अ�भजीत@या हातात 'या �वमानां@या इंिजन@या आकृ'या असतात. नेहमी@या सवयी�माणे अ�भजीत चुकून Dहणतो, ‘‘अ-बट3, मला �वमानांची मा+हती सांग...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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87 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

अ-बट3चा म'ृयू झा-याचं 'या@या लगेचच लhात येतं. थोडा वेळ तो गVपच राहतो. आपला जीव वाचावा Dहणून 'याने Lवतःचा जीव गमावला, का? तर 'याला मा+हत होतं कi, मी वाचलो तर जगाला या पRरिLथतीतून वाचवू शकतो. इतका �व{वास होता 'याचा माUयावर? आ9ण मी काय करतोय? Lवतः@या जबाबदार�पासून दरू पळतोय. नाह�, असं नाह� �हायला पा+हज.े अ-बट3चं ब�लदान मी असं वाया जाऊ देणार नाह�. मी अंटाि]ट3कावर जाणार आ9ण पRरिLथतीवर मात क�न इथे पु�हा येऊन tेयाला भेटून दाखवणार, मग काह�ह� होवो.

अ�भजीत अंटाि]ट3कावर जा;यास तयार होतो. 'या@यसोबत जेन, िLटफन, बाब3रा, मोहDमद, 'से�ग चू आ9ण vुसदेखील लगेचच तयार होतात. अमेRरकi नौसेनेच ेअ�धकार� मेजर रॉजड3 देखील 'यां@याबरोबर ये;याची तयार� दश3वतात. अ�भजीत न�या मोह�मेवर 8नघतो. 'याआधी तो tेयाला भेटतो. जग संकटात अस-याने कधी कुणाचा म'ृयू होईल सांगता येत न�हतं, अ�भजीतला यापुढे पाहता येणार नाह� या �भतीने ती 'या@या �मठ.त जात.े अ�भजीतदेखील 8तला प�ुहा भेट;याचं खोटं वचन देतो. 'याला मा+हत असतं, आपण yया मोह�मेवर जात आहोत तेथून प�ुहा येणं अश]य आहे. कमीत कमी मी ये;या@या आशेने तर� ती काह� +दवस �यविLथत जगेल.

अमेRरकi नौसेनेने पाणबुडीची द�ुLती केलेल� असत.े आता ह� पाणबुडी न�या मोह�मेसाठ. तयार असत.े पाणबुडी@या आतम[ये जात असताना अ�भजीतला अ-बट3ची उणीव �कषा3ने जाणवत.े सव3जण आपाप-या जागेवर जाऊन बसतात. पाणबुडी पु�हा एकदा 'या खवळले-या समुoाम[ये, म'ृयू@या जब�यात जाते आ9ण दसुर�कड े150 जेट एकाच वेळी नवीन संयुगे घेऊन अंटाि]ट3का@या +दशेने उ�डाण करतात. �वमानां@या अंटाि]ट3का मो+हमे@या �'येक सेकंदाची मा+हती �'येक व'ृतवा+हनीवर येत होती. कुणी रेNडओ, तर कुणी इंटरनेटवर या बातDया ऐकत आ9ण बघत होत.े ई{वर, अ-लाह, येशु आ9ण होत ेन�हत े'या सव3 देवतांच ेLमरण केले जात होत.े कुणाच े हात तर कुणाच े पाय थरथरत होत.े �वमानं जसजशी अंटाि]ट3का@या जवळ जात होती तसतशी �'येका@या �दयाची धडधड

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88 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

वाढत होती. काह� बोललं जातच न�हतं, फ]त शांतता होती. आ9ण 'या शांततमे[ये �वमानां@या मो+हमेची सुचना ऐकू येत होती. �वमानं अंटाि]ट3कापासून फ]त 200 `क. मी. दरू असतात, फ]त 15 �म8नटानंतर प�ृवीचा दwhण गोलाध3 अणु�वLफोटां@या आवाजाने भेद�न जाणार होता, तो समoुाम[ये च`bवादळ सु� झाल.ं �वमानांना समोरचं काह� +दसत न�हतं तर�ह� पRरिLथती 8नयंSणाम[ये होती. सव3 �वमानं एकमेकां@या संपका3त होती.

थो�या वेळाने वादळाचा जोर वाढू लागला. सव3 वैमा8नकांनी अणु�वLफोट कर;यासाठ. ह�च यो^य वळे आहे असं समजून अणुबॉDब पा;यात टाक;यास स�ुवात करणार तोच र�शयाचं एक जेट जोरात जम3नी@या एका जेटवर आदळतं. जम3नीचं त े�वमान इतर �वमानांवर 8नयंSण ठेवत होतं. 'यामळेु सव3 �वमानांचा एकमेकांशी आपोआप संबंध तुटतो. सव3 �वमानं च`bवादळाम[ये अडकून एक-एक क�न पा;यात पडतात. जणू काह� ती लढाऊ �वमानं नसून लहान मुलांनी कागदापासून तयार केलेल� �वमानं आहेत. असं करता करता सव3@या सव3 150 �वमानं अंटाि]ट3का@या जवळ पा;याम[ये वाहून जातात. चीन आ9ण भारताने ठरवलेल� ह� मो+हम अपयशी ठरत.े संपूण3 जग पु�हा एकदा दःुखात लोटलं जातं.

‘आता जहाजांम[ये जाऊन उपयोग तर� काय? समoुाला, येणा-या 'सुनामीला कोणीह� थांबवू शकत नाह�. �वनाश अटळ आहे. संपूण3 जग लवकरच पा;याखाल� जाणार आहे. प�ृवी पुण3पणे जलमय होणार आहे. माणसासोबतच �ा;यां@या अनेक जाती नIट होणार आहे. ह� झाड,ं हे पशूपhी, या इमारती, हे उंच@या उंच टॉवस3, काह�च �श-लक राहणार नाह�. ‘जगबूडी होणारच’ �ा�सच ेएक धम3गु� हे �वधान करतात आ9ण संपूण3 जगावर अtंुचा पुर येतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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89 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १६

पा;याचा �वाह वाढला होता. 'यामुळे पाणबुडीला yया मागा3ने जायचं होतं 'या मागा3ने जाता येत न�हतं. रडार, +दशादश3क काह� काम करत न�हतं. समुoा@या लाटा जाLतच उसळ-या हो'या. अ�भजीतला काचतूेन देखील बाहेरचं काह� +दसत न�हतं. �व{वास बसणार नाह�त अशा 30 मीटरपयBत उंची@या समुoा@या लाटा हो'या. �'येक 1000 मीटरवर लाटांचा हा थर वाढतच होता. पाणबुडीम[ये मोजकंच इंधन �श-लक रा+ह-याने बाब3रा जनरेटर चालू करत.े पाणबुडीबरोबर असलेले अमेRरकi सै�यदलाची लढाऊ �वमानं +दसेनाशी झाल� होती. काह�च कळायला माग3 न�हता. पाणबुडी चुकi@या +दशेने जात आहे याचा vुस आ9ण मेजर रॉजड3 यांना अंदाज आला होता. पा;याचा �वाह इतका जाLत होता कi, पाणबुडी एका कागदा@या होडीसारखी वाहून जात होती. 'से�ग द�ुब3नमधून बाहेर�ल पRरिLथतीचा अंदाज �यायचा �य'न करतो त�ेहा पाणबुडी एका मो�या खडकावर आदळणार आहे हे 'याला LपIट +दसतं. ह� गोIट तो इतरांना सांगू शकला नाह�, उशीर झाला होता. 'या खडकावर पाणबुडी जोरात आदळत.े तो ध]का इतका मोठा असतो कi, आतम[ये मार लागून सव3जण बेशु[द होतात.

मेजर रॉजड3 शु[द�वर येतात. इकत8ेतकड े पा+ह-यावर 'यांना सगळे बेशु[द असलेले +दसतात. इंिजनकड ेपा+ह-यावर 'यांना स`क3 ट जळालेले +दसत.े जवळ पडलेल� पा;याची बाटल� घेऊन त े पाणी अ�भजीत@या त�डावर �शपंडतात. अ�भजीत शु[द�वर आ-यानंतर जेन, vसु, िLटफन, मोहDमद आ9ण बाब3रा यांना त ेउठवतात. अ�भजीत 'से�ग चु @या जवळ जातो त�ेहा 'से�ग@या छातीम[ये स`क3 ट घुस-याचं 'याला कळतं. 'या@या हाताची नाडी तपासून पा+ह-यावर 'से�गचा म'ृयू झा-याचं 'याला समजतं. अ-बट3नंतर आपला आणखी एक साथीदार गमाव-याने सगळे हळहळतात. पण शोक �य]त क�न काह� होणार नाह�, आता जे वाचले आहेत 'यांनी आपल� जबाबदार� पार पाडावी अस ं त ेठरवतात. मोहDमद आ9ण िLटफन 'से�गचं �ेत खाल@या कhात नेतात.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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90 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

खाल@या कhाम[ये वरचा भाग सोडला तर इतर सव3 बाजंुनी काच अस-याने पा;याखालचं अगद� LपIट +दसायचं. 'से�गचं �ेत 8तथे टाक-यानंतर िLटफनला पा;याखाल� काह�तर� +दसतं. थोड ंअंधूकच, मग तो 'या कhाम[ये उडी मरतो आ9ण आणखी बारकाईने बघ;याचा �य'न करतो. पाणबुडी 'याच +दशेने जात अस-याने त े �चS हळूहळू LपIट होत जातं. डोkया◌ा@या भुवया उंचावून िLटफनचेडोळे मोठे होतात आ9ण तो एकाएकi ओरडतो.‘ताबडतोब सवाBना इथे खाल@या कhात घेऊन ये’ असा 8नरोप तो मोहDमदकड े पाठवतो. मेजर रॉजड3पासून अ�भजीतपयBत सव3च खाल@या कhाम[ये येतात. कुणालाह� Lवतः@या डोkयांवर �व{वास ठेवता येत न�हता. बाब3रा तर अ�भजीत@या खां�यावर डोकं ठेवून रडू लागत.े अमेRरकेची ओळख असलेला LवातंSदेवतचेा पतुळा पा;याखाल� पडलेला असतो. अवशेषांव�न हाच तो पुतळा अस-याचं 'यां@या लhात येतं. पुतळा आडवा झाला होता आ9ण हातातल� मशाल तवेढ� LपIट +दसत होती. इकड8ेतकड े पा+ह-यावर 'यांना अमेRरकेतील उंच इमारती पा;याखाल� अस-याचं +दसतं. बसेस, Jक, दकुानांच े फलक आ9ण आतम[ये अडकले-या माणसांच ेतरंगणारे अवशेष पाहणं 'यांना सहन होत नाह�. आप-या भावना आव�न अ�भजीत पाणबुडी वर �यायला सांगतो. सगळे पाणबुडी@या मध-या कhात जातात. िLटफन माS खाल�च असतो. अमेRरकेची अवLथा 'याला पाहवत नाह�. आप-या प'नीचं काय झालं असेल या �वचारानेच 'या@या डोkया@या कडा पाणावतात. असंच पा;यात पाहत असताना एका मृत माणसाचा तुटलेला हात 'या@याजवळून पा;या@या वर जाताना 'याला +दसतो आ9ण िLटफन लगेचच वर@या कhाम[ये जातो.

‘‘पाणबुडीम[ये ऊजा3 आ9ण ऑि]सजन खूप कमी आहे. आप-याला पाणबुडी वर �यावी लागेल.’’ vसु Dहणतो.

‘‘+ठक आहे. बाब3रा, इंिजन चालू कर आ9ण (मेजर रॉजड3 यां@याकड े पाहत) पाणबुडी पा;या@या वर �या.’’ अ�भजीत Dहणतो.

पाणबुडीचं बंद झालेलं इंिजन चालू कर;यात येतं. माS ऑि]सजनचा साठा संप-याने पाणबुडी वर ने;या�शवाय दसुरा पया3य न�हता. पाणबुडी हळूहळू वर

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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91 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

जाऊ लागत.े िLटफन रडार यंSणा सु� करतो. स`क3 ट जळा-याने रडार सु� होत नाह�. +दशादश3क देखील बंद झालेलं असतं.

पाणबुडी पा;या@या वर येत.े मेजर रॉजड3 आ9ण अ�भजीत पाणबुडीचं झाकण उघडतात. अंधारातून एकदम बाहेर उजेडात आ-यावर 'यांच े डोळे चुरचू� लागतात. `क'येक +दवसांपासून सयुा3ची `करणंदेखील 'यां@यापयBत पोहोचल� न�हती, सयु3 तर दरूची गोIट होता. एक - एक क�न सगळे पाणबुडी@या वर येतात. डोळे चूरचूरायच े थांब-यानंतर हळूहळू 'यांना LपIट +दसू लागतं. अ�भजीत इकड8ेतकड ेपाहतो. दरूपयBत 'याला फ]त पाणीच +दसतं. ज�मनीचा तुकडादेखील कुठे नसतो. वर आकाश आ9ण खाल� चहूबाजंूनी समoुच समoु,

समoुा@या 'या भयाण लाटा, 'यावर तरंगत असलेले थमा3कॉल, VलािLटक, कचरा, मानव आ9ण जनावरांची �ेतं. संपूण3 समoु घाण झाला होता. मेले-या �ेतांचा कुजलेला वास येत होता. घार, ग�ड, कावळे असे मासंाहार� पhी 'या मतृ शर�रांवर बसून मLतपैकi लचके तोडत होत.े कुठेतर� देवमासा पा;या@या वर येऊन पु�हा पा;यात उडी मारत होता. भयाण शांतता आ9ण 'याम[ये फ]त आ9ण फ]त समुoा@याच लाटाचंा आवाज येत होता. अशा 'या भयाण शांततते पा;या@या मधोमध 'यांची पाणबुडी, �'येका@या डोkयातून पाणी येत होतं. न रहावून vुस पा;यात उडी मारतो. पा;याखाल� गे-यानंतर 'याला माणसाचंे मतृदेह, कचरा, पडले-या इमारती +दसतात. नजर जरा इकड8ेतकड ेवळव-यावर 'याला काह� शाक3 मासे 'या@या +दशेने येताना +दसतात. जीव वाचव;यासाठ. तो लगेचच वर जा;याचा �य'न करतो. पाणबुडी@या वर सगळे vुसची �चतंा करत असतात. vुस बाहेर आ-यानंतर मेजर रॉजड3 आ9ण मोहDमद लगेचच 'याला पा;याबाहेर काढतात. कोणीह� 'याला काह� बोलत नाह�. बोलणार तर� काय? इथे �'येकालाच खोलवर ध]का बसला होता.

जेन आ9ण बाब3रा एकमेकiंना घ� पकडून रडत असतात.

डोkयातलं अtु सावरत अ�भजीत Dहणतो, ‘‘माUया ल^नाला एक म+हनादेखील झाला न�हता... लहानपणापासून आDह� दोघं सोबत होतो. पण, मला ल^नानंतर 8तची जाLत गरज वाटू लागल�. 8त@यासाठ.च मी इतका �शकलो, आता 8तला

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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92 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कसल�ह� कमी पडू �यायची नाह� असं ठरवलं होतं... साधा एक +दवस सु[दा 8त@यासाठ. देता नाह� आला मला... आयुIयभर 8तने आम@या ल^नाची वाट पा+हल�, आ9ण ल^नानंतर एक +दवस सु[दा एकमेकांसोबत राहता नाह� आल.ं.. मला पुढचं पूण3 आयुIय 8त@यासोबत जगायचं होतं...’’

मेजर रॉजड3, ‘‘माUया दोन मुल�... अजूनह� लहानच हो'या... नुक'याच शाळेत जाऊ लाग-या हो'या... 'यां@या ज�मानंतर दोन-तीन वष3 मला 'यांना बघता आलं नाह�, सतत जहाजावरच असायचो... तर�ह� माUया प'नीने 'यांना माझी कसल�ह� कमतरता भासू +दल� न�हती... दोन +दवसांची सु�ी �मळल� कi त ेदो�ह� +दवस मी 'या दोघींबरोबरच असायचो... खूप कमी वेळ देता आला मला 'या दोघींना... पण 'यांनी माUयाकड ेकधीह� तbार केल� नाह�... िजतका वेळ मी 'या दोघींबरोबर असायचो, 8ततका वेळ 'या माUयावर �ेमाचा वषा3व कराय@या... त�ेहाच ठरवलं होतं, इथून 8नव'ृती िLवकार-यानंतर आप-या लेकiंकड ेलh �यायचं, 'यांना आप-या आयुIयातला पुण3 वेळ �यायचा...’’

िLटफन, ‘‘रोडा आ9ण माझा संसार 10 वषाBचा, इतकi वष3 आDहाला एकह� मुल नाह�... ती दःुखी असायची, पण 8तने 8तचं दःुख आत-या आतच दाबून ठेवलं होतं... पण मला त ेसगळं कळत होतं... आDह� खूप �य'न केले होत ेआ9ण आDह� चार म+ह�यांपूवC केले-या �य'नांना अखेर यश आलं होतं... ती खूप खूश होती... मला सांगायची, तू तुUया कामाकड ेदलु3h क� नकोस, इतकi वष3 मी या +दवसाची वाट पा+हल� आहे, आता मी काळजी घेईन Lवतःची...’’

मोहDमद, ‘‘कामा@या �यापामूळे मला माUया अDमीला साधं भेटताह� आलं न�हतं... आपल� ह� मोह�म संप-यावर मी 8तला हज याSेला घेऊन जाणार होतो... तशी 8तची शेवटची इ@छाच....’’ आ9ण मोहDमद हंुदके देत रडू लागतो.

vसु, ‘‘आता दःुख �य]त क�न काह� होणार नाह�... ह� सगळी आप-याच कमा3ची फळं आहेत... जगावर आपला ह]क आहे असं समजून आपण 8नसगा3चा नाशच करत आलो... 8नसगा3चं संपूण3 चb आपण �वLकळीत केल.ं.. मग भकंूप, 'सनुामी, परू, अंटाि]ट3कामधील बफ3 �वतळू लागले अशा गोIट�ंनी

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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93 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

8नसग3 आप-याला धो]याचा इशारा आधीपासूनच देत आला होता... आपणच 'या@याकड ेदलु3h करत होतो... माझं तर या जगात कोणीह� न�हतं, पण हे जग तर माझं होतं ना... सगळंच उ[दवLत झालंय...’’

नंतर कोणी काह�ह� बोलत नाह�, जो तो आपाप-या �वचारातं हरवलेला असतो. संशोधक, वै7ा8नक, सै8नक असले तर� त े सव3 माणूसह� होत.े yयां@यासोबत 'यांना आपलं पूढचं आयुIय जगायचं होतं, तचे सोबत नाह�त तर या जग;याचा तर� काय उपयोग? 'यापेhा नकोच हे जगणं, असा �वचार �'येका@या मनात येतो.

vसुला 'याची अगोदरची प�ृवी आठवत.े vुसचं 8नसगा3वर खूप �ेम होतं. प�ृवीवर@या जु�या आठवणींम[ये तो हरवूनच जातो. तो कुठेतर� चालत जात असतो, ‘जरा कुठे पाऊस थांबला आ9ण शर�रातून घामा@या धारा वाहायला लाग-या...’ हे वा]य 'या@या कानी पडतं... पावसाkयातला गारवा कमी होऊन वातावरणात पु�हा उIणता वाढू लाग-याचं 'याला जाणवतं. गे-या चार म+ह�यांपासून आप-याला गार�याची सवय होऊन अचानक उ�हं पडू लागल� कi, Sास जाणवू लागतो, तसं 'याचं होतं. बंद वातानुकू�लत जागेतून उघडयावर आ-यासारखं वाटतं. अचानक अंधार होतो, राS असत.े तो आकाशात बघतो तर चंoह� प�ृवी@या जवळ येताना 'याला +दसतो. काजवे 'या@या अवतीभोवती येतात. रात`क�यांचा आवाज येऊ लागतो. वटवाघळं, घुबड ं उडत अस-याची 'याला +दसतात. कुठेतर� नद�@या पा;याचा खळखळ आवाज येतो. पुढे गे-यावर 'याला नद�@या काठ. वाघ, �सहं, हर�ण, ग�डा, लांडगा, ह'ती पाणी पीत असताना +दसतात. �ाणी श]यतो राSीच नद�@या काठ. जातात हे 'याला माह�त होतं. 'या@या पायाखालून साप जातो, मग vुसला तो साप पकडावासा वाटतो, 'या सापाचा पाठलाग करत vुस नद�पासून लांब येतो आ9ण झाडां@या पल�कडे गे-यावर 'याला शरदात प�ृवीचं स¬दय3 +दसतं. अधेमधे पाऊस पडत अस-यामुळे सभोवताल� +हरवळ पसरलेल� असत.े नद�, तळी, तलावांत ब-यापैकi पाणी असतं. शेतात सभोवताल� झ�डू, शेवंतीची फुलं उमलतात. कांचनार (आपटा) लाल-�पवkया फुलांनी फुललेला असतो. सVतपण3 बार�क फुलां@या गु@छांनी

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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94 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

बहdन जातो. �वजयसार, कुर;डक यासारखे वhृह� +हरवेगार होतात. vुसला सगळीकड े +हरवळ +दसत,े प�ुहा सयु3 उगवतो, पhी आकाशात संचार करतात,

कुठूनतर� कोकiळेचा आवाज येतो. आभाळ पु�हा भ�न येतं, तो मंद गार गार वारा, सव3 प�ृवी जणू संप�न आ9ण �स�न असत.े

‘‘vसु...!’’

vसु एकदम भानावर येतो. समुoा@या पा;याने संपूण3 प�ृवीला वढेलेलं असतं आ9ण 'या@या मधोमध असले-या पाणबुडी@या वर vुस मांडी घालून बसलेला असतो. मोहDमदने आवाज +द-यावर vुस 'या@याकड ेबघतो.

‘‘हं... काय झाल.ं..?’’

‘‘इथे ऊन खूप आहे... अ�भजीत सरांनी सगkयानंा पाणबुडी@या आत यायला सां�गतलंय...’’

दोघेह� पाणबुडी@या आतम[ये जातात आ9ण पाणबुडीचं झाकण बंद करतात.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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95 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १७ आतम[ये जो तो आप-याच �वचारात होता. कोणीह� कुणाशी काह� बोलत नाह�. सगळं संपलं होतं, आता जायचं तर� कुठे? आ9ण का? कुणासाठ. जायचं? आपण मोह�मेवर होतो त�ेहा संपूण3 जगाचा अंत झाला.

पाणबुडीमधल� वीजदेखील संपत.े मेजर रॉजड3 बाब3राला सोलर पॅनल चालू करायला सांगतात, yयाने पाणबुडीम[ये �वजेची 8न�म3ती होईल. बाब3रा पाणबुडीमधील सव3 सोलर पॅनल चालू करत.े थो�या वेळाने पाणबुडीम[ये पु�हा वीज येत.े अ�नदेखील संपलं होतं. भुक तर सवाBनाच लागल� होती.

‘‘आपण तर� का वाचलो? आपण सु[दा मरायला हवं होतं... कमीत कमी हा +दवस तर� पाहता आला नसता...’’ मोहDमद उदास Lवरात Dहणतो.

जेन खुचCवर पडत े , ‘‘खूप भकू लागल�ये... माUयात चाल;याची देखील hमता नाह�ये...’’

अ�भजीत, मेजर रॉजड3 आ9ण vुस एकमेकांकड े पाहतात. अ�भजीत मोह�मेचा �मखु अस-याने, मेजर रॉजड3 सै�यातील वRरIठ अ�धकार� अस-याने आ9ण vुस पाणबुडीचा कVतान अस-याने सव3 जबाबदार� 'या 8तघांची होती. पRरिLथतीचं गांभीय3 समजून 8तघेह� Lवतःला सावरतात.

‘‘आप-याला पाणबुडी@या बाहेर जायला हव.ं.. कदाचीत काह� खायला �मळेल...’’ vसु Dहणतो.

‘‘काय खाणार आपण? आप-या कुटंूबातील सदLय yया समुoाम[ये मेलेत, 'या समoुामधून आपण काय खाणार? आप-या कुटंूबाचं र]त 'या पा;यात �मसळलं आहे...’’ िLटफन.

‘‘असं नाह� िLटफन, आता आपण िजवंत आहोत...आप-याला काह�तर� करायला हव.ं..’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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96 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘अ@छा... मग काय करायचं आपण?..’’

‘‘िLटफन, तू जरा शांत बस... इथे आम@यावर तुDहा सवाBची जबाबदार� आहे...’’

िLटफन गVप बसतो. पण 'याच े ‘मग काय करायचं आपण?’ हे शZद अ�भजीतला खूप टोचतात. खरंच, काय करायचं आपण?

vसु आ9ण मेजर रॉजड3 पाणबुडीबाहेर अ�न �मळव;यासाठ. जातात. दोघेह� पाणबुडीवर बसूनच असतात. आता न]कi करायचं तर� काय? पा;यात उडी मारल� तर मोठे मासे आप-या शर�राच े लचके तोडतील. इथे बसूनह� काह� उपयोग नाह�. भुकेने मर;यापेhा उ�हा@या 8त§तनेेच म�, असं 'या दोघांना वाटू लागतं. पाणबुडी@या वरचा भाग देखील गरम झाला होता. 'या दोघांना चटके बसत असतात, पण RरकाDया हाताने पाणबुडीत जायचं नाह� असं 'यांनी ठरवलेलं असतं. साधारण दोन त ेअडीच तास थांब-यावर दूर 'यांना एक मोठ. �पशवी तरंगत अस-याचं +दसतं. त ेअंतर साधारण शंभर मीटर इतकं होतं. vुस पा;याम[ये उडी मारतो. पोहत तो 'या �पशवीपयBत जाऊन पोहोचतो. �पशवी दाबताच 'याला आतम[ये काह� मऊ अस-याचं जाणवतं. पु�हा पोहत तो पाणबुडीपयBत येतो. मेजर रॉजड3 'याला पा;यातून बाहेर काढतात. दोघे ती �पशवी उघडून बघतात तर 'यात पावा@या ला�या आ9ण काह� फळं असतात. श�गदाणे आ9ण इतर काह� पदाथ3 असे असतात जे भरपूर +दवस +टकू शकतील. दोघांना �{न पडतो, ह� �पशवी आप-यापयBत तरंगत आल�च कशी? जे�हा जगबडुी झाल� त�ेहा पा;या@या �वाहासोबत ह� �पशवी पा;याखाल� असायला हवी होती. त े'या �पशवी@या बाहेरचा भाग जरा �यविLथत बघू लागतात. 'या �पशवीवर vा9झल@या सै�यदलाचा �श]का मारलेला होता. दोघे ताबडतोब ती �पशवी घेऊन खाल� जातात. आतम[ये जेन, बाब3रा आ9ण मोहDमद भुकेने बेशु[द झालेले असतात. मेजर रॉजड3 ती �पशवी अ�भजीतला दाखवतात. अ�न �मळालं यापेhा इतरह� काह� मानव िजवंत अस;याची 'यांना आशा वाटत.े जेन,

बाब3रा आ9ण मोहDमदला शु[द�वर आणत अ�भजीत 'यांना �पशवीतील पदाथ3 खायला देतो. भुक सवाBनाच लागलेल� होती. इतकi कi, 'यांनी संपूण3 �पशवीच

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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97 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

संपवनू टाकल�. आता माS सवाBना जरा बरं वाटत होतं. �पशवीवर असले-या vा9झल@या सै�यदला@या �श]]यामुळे अ�भजीतने अंदाज बांधला. कदा�चत जगबडुी हो;याची जा9णव झा-याने आपण सां�गत-यानुसार vा9झल@या सै�यदलाने काह� नागRरकांना 'यां@या जहाजाम[ये घेतलं असेल. जहाज इथून जात असताना चुकून 'यातल� एक �पशवी पा;यात पडल� असेल. �पशवी पणू3पणे बंद अस-याने आ9ण आतम[ये हवादेखील अस-याने ती �पशवी पा;यावरच तरंगत रा+हल�. याचा अथ3 आप-या�शवाय आणखी काह� माणसं िजवंत आहेत.

अ�भजीत �वचारांम[ये हरवलेला असताना बाब3रा मो�याने ओरडते. सगळे 8त@याकड े बघतात. सौर उज�@या सहा�याने पाणबुडीम[ये वीज आल� होती. Dहणून बाब3राने कॉDपुटर चाल ूकेला होता. पा;याखाल� अस-याने 'याचंी संदेश यंSणा �वLकळीत झाल� होती. माS पाणबुडीम[ये अशी �णाल� होती कi, एखा�या वेळी बाहेर�ल जगाशी संपक3 होत नसेल तर आलेले संदेश कॉDपुटरमध-या एका �णाल�म[ये साठवले जायच.े 'याम[येच 'यांना एक मेल अमेRरकi नौसेने@या संरhण खा'याकडून आला होता. 'याम[ये �ल+हलं होतं,

‘अ�भजीत आ9ण मेजर रॉजड3 यांना मोह�म रe क�न मागे `फर;याच ेआदेश दे;यात येत आहेत. अ�भजीत आ9ण 'या@या ट�ममधील सवाBनी लवकरात लवकर अज�+टना येथील लIकर� जहाजाम[ये याव.े आप-या कुटंू�बयांना आ9ण इतर सहका-यानंा सुरwhत +ठकाणी हलव;यात आले आहे. सव3 जहाजं कॅनडा@या +दशेने चालव;यात येतील.’

आणखी काह� मेल होत,े 'यांम[ये �ल+ह;यात आलं होतं,

‘आप-याला हा मेल उशीरा �मळत असेल तर आपण कॅनडा@या +दशेने �वास करावा. अमेRरकi नौसेना आप-याला रडारावर शोधत आहे.’ ‘आ�शया खंडातील संशोधकांनी तयार केलेले संयुग अंटाि]ट3कापयBत पोहोचू शकले नाह�. प+ह-या टVVयात पाठव;यात आलेल� �वमानं मो�या वादळाम[ये उ[दवLत झाल� आहेत. चीन आ9ण भारत यांची मोह�म अपयशी ठरल� आहे.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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98 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘आपल� पाणबुडी रडारवर +दसत नाह�.परंतू आप-या �सLटमम[ये मेल जतन केले जात अस-याचं आम@या मुmय काया3लयात समजत आहे. श]य 8तत]या लवकर संपक3 कर;याचा �य'न करावा.’

मेल वाच-यानंतर अ�भजीतसोबत सवाB@या डोkयातून आनंदाtु येतात. आपले कुटंूबीय िजवंत आहेत. सगळे सुख�प आहेत, 'यांना काह� झालेलं नाह� या �वचाराने सगळे एकमेकांना आ�लगंन देतात. बाब3राला कॉDपुटरवर काह�तर� +दसतं. ‘‘अ�भजीत, जरा हे बघ...’’ सगळे पु�हा कॉDपुटर@या जवळ जातात.

‘‘शेवटचा मेल आप-याला 10 ऑ]टोबरला आला होता आ9ण आज सगळं �यविLथत असतं तर आजची तार�ख आहे 7 नो�ह�बर, याचा अथ3 या सव3 घटनेला जवळजवळ एक म+हना उलटून गेला आहे.’’

सगkयांच ेचेहरे पु�हा गंभीर होतात. जवळजवळ एक म+हना हे सव3जण काह� न खाता-पीता िजवंत रा+हले तर� कसे? िजवंत आहोत ना! हेच आप-यसाठ. खूप मोठं आहे, असं समजून अ�भजीत आ9ण सव3जण आप-या कुटंू�बयांचा शोध घे;याची तयार� सु� करतात.

मोहDमद आ9ण जेन लगेचच रडार यंSणेतील �बघाड दु�Lत क� लागतात. िLटफन +दशादश3क द�ुLत करतो. बाब3रा आ9ण अ�भजीत जहाजामधील वीजेचा �वाह आ9ण सव3 स`क3 ट पु�हा तपासतात. इंिजनम[ये पुरेसा �व�युत साठा उपलZध होतो. vुस आ9ण मेजर रॉजड3 पा;या@या �वाहाचा अंदाज घेतात,

पाणबुडीबाहेर जाऊन काह� ना काह� खा;याची �यवLथा करतात. लवकरच सगळे �मळून रडार यंSणा, +दशादश3क आ9ण पाणबुडीमधील स`क3 ट द�ुLत करतात. उ'तरेकड े 'या सवाBचा �वास सु� होतो. आप-या कुटंूबीयांना एकदा तर� बघता यावं या इ@छेने सव3जण काम करत होत.े कधी एकदा tेया +दसतये आ9ण कधी मी 8तला �मठ.त घेतोय असं अ�भजीतला वाटू लागतं. असे सात त ेआठ +दवस 8नघून जातात. माS दरुपयBत साधी एक होडीदेखील +दसत नाह�. सवाB@या आशा माS कायम राहतात.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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99 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १८

‘�व7ानाने नमूद केले आहे कi, प�ृवीवर�ल सजीवां@या `कमान ९९ ट]के जाती आजतागायत@या करोडो वषाB@या इ8तहासात नIट झा-या आहेत. पृ�वीवर�ल जीवनाची सुdवात फार-फार �ाचीन काळी Dहणजे सुमारे ३०० कोट� वषाBपूवC झाल�. त�ेहापासून त ेआजतागायत सजीवां@या असंmय जाती ज�माला आ-या व नIटह� झा-या. प�ृवीवर�ल जीवन सवा3त �थम पा;यात, महासागरात 8नमा3ण झाले असे सांग;यात येत.े शाक3 सारखे मासे फार �ाचीन आहेत.

सव3साधारणपणे आपण असे मानतो कi, हे �व{व व ह� सजीव सIृट� आकाशात-या देवाने 8नमा3ण केल�. पण, �व7ान माS असे सांगत नाह�. �व7ान Dहणत ेकi, सवा3त �थम सजीवाचा ज�म समुoात काह� अजै�वक अथा3त मतृ घटकांमध-या रासाय8नक �`bयेतून झाला असावा. प�ृवीचा ज�म साधारणतः ४५० त े ५०० कोट� वषाBपूवC झाला. पण ती �व�वध िLथ'यंतरातून जाऊन सजीवां@या �वकासाची सुdवात हो;यास माS आणखी सुमारे १५० त े२०० कोट� वष� इतका �चंड काळ जावा लागला. सजीवांचा �वकास हो;यास ३०० कोट� वष� जावी लागल�. यावdनच असे Dहणता येईल कi, देव वगरेै श]तींनी सजीव 8नमा3ण केले नसावेत.

समुारे ३०० कोट� वषाBपूवC प�ृवीवर�ल वातावरण सजीवां@या �वकासासाठ. पोषक बनले. ढगांची 8न�म3ती झाल�. पाऊस पडू लागला. प�ृवीवर�ल वातावरण दमट,

उIण होत.े सतत पा;याची वाफ होऊन 'याच ेढग तयार होत व परत जोरदार पाऊस पड.े प�ृवीवर �चंड �वजा व गडगडाट होत असे. असे �द�घ3 काळापयBत होत रा+हले. अशा �कारे सुमारे ३०० कोट� वषाBपूवC जीव 8नमा3ण हो;यास सdुवात झाल�. पा;यात एकपेशीय जीव व ज�मनीवर वनLपती उगव;यास सdुवात झाल�. सजीवांचा सवा3त जुना अवशेष सापडला तो ३२० कोट� वषाBपूवCचा आहे. प�ृवीवर�ल सजीवां@या �वकासाचा bम अ'यंत रंजक आहे. सजीवां@या 8न�म3तीचा हा इ8तहास फारच थो�यांना मा+हती असेल. आधु8नक

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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100 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�व7ाना@या सहा�याने 7ात झाले-या सजीवां@या 8न�म3तीचा bम आ9ण इ8तहास पहायला गेलं तर, प�ृवीचा ज�म सुमारे ५०० कोट� वषाBपूवC झाला. 'यानंतर जीवांची उ'प'ती हो;यास अनुकूल वातावरण 8न�म3तीसाठ. आणखी +दडशे त े दोनशे कोट� वष� इतका महा�चंड कालावधी लागला. पण जीवाचंी 8न�म3ती गती घे;यासह� खूपच मोठा काळ गेला. २०० कोट� वषाBपासून त े१०० कोट� वषाBपयBत Dहणजे सुमारे दोनशे कोट� वष� प�ृवीवर भयंकर पाऊस पडत रा+हला. याचवेळी सागर, महासागर, न�या व इतर जलाशय तयार झाले असावेत. एव�या �द�घ3 काळात जीवन सु�म जंतंूपयBतच मया3+दत रा+हले. पा;यात बहुतके केवळ अ�Iय जीवजंतूच तयार होत गेले. कारण, अजनूह� प�ृवीच ेवातावरण जीवन तयार हो;यास पूण3पणे अनुकूल नसाव.े

१०० कोट� वषाBपासून समoुात काह� �ाथ�मक �ाणी व वनLपती बन;यास सdुवात झाल�. सुमारे ५० कोट� वषाBपासून �ाथ�मक Lवdपातले मासे तयार हो;यास सुdवात झाल�. या काळी समुoात मो�या �माणात सजीव 8न�म3ती चाल ूझाल�. सुमारे ६४ कोट� वषाBपूवC ज�मनींवर झुडूपां@या Lवdपात तर सुमारे ४० कोट� वषाBपासून पा;यात माशां�य8तर�]त अ�य �कारचे �ाणीह� तयार होऊ लागले. प�ृवीवर वhृ 8नमा3ण हो;यासह� याच काळात सुdवात झाल�. सुमारे ३२ कोट� वषाBपूवC पाणथळ ज�मनीवर मो�या �माणात घनदाट जंगले तयार होऊ लागल�. तसेच पंख असणारे `कटक तयार होऊन त ेउडूह� लागले. सुमारे २८ कोट� वषाBपूवC साप व त'सम सरपटणा-या �ा;याचंा �वकास झाला. सुमारे २५ कोट� वषाBपूवC डायनोसोर या महाकाय �ा;याचा ज�म झाला. या �ा;याचे प�ृवीवर द�घ3काळ अिLत'व होत.े डायनोसोर सुमारे १८ कोट� वषाBइतका �चंड काळ प�ृवीवर वावरत होत.े पण या काळात मानव माS न�हता. मानवा@या वंशाची सुdवातह� झाल� न�हती. अनेक �कारच े शाकाहार� व मांसाहार� डायनोसोर तयार झाले. सुमारे सात कोट� वषाBपूवC प�ृवीवर�ल सव3 डायनोसोर नIट झाले. त ेकशामुळे नIट झाले त ेमाS सांगता येत नाह�. याबाबत अनेक ग+ृहतके मांडता येतात. पण यातले एकह� या महाकाय �ा;या@या अLताच ेनेमके कारण देऊ शकत नाह�.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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101 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

याच काळात काह� सLतन Dहणजे �पलांना ज�म देणा-या �ा;यांचाह� उदय झाला. सुमारे १५ कोट� वषाBपूवC डायनोसोर 'यां@या उ'कषा3@या �शखरावर होत.े याच काळात उडणारे �ाणीसुzा अिLत'वात होत.े सुमारे १५ कोट� वषाBपूवC फुले लागणार� झाड े अथा3त ् फुलझाड े तयार झाल�. स[या +दसणारे आधु8नक मासे तयार झाले. सुमारे ६ कोट� वषाBपूवC चांगले �वक�सत असे सLतन �ाणी तयार झाले. घो�याचा �ाथ�मक वंशज याच दरDयान तयार झाला. माS ध]कादायक गोIट Dहणजे याच काळात प�ृवीवर�ल सुमारे १८ कोट� वष� नांदणार� डायनोसोरची जात नIट झाल�. सLतन �ाणी मो�या �माणात तयार झाले. इतर �ाणी �वक�सत होत असताना डायनोसोर का नIट झाले? ह� च`कत करणार� गोIट आहे. कदा�चत एखा�या साथी@या रोगाने मेले असतील.

समुारे साडतेीन कोट� वषाBपूवC मानवाच े�ारं�भक वंशज तयार झाले. शाकाहार� सLतन �ाणी तयार झाले. दोन कोट� वषाBपूवC Dहणजे अगद� अ�लकडेच +हमालय पव3त 8नमा3ण झाला. +हमालयाची 8न�म3ती अजूनह� पूण3 झालेल� नाह�. अ�यापह� 'यावर@या घडामोडी चालूच आहेत. याच काळात वाघ 8नमा3ण झाले.

सजीवां@या 8न�म3ती@या या bमात मानवाची 8न�म3ती माS, फारच उशीरा व सवा3त शेवट� झाल�. प�ृवीवर 8नमा3ण झालेला मानव हाच सवा3त शेवटचा सजीव असावा. मानवा@या 8न�म3तीची सुdवात केवळ ६० लाख वषाBपूवCच झाल�. आ9ण ती �`bया पुढे समुारे ४० लाख वष� सdुच होती. वीस लाख वषाBपूवC आद�मानव 8नमा3ण झाले. मानव फार तर दहा लाख वषाBपूवCच Dहणजे अगद� अ�लकडचे तयार झाला. आधु8नक मानव सुमारे एक लाख वषा3पासून अिLत'वात आहे. तो बोलत असावा तसेच �शकार कdन मांस भाजून खात असावा असा अंदाज आहे. या मानवाच ेसापळे वा अवशषे जगात सव3S सापडलेले आहेत. हे मानव गुहेत रहात. त े�शकार�साठ. दगडी ह'यारांचा उपयोग कर�त.

अगद� आधु8नक मानव केवळ ४५ हजार वषाBपासूनच अिLत'वात आहे. तो बोलत असावा. केवळ १० हजार वषाBपासून शेती करणा-या मानवी संLकृतीचा उदय झाला. याच काळात मानव वLती कdन व शेती कdन राहू लागला. खर� मानवी संLकृती केवळ ६ हजार वषाBपासून सdु झाल�, त े आजतागायत सुd

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102 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

आहे. अशा �कारे प�ृवीच ेवय व सजीवां@या �वकासाचा कालावधी लhात घेता मानवाच े प�ृवीवर�ल अिLत'व अगद� ह-ल�च ेआहे. एव�या कमी कालावधीत 'याने प�ृवीवर जीवन-मरणाची िLथती 8नमा3ण केल� आहे. सव3 �ाणी नIट केले. जंगले उ[वLत केल�. �दषुण 8नमा3ण करणारे सारे शोध लावले आ9ण ‘^लोबल वॉ�मBग’च ेसंकट उभे केले. �शवाय �व�वध रोगांनी जी लhावधी माणसे मरताहेत त ेतर वेगळेच!

अशा�कारे फार मोठा काळ खच3 कdन प�ृवीवरच ेजीवन तयार झाले. 'यासाठ. तीनशे कोट� वषाBचा फार मोठा कालावधी गेला. ह� सार� उ'bांतीची अवLथा होती. कोण'याह� देवा@या कृपेने एका राSीत वा +दवसात प�ृवी वा मानव 8नमा3ण झालेला नाह�. डायनोसोर या प�ृवीवर सुमारे अठरा कोट� वष� वावरले,

मासे तर प�नास कोट� वषाBपासून आहेत. या तुलनेत मानवाची एक लाख वष� तशी फारच कमी Dहणायची. अ'याधु8नक ह'यारे, hेपणाLSे व अणुबॉबं बाळगून असणार� मानवजात L�तः@या हाताने के�हा Lवतः@याच पायावर ध�डा माdन Lवतःचेच अिLत'व संपवेल त े सांगता येणार नाह�. कोण'याह� कारणाने का होईना, एकदा का प�ृवीवर�ल जीवन नIट झाले कi, संपणू3 �व{वात कुठेह� जीवन अिLत'वात राहणार नाह�. प�ृवीवर�ल जीवनाची 8न�म3ती अगद� योगायोगाने व एका �व�शIट पRरिLथतीतच झाल� आहे. परत तशी पRरिLथती यापढेु संभवणे फारच क+ठण बाब आहे.’

vसुच े डोळे पाणावतात. आता आलेल� पRरिLथती 'याला अस�य होत.े चुक आपण करायची आ9ण 'याची �शhा या प�ृवीने, संपणू3 सIृट�ने भोगायची. आता हा �वचार क�न काय उपयोग? आता तर सगळंच संपलं होतं. जेवढ� माणस ंउरल� होती 'यांचा शोध �यायचा तवेढा बाकi होता. ऋतु hणाhणात बदलत होत.े कधी खूप ऊन तर कधी मुसळधार पाऊस, कधी कडा]याची थंडी तर कधी {वास घेता येत नसे. डोkयासमोर मृ'यू असनूदेखील एक आशा 'या सवाBना िजवंत ठेवत होती. ती Dहणज,े आमच े सव3 िजवलग सुख�प आ9ण िजवंत असतील. एक एक +दवस असाच पुढे जात असतो. �'येकाचे डोळे चातकासारखे रडार आ9ण समुoा@या whतीजांवर नजर ठेवून होत.े कधी एकदा जहाज +दसतं

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103 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

आ9ण आDह� आम@या नातवेाईकांना भेटतो अस ं�'येकाला वाटत असतं. 'या नादातच 'या सवाBना तहान-भुकेची काह� �चतंा नसत.े आ9ण एके +दवशी असंच मोहDमदला रडारवर जहाज +दसू लागतं. जरा बारकाईने पा+ह-यावर 'याला ते LपIट +दसतं. जहाज पुव3 दwhण +दशेला होतं. रडारवर जहाज पाहून तो इतका खुश होतो कi तो लगेच मो�याने ओरडतो,

‘‘सर, पवू3 दwhण +दशेला एक जहाज +दसत आहे...’’

जहाजाम[ये दाढ� वाढलेला अ�भजीत आप-या खुचCव�न ता�कन उठतो आ9ण 'या@या रडार यंSाजवळ येऊन खाSी क�न घेतो. 'यां@यापासून साधारणपणे 450 `क.मी. दरूव�न एक जहाज 'यांना येताना +दसतं.

पाणबुडी लगेच 'या +दशेने आपला �वास सु� करत.े

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104 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण १९ जहाजा@या रडारवर देखील पाणबुडी +दसत होती. काह� सै8नक मो�या द�ुब3णीमधून पाणबुडीचा अंदाज घेतात. त े जहाज vा9झलचं असतं. जहाजाचे कVतान थॉमस पाणबुडीसोबत संपक3 कर;याचा �य'न करतात, मोहDमद 'यांना ताबडतोब �8तसाद देतो. कVतान थॉमस 'यांना जहाजावर ये;याचं 8नमंSण देतात. पाणबुडी जहाजा@या जवळ पोहोच-यावर पा;या@या वर येत.े अ�भजीत आ9ण मेजर रॉजड3 पाणबुडीबाहेर येऊन सै8नकांना पा;यात दोर सोडायला सांगतात. सै8नकांनी आधीच तशी तयार� केलेल� असत.े त ेजहाजामधून दोरखंड आ9ण 'यालाच लागून असलेल� एक �शडी पा;यात सोडतात. इत]यात 'या सै8नकांजवळ दोन लहान मुल� येतात. खाल� कोण आहे हे 'या डोकावून बघतात तर, 'यांच े वडील मेजर रॉजड3 'यांना +दसतात. वडील िजवंत आ9ण सखु�प अस-याचं पाहून 'यांना अ'यानंद होतो आ9ण 'या मो�याने ओरडू लागतात.

‘‘डॅडा... डॅडा...’’

ओळखीचा आवाज ऐकू आ-याने मेजर रॉजड3 वर बघतात, 'यांना 'यां@या मुल� जहाजावर सुख�प अस-या@या +दसतात. मुल�ंना पाहून त ेदेखील भलतचे खुश होतात. त ेदेखील मो�याने ओरडू लागतात.

‘‘�ेLता... िज8नया... मी सुख�प आहे... बघा मी तुम@यासमोर उभा आहे... आता मी कायम तुम@यासोबतच राहणार आहे... लव यु माय एंज-स...’’

मेजर रॉजड3 यांना कधी आपण आप-या मुल�ंना भेटतोय आ9ण 'या दोघींना कडवेर घेऊन 'यांच े मुके घेतोय, असं झालं होतं. सै8नकांनी पाणबुडीपयBत सोडलेल� शीडी आ9ण दोरखंड पकडून मेजर रॉजड3 आ9ण अ�भजीत सवाBना जहाजावर जायला सांगतात. मोहDमद, जेन, िLटफन आ9ण vुस एकेक क�न वर जातात. बाब3रा आतमधून काह� पेपस3 घेऊन येत.े त े पेपर घेऊन 8तला वर जाता येत नाह�, अ�भजीत ते पेपस3 आप-या हातात घेतो आ9ण 8तला वर

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105 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

जायला सांगतो. बाब3रा, 8त@या पाठोपाठ अ�भजीत आ9ण मेजर रॉजड3 सवा3त शेवट� असे त े 8तघे जहाजावर जाऊ लागतात. मेजर रॉजड3 वर येत असताना सतत आप-या मुल�ंकडचे बघत असतात. मुल�देखील 'याचंी वर ये;याची वाट पाहत असतात. वर जात असताना अचानक बाब3राचा तोल जाऊन पाय घसरतो आ9ण बाब3रा 30 फूट उंचीव�न पा;यात पडत.े अ�भजीत@या हातात पेपस3 अस-याने तो 8तला पकडू शकला नाह� वा पा;यात उडी मा� शकला नाह�. पण मेजर रॉजड3 यांनी लगेच पा;यात उडी मारल�. अ�भजीत तसाच म[ये थांबून राह�ला. जहाजाव�न सै8नकांनी ओरडून 'याला वर यायला सां�गतलं त�ेहा तो जहाजावर पोहोचला. पेपस3 एका सै8नकाकड ेदेऊन तो खाल� पाहू लागला. पोहता येत असनू देखील बाब3राला हातपाय हलवता येत न�हत.े मेजर रॉजड3 पोहत 8त@यापयBत पोहोचतात आ9ण 8तला पकडून पा;याबाहेर काढतात. दोघेह� सखु�प +दस-याने अ�भजीत@या जीवात जीव येतो. तो थोडा बाजूला होतो तोच मेजर रॉजड3 यां@या मुल� आरडा ओरडा क� लागतात. अ�भजीत लगेचच खाल� बघतो. शाक3 माशांनी 'या दोघांवर ह-ला केलेला असतो. काह�च करता येत न�हतं, उशीर झाला होता. तीन शाक3 मासे 8तथे आले होत.े 'यांनी 'या दोघां@या शर�राच ेतुकड ेकेले होत.े जहाजाखाल@या पा;याचा थोडा भाग 'यां@या र]ताने लाल रंगाचा झाला होता.

मेजर रॉजड3 यां@या मुल�ं@या डोkयाची पापणी देखील हलत न�हती. 'या नुस'या LतZधपणे उ�या हो'या. इतके +दवस आप-या वडीलांची �चतंा 'यांना होती. वडीलां@या आठवणीने `क'येक राSी 'या रडत हो'या. आज वडीलांना डोkयासमोर पाहून 'यांना देखील बरं वाटत होतं. पण 'यांना याची क-पनाच कुठे कi, हा आनंद काह� hणापूरताच होता. वडील िजवंत अस;याची आशा होती त�ेहा 'या समुoा@या पा;याकडचे डोळे ठेवून हो'या, आज नाह�तर उ�या आपले वडील न]कiच येतील. 8नयतीने देखील असा खेळ खेळला कi, इत]या जवळ येऊन देखील मेजर रॉजड3 यांना 'यां@या मुल�ंना �मठ.त घेता आलं नाह�. 8नयती इथेच थांबल� नाह�, अ�भजीतने सै8नकांना ‘मलु�ंना आत घेऊन जा’ असं सां�गतल.ं तोवर जहाजाच ेकVतान थॉमस 8तथे आले होत.े अ�भजतने 'यांना जहाजावर मेजर रॉजड3 यां@या मुल� कशा, हे �वचारल.ं

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106 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘अजu+टना ने�ह� कॅDपमधील सै8नकां@या कुटंू�बयांसोबतच तुमचं कुटंूब अमेRरकi नौसेने@या अ�धका-यानंी अजu+टना येथील जहाजावर सुरwhत होतं... माS ते जहाज काह� अंतरावर गे-यानंतर समुoा@या लाटा इत]या भयाणक होत गे-या कi त ेजहाज पा;यात वाहून गेल.ं.. जहाजामधले काह� नागRरक या मुल�ंबरोबर 'या जहाजा@याच एका लाकडी तुक�यावर पा;यावर तरंगत असलेले आDहाला +दसले... आम@या सै8नकांनी लगेचच 'या सवाBना जहाजावर घेतले...’’ कVतान थॉमस.

‘‘Dहणजे? 'या जहाजाचा अपघात झाला? माझी प'नी tेया?’’ अ�भजीत पूण3पणे घाब�न जातो.

‘‘जहाजामधून काह� शेतकर� आ9ण मासेमार वाचू शकले... जॉड3न सर, तुम@या संLथेच ेकाह� अ�धकार�, तुमची प'नी tेया, िLटफनची प'नी रोडा आ9ण इतरह� काह� संशोधक 'या जहाजाम[ये होत.े.. पण 'या अपघातात वाचले-या �य]तींम[ये आDहाला 'यांपैकi कोणीह� सापडू शकलं नाह�...’’

सगळं एकदम शांत होतं. पा;याचा आवाज एकाएकi थांबतो. आकाशात �वहार करणा-या प�यांचा आवाज बंद होतो. कVनात थॉमस काय बोलताहेत ते अ�भजीतला काह� ऐकू येत नाह�. अचानक काळोखात गे-यासारखं 'याला वाटतं. आपण एका बं+दLत पेटा-यात आहोत. आपण आत �शर-यानंतर कुणीतर� हा पेटारा बंद केला असं 'याला वाटतं. सगळीकड े काळोख, समोर फ]त अंधार असतो. �वचार, क-पना सगळं सगळं थांबतं आ9ण 'या@या डोkयातून पा;याचा थ�ब चटकन खाल� सरकतो. अ�भजीतला Lवतःवरच हसू येतं. tेयाला शेवटचं भेटून आपण पा;यात गेलो, माह�त होतं पु�हा भेट होणार नाह�, तर� मी गेलो. एक म+ह�यानंतर खूप काह� बदललं होतं. संपूण3 जग पा;याखाल� आलं होतं. tेया िजवंत नाह� यावर 'याचा पुण3 �व{वास बसला होता. मग नौसेनेकडून आले-या ई-मेल मूळे उगाचच आशेवर रा+हलो आ9ण tेया िजवंत अस-याची खोट� आशा मनात 8नमा3ण झाल�. इथे आलो तर 'याह�पेhा भयाणक झाल.ं tेया तर �मळाल� नाह�च, पण 8त@या म'ृयूची बातमी घेऊन कVतान थॉमस यांना यावं लागलं आ9ण माझ ेसहकार� मेजर रॉजड3 यांना

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107 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

'यां@या लहान मूल�ंसमोर आपले �ाण गमवावे लागले. बाब3राला देखील आDह� गमावलंय. जगाचा शेवट होत चाललाय आ9ण आता एकेक क�न �'येक माणूस मरणार आहे. काल tेया, रोडा आ9ण जॉड3न सर गेलेत, 'याआधी अध3 जग गेल,ं

आज मेजर रॉजड3 आ9ण बाब3रा उ�या कदा�चत आमचा शेवटचा +दवस असेल. हताश होऊन अ�भजीत कVतान थॉमस यां@याबरोबर जहाजातील डॉ]टरां@या कhाम[ये जातो.

पाणबुडीमधून बचावलेले vुस, जेन, िLटफन, मोहDमद आ9ण अ�भजीत डॉ]टरां@या 'या कhाम[ये उपचार घेतात. डॉ]टर 'यांना दोन +दवस बेडरेLट करायला सांगतात. Dहणजे 'यांनी पलंग सोडून जाता कामा नये. पलंगावर पडून जो तो आप-या म'ृयूची वाट पाहत होता. मोहDमदने तर डॉ]टरानंा सरळ �{न केला होता, ‘आज नाह�तर उ�या आपण सगळे मरणार आहोत, मग आता आम@यावर उपचार क�न उपयोग तर� काय?’ त�ेहा डॉ]टरांनी खूप चांगलं उ'तर +दलं होतं,

‘डॉ]टरचं काम हे जहाजा@या कVतानासारखं आहे... जहाजाची संपूण3 जबाबदार� 'याची असत.े.. जोपयBत जहाज बूडत नाह�, तोपयBत तो त े वाचव;याचा पूण3 �य'न करतो... 'याला आपले �ाण गमवावे लागले तर�, तसंच आमचं आहे... फरक एवढा कi, आDह� कVतानाऐवजी डॉ]टर आहोत आ9ण आम@याकडे जहाजाऐवजी माणसं आहेत. जोपयBत श]य आहे तोपयBत आDह� तुDहाला वाचवायचाच �य'न क�...’

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108 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण २०

म'ृयूची वाट पाहत अ�भजीत आ9ण 'याच े साथीदार बेडवर पडून असतात. आप-या कुटंूबीयांचा म'ृयू झा-याची खाSी पट-याने त ेद:ुखात पूण3तः बुडालेले असतात. िLटफन तर काह�च बोलत न�हता. जहाजाच ेकVतान थॉमस 'यांची �कृती बघायला वरचवेर येतच होत.े सवाBची �कृती ठ.क झा-यानंतर ते अ�भजीतला आप-या कhाम[ये बोलावतात.

‘‘अ�भजीत, तू स[या कोण'या मनःिLथतीत आहेत याची आDहाला पूण3 क-पना आहे...म+हनाभरापूवC जे�हा तू अंटाि]ट3का@या मोह�मेवर जात होतास 'या@या काह� +दवसांनी चीन आ9ण भारत या देशांनी 'याच +दशेने अणुऊज�ने भरलेल� �वमानं पाठ�वल� होती...परंतु अंटाि]ट3कामधून इतकं मोठं वादळ आलं कi, 'याम[ये सव3 �वमानं पा;यात कोसळल� आ9ण वाहून गेल�...त े वादळ आम@यापयBत यायला जाLत वेळ लागला नाह�...तू आ9ण जॉड3न सरांनी सां�गत-या�माणे आDह� गरजे@या वLतू आ9ण नागRरकांना घेऊन जहाजावर आलो होतो Dहणूनच आDह� वाचू शकलो. 'याच�माणे अमेRरका, कॅनडा, अलाLका, मेि]सको, कोलं�बया आ9ण �वशेष Dहणजे युरोप खंडातील काह� देशातील लIकरांनी 'यां@या देशातील गरजे@या वLतू आ9ण श]य असेल 8तत]या नगRरकांना जहाजाम[ये सुख�प ठेवल.ं.. याचा अथ3 आप-या�शवाय देखील आणखी काह� माणसं या प�ृवीतलावर िजवंत आहेत...’’

‘‘आपल� इ@छा काय आहे?’’

‘‘माझी इ@छा आहे कi, सवाBनी एकS येऊन ज�मनीचा शोध �यावा... जेणेक�न वाचले-या नागRरकांना आपण 'या +ठकाणी सुरwhत ठेवू शकू... म+हनाभरात तर� अंटाि]ट3काव�न कोण'याह� �कारची धो]याची लाट आलेल� आप-या सै8नकांना +दसलेल� नाह�ये...’’

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109 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘माफ करा सर, पण मी आता हे नाह� क� शकत... मी माझी प'नी गमावल� आहे...’’

अ�भजीतकडून कVतान थॉमस यांना या शZदांची अपेhा न�हती. त ेअ�भजीतकड ेपाहतच रा+हले. खरंतर 'यांना राग आला होता. ते लगेचच उठून उभे रा+हले आ9ण अ�भजीतकडे एकटक पाहत रा+हले.

‘‘अ�भजीत? मला खरंच माUया कानावंर �व{वास बसत नाह�ये... तुUया त�डून हे शZद 8नघतील असं मला वाटलं देखील न�हतं...’’

‘‘कॅVटन, मी माझी प'नीच नाह� तर माझे आईवडील...’’ कVतान थॉमस अ�भजीतला म[येच थांबवतात.

‘‘एक �मनीट, या जहाजाम[ये मी माझं कुटंूब भ�न ठेवलं नाह�ये... ह� सगळी vा9झलची माणसं आहेत yयांना असं वाटतंय कi, तू आ9ण मी, आपण 'यांना या पRरिLथतीतून बाहेर काढू... जगावर आले-या आप'तीम[ये मी माझं संपूण3 कुटंूब गमावलंय... माझी आई, माझी प'नी, माझा मुलगा, सनू आ9ण माझी नातवंड सगळी पा;यात वाहून गेल�त... 'या सवाBची �यवLथा या जहाजाम[ये करणं मला श]य होतं, पण मी 'यां@या�माणेच इतर लोकांचा देखील �वचार करत होतो... जहाजापासून ते सव3जण खूप दरू होत ेDहणून मी 'यांना वाचवू शकलो नाह�... दःुखी झालो होतो तर� त े�य]त करणार तर� कुणाकड?े िजतके लोक वाचले होत े 'यांची जबाबदार� माUयावरच होती. आज मी देखील तुUया�माणे �वचार केला असता तर हे जहाज आज पा;यावर सुिLथतीम[ये नसतं... मेजर रॉजड3 यां@या मुल� पा;यातच अस'या, काह� +दवसांत मांसाहार� पhांनी नाह�तर माशांनी 'यांना संपवलंच असतं... माणसाचंा शोध घेत तुDह� आणखी काह� +दवस काढले असत ेआ9ण नंतर तुDहा सवाBची सु[दा जलसमाधी झाल� असती... इथे असले-या �'येक माणसाची जबाबदार� ह� तुझी आ9ण माझी आहे... मी माझी जबाबदार� पार पाडतोय... मी तुला आ�ह क� शकत नाह�, तू नसताना देखील आDह� भूमीचा शोध घेत होतो आ9ण आता असूनह� काम करणार नसशील तर� आDह� आमचं काम क�...’’

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110 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कVतान थॉमस यांच ेडोळे एकदम लाल झाले होत.े 'यांचं संपूण3 शर�र थरथरत होतं. राग 'यां@या चेह-यावर LपIट +दसत होता. 'यां@या त�डून 8नघाले-या शZदांमधून तो जाLतच जाणवला. आता अ�भजीतकड े बोलायला शZद न�हत.े 'याला आप-या कत3�याची जाणीव झाल�. जहाजाम[ये असले-या सवाB@या अपेhा आपणच पूण3 करायला ह�यात असं 'याला �कषा3ने जाणवू लागतं. अ-बट3, 'से�ग, बाब3रा, मेजर रॉजड3 आ9ण जॉड3न सर जोपयBत िजवंत होत,े

तोपयBत त े आपलं कत3�यच पार पाडत होत.े माझा जीव वाचावा यासाठ. अ-बट3ने आपला जीव धो]यात घातला, 'से�ग स[ुदा आपलं कामच करत होता Dहणून तो स`क3 टजवळ होता. 'याने 'या@या कत3�याकड ेलh +दल ंनसतं तर आज तो वाचला असता. पण आज तो या जगात नाह� आहे. बाब3राला देखील काय गरज होती पाणबुडीमधील पेपस3 आप-याबरोबर घेऊन यायची? तर�ह� 8तने आपलं कामच केल.ं जे�हा ती पा;यात पडल� त�ेहा मेजर रॉजड3 यांनी 8तला वाचवणं हेच आपलं कत3�य समजलं आ9ण Dहणूनच 'यांनी पा;यात उडी मारल�. पोट@या मुल� समोर असताना म'ृयू@या जब�यात जा;याची 'यांना काय गरज होती? तर�ह� त े गेलेत ना! मग मला काय धाड भरल�ये? असा �वचार क�न अ�भजीत लगेच उभा राहतो आ9ण कVतान थॉमस यांना Dहणतो,

‘‘आप-या जहाजामध-या सॅटेलाईट ऑपरेटर, हाड3वेअर इंिज8नयर, मRरन इंिज8नयर, रडार ऑपरेटर, कDVयुटर �ो�ामर यांना ले]चर �मम[ये बोलवा... जहाजाम[ये घोषणा करा, एखादा कDVयुटर हॅकर असेल तर 'याला देखील ले]चर �मम[ये घेऊन तुDह� स[ुदा या...’’

कVतान थॉमस यां@या चेहरा लगेच उजळतो. अ�भजीत@या डो]यात एखाद� क-पना अस-याचं त े लगेच ओळखतात. त े अ�भजीतला आप-या एका �शपायाबरोबर ले]चर �मम[ये पाठवतात. जहाजाचा नकाशा आ9ण हवामाना@या अंदाजाच ेकाह� कागदपS ेत ेअ�भजीतकड ेदेऊन ठेवतात. जहाजाम[ये असले-या िLपकरने कDVयुटर हॅकरला बोलाव;यात येतं. 82 त�ण पुढे येतात आ9ण आपण कDVयुटर, वेबसाईट हॅक के-या आहेत असं त ेसांगतात. दसुर�कड ेजहाजामधले सॅटेलाईट ऑपरेटर, हाड3वेअर इंिज8नयर, मRरन इंिज8नयर, रडार ऑपरेटर,

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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111 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कDVयुटर �ो�ामर ले]चर �मम[ये बसलेले असतात. एकदम 82 माणसांना 8तथे बसवता येणार नाह�, Dहणून अ�भजीत 'या सवाBना एका मो�या जागेवर घेऊन जातो. सोबत अ�भजीत@या ट�ममधील vुस, जेन आ9ण मोहDमद देखील येतात. जागा Dहणजे जहाजावर�ल लIकर� �वमानाचंा उ�डाणपूल होता. सगळे अ�भजीतला हवं असलेल ंमनुIयबळ एकS जम-यावर अ�भजीत 'यांना 'याची क-पना सांगू लागतो.

‘‘जे�हा आDह� अंटाि]ट3का@या मोह�मेवर होतो त�ेहा आDहाला कधीह� न आलेले अनुभव आलेत... प�ृवी@या या युगाचा नाश होणार आहे याचा अंदाज आDहाला त�ेहाच आला होता... आDह� लगेचच संपूण3 जगाम[ये दhतचेी सुचना केल� होती, खरं तर या गोIट� करायला उशीर झाला होता... अंटाि]ट3कामधून पा;याचा जोरदार �वाह अ'यंत वेगाने जगा@या +दशेने येत होता... 8तथला बफ3 �वतळत अस-याने 'या भागात असलेले मासे घाबरले आ9ण आप-या +दशेने आले... आप-याकड े असलेल� जहाजं 'यां@या +दशेने येत आहेत हे पाहून 'यांनी जहाजांवर ह-ले करणं सु� केलं Dहणून महासागरा@या संकटाकड ेदलु3h क�न सवाBनी 'या माशांना मार;याचा �य'न केला...’’

अ�भजीला म[येच थांबवत कVतान थॉमस Dहणतात, ‘‘पण आता आपण काय करायला हव?ं’’

‘‘संपणू3 जग पा;याखाल� आ-याने गुगल, फेसबकू यांसारखे स�हस3 देखील नIट झालेत... मो�या �माणात वीज उ'प�न कर;याची देखील सोय आता आप-याकड े नाह� आहे... आपण जाLत +दवस एका जहाजावर राहू शकत नाह�... आप-याला लवकरात लवकर ज�मनीचा शोध �यायला हवा, पण न]कi `कती जग पा;याखाल� आलं आहे हे आप-याला माह�त नाह�, ए�हाना `कती माणसं िजवंत आहेत याचा देखील आप-याला काह� अंदाज नाह�... जर भमूीचा शोध �यायचा असेल तर आपण पु�हा न�याने सु�वात करायला हवी... सु�वात नकाशापासून �हायला हवी...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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112 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

vसु, ‘‘आप-याला पु�हा न�याने नकाशे बनवावे लागतील... ज�मनीचा `कती भाग पा;याखाल� गेला आहे, यापेhा न]कi `कती भाग आता पा;या@या वर आहे हे आपण पहायला हव.ं..’’

कVतान थॉमस, ‘‘पण आपण या गोIट� करणार तर� कशा?’’

जेन, ‘‘नकाशे बनवणं साधं काम नाह�, आप-याकड ेएकच जहाज आहे... आ9ण 'यातून जगाचा `कती भाग पा;याखाल� गेला आहे व `कती पा;यावर आहे हे पाह;यासाठ. एक जहाज Dहणजे काह�च नाह�...’’

अ�भजीत, ‘‘हे सव3 मा+हतीये मला.. Dहणूनच तर आप-याकड े yया yया चांग-या गोIट� आहेत 'यांचा वापर क�नच आप-या न�या जगाची स�ुवात करायची आहे... फ]त मी सांगतो तसं सवाBनी करा...’’

अ�भजीत@या बोल;यातून सवाBना आ'म�व{वास जाणवत होता. जणू काह� 'याने सव3 ठरवूनच ठेवलं होतं. 'या@या �'येक शZदातून, चहे-या@या हावभावाव�न 8तथे असले-या �'येकाला, आपणह� काह�तर� करायला हवं असं वाटत होतं अ�भजीत देखील 'या सवाBचा पुरेपरू वापर क�न घेत होता.

अ�भजीत, ‘‘कVतान थॉमस, आप-या जहाजाम[ये स[या जाLतीच े `कती कDVयुटर आहेत?’’

कVतान थॉमस, ‘‘तुDहाला `कती हवे आहेत?’’

अ�भजीत, ‘‘100’’

कVतान थॉमस, ‘‘+ठक आहे... मी �यवLथा करतो... आणखी काह�?’’

अ�भजीत, ‘‘आप-या जहाजाम[ये सोलर पॅनेल आहेत का?’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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113 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कVतान थॉमस, ‘‘हो... Dहणजे तुDह� तशी सुचनाच केल� होती... संपूण3 जहाज झाकलं जाईल इत]या �माणात आप-याकड ेसोलर पॅनेल आहेत...’’

अ�भजीत, ‘‘हे बरं केलंत आपण... संपूण3 जहाज झाकलं गेलं तर� चालेल, सगळी सोलर पॅनेल स`bय करा आ9ण �व�युत परुवठा सु� करा... जहाज चालवणा-या मmुय ना�वकाला सुचना करा कi, जहाज एकाच +ठकाणी थांबवून ठेव... हाड3वेअर इंिज8नयरने सव3 कDVयुटस3 एकमेकांना लॅनम[ये जोडून दे;याचं काम लगेचच स�ु कराव.ं.. �ो�ॅमरने माUयाबरोबर यावं आ9ण सव3 हॅकस3ना �'येकi एक कDVयुटर दे;यात यावा... �ो�ॅमर सोबत चचा3 क�न झा-यावर मी सवाBना पढूची कामं सांगेन...’’

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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114 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण २१

जहाजाचा ना�वक त ेजहाज एका +ठकाणी िLथर उभं ठेवतो. सव3 सै8नक आ9ण जहाजावर�ल काह� उ'साह� माणसं संपूण3 जहाजावर सोलर पॅनेल बसव;याचं काम स�ु करतात. काह� सै8नक vुसबरोबर एका छोWया नावेने पा;यात जाऊन मासे आ9ण खा;यासाठ. इतर गोIट� �मळव;याचा �य'न करतात. जहाजाम[ये जेवणाचा एक मोठा कh होता. साधारणपणे ५०० माणसं जेवू शकतील इतका मोठा. 'या कhाम[ये सव3 कDVयुटस3 ठेव;यात येतात. हाड3वेअर इंिज8नयर आ9ण त े काम येत असलेल� इतर त�ण मुलं सव3 कDVयुटर एकमेकांना लॅन�वारे जोडून घेतात. अ�भजीत, कVतान थॉमस आ9ण जेन �द�घ3 वेळ �ो�ामर@या माणसांबरोबर चचा3 करतात. �ो�ामस3ना मदत करायची इ@छा असत,े पण अ�भजीत सांगत असलेलं काम करायला त ेसतत नकार देत होते.

�ो�ामर, ‘‘सर, बोलणं सोपं आहे... पण करायला गेलं तर त ेअश]यच आहे... 'यापेhा आपण दसूरा एखादा माग3 काढू...’’

अ�भजीत, ‘‘नाह�... स[या तर� मला दसुरा माग3 +दसत नाह�ये... आ9ण जर� दसुरा माग3 असता तर� मी हाच माग3 8नवडला असता...’’

जेन, ‘‘तुDह� सगळे लगेच हार कशी मानता? एकदा �य'न क�न पाहूया तर�...’’

जेन@या बोल;याने �ो�ामर थोड ेसकारा'मक होतात. अ�भजीतला 'यां@याकडून न�याने गुगल सच3 इंिजन तयार करायचं असतं. गोIट कठ.ण असल� तर� ती अश]य न�हती. �ो�ामरसोबत बसून तो गुगलची न�याने जुळवणी सु� करतो. वेगवेगळे कोड टाकतो. ८२ हॅकस3पैकi ३६ हॅकस3ना जावा, ओरॅकल,

ए.एस.पी.ए]स. अशा �कारची कDVयुटरची भाषा येत होती. सतत चार +दवस काम क�न अश]य वाटणार� गुगलचं नवं सच3 इंिजन त े सु� करतात. सपूंण3 जहाजावर बसवले-या सोलर पॅनलमळेू सव3 कDVयुटस3ना वीज �मळत होती. सव3 यंSे �यविLथत कामं करत होती. आता अ�भजीत सव3 हॅकस3ना 'यां@या कDVयुटरसमोर बसायला सांगात ेआ9ण सव3 कDVयुटस3 �यविLथत चालत आहेत

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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115 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

कi काह� अडचण आहे हे देखील �वचारतो. दोन-चार कDVयुटस3म[ये थोडी अडचण असत.े माS हाड3वेअर इंिज8नयर ती लगेचच दु�Lत करतो. अ�भजीत सव3 हॅकस3ना अवकाशात सोडले-या सॅटेलाईWस एकS जोडायला सांगतो. Dहणजेच, जहाज एका +ठकाणी िLथर अस-याने सॅटेलाईट@या संपका3त राहणं 'यांना सोपं जात होतं. आ9ण एकाच वळेी जर पृ�वीबाहेर असले-या अवकाशातील सव3 सॅटेलाईWसवर 8नयंSण �मळवता आलं तर अ�भजीतसाठ. अनेक गोIट� सोVया होणार हो'या.

सव3 हॅकस3 आप-याकडून 100 ट]के �य'न करत होत.े 'यांनी एकेक क�न नासा, इLSो, जम3नी, चीन, र�शया, �ा�स अशा सव3 देशा@ंया सॅटेलाईWसवर 8नयंSण �मळवल.ं अ�भजीत 'या सवाBना पृ�वी@या वेगवेगkया बाजंूनी सॅटलाईWस�वारे फोटो काढायला सांगतो जे पुढ�ल दोन तासांत अ�भजीत@या कDVयुटरवर LपIटपणे +दसतील. 'या�माणे प�ृवीबाहेर�ल वेगवेगkया भागांतून सॅटेलाईWस�वारे प�ृवीच ेफोटो काढ;यात येतात आ9ण अव�या दोन तासांत ते सव3 फोटो अ�भजीत@या कDVयुटरवर LपIटपणे +दसतात. ग9णतीय आकडमेोड क�न अ�भजीत एका 8नण3यावर येऊन पोहोचतो. सव3 हॅकस3ला काम थांबवायला सांगनू तो माईक�वारे जहाजाम[ये घोषणा करतो.

‘‘मागे आले-या महाकाय �लयानंतर संपूण3 जग पा;याखाल� आलं असा आपला अंदाज होता... Dहणजे पुण3 प�ृवी जलमय झाल� असं आप-याला वाटत होतं... आपणा सवाBना सांग;यास आनंद होत आहे कi, आपला हा समज पुण3तः खोटा होता, जगबडूीनंतर पा;याचा जोर ओस�न नवी प�ृवी आता आहे 'याच िLथतीम[ये पुढची 2,000 वष3 तर� असणार आहे... जहाजावर असले-या काह� �शंसनीय कDVयुटर हॅकस3, �ो�ामर यां@या मदतीने न�या प�ृवीचा नकाशा आता आप-याकड े आहे... 'यानूसार यु.एस.ए., कॅनडा, चीनचा पुव�कडील भाग आ9ण पि{चम युरोप आ9ण र�शया या सव3 +ठकाणी मो�या �माणात ज�मन उपलZध झाल� आहे... आपण स[या कॅनडापासून जवळ अस-याने लवकर आपण ज�मनीवर पोहोचणार आहोत...’’

संपणू3 जहाजावर एकच ज-लोष सु� होतो.अ�भजीत पु�हा बोलू लागतो.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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116 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

‘‘�मSांनो, जगबडुीनंतर आप-या�माणेच आणखी काह� माणसं जीवंत अस;याचा अंदाज आहे... आप-या सवाBना या न�या पृ�वीम[ये सव3काह� न�याने सु� करायचं आहे... ह� प�ृवी आप-या जु�या प�ृवीपेhा `कतीतर� वेगळी आहे... आपण आता yया प�ृवीवर आहोत 8तचा 90 ट]के भाग पा;याने तर 10 ट]के भाग ज�मनीने �यापलेला आहे... 'याम[ये सु[दा अंटाि]ट3का आ9ण जंगलं पा+हल� तर� आपणा सवाBना राह;यासाठ. ज�मनीचा मोठा भाग उपलZध आहे... माS आता आप-याला िजवंत रहायचं असेल तर एकमेकांबरोबर रहावं लागेल आ9ण काह� +दवस आप-याला माUया आ9ण कVतान थॉमस यां@या सुचनांचं पालन क�न आDहाला सहकाय3 करावं लागेल... आपणा सवाBकडून सहकाया3ची अपेhा करतो...’’

अ�भजीतचं बोलणं संपताच जहाजातील लहान मुलांपासनू त े वयोव[ृदांपयBत सव3जण टाkया वाजवून अ�भजीत आ9ण 'या@या सहका-याचंं अ�भनंदन करतात. आप-या खोल�म[ये गVप असलेला िLटफन असो, मेजर रॉजड3 यां@या मलु� असो, सै8नकांसोबत पाठ.मागे उभा असलेला vुस असो `कंवा अ�भजीत@या बाजूला उभे असलेले कVतान थॉमस असो, सव3जण अगद� उ'साहाने टाkया वाजवतात. अनेकां@या डोkयातून आनंदाtुदेखील येतात.

खर� पर�hा तर आता असत.े जहाज एकाच +ठकाणी िLथर ठेवून अ�भजीतने नवा गुगल हब तयार केला होता. माS जर जहाज 'या +ठकाणाहून पढेु-मागे हललं तर� तो पूण3 संपक3 तुटणार होता. जहाजाम[ये माणसां@या तुलनेत लहान हो�या देखील कमी हो'या. 'यात जाLत +दवस एकाच +ठकाणी जहाज ठेवणं श]य न�हतं. जहाजामधील संपूण3 अ�नसाठा संपलेला होता. vुस आ9ण इतर सै8नक पा;यातून जे मासे आणतील, तचे मासे खाऊन सगळे जगत होत.े त�ेहा अ�भजीतने हॅकस3ना जगाम[ये इतर +ठकाणी कुठेह� जहाज +दसत आहेत का ते पहायला सां�गतल.ं हॅकस3कडून थो�या वेळाने 8नरोप येतो, आपला जहाज वगळला तर, प�ृवी@या उ'तर भागाम[ये सात आ9ण दwhण भागाम[ये दोन जहाज LपIटपणे +दसत आहेत. अ�भजीत 'यानंा सव3 जहाजांशी संपक3 कर;याचा �य'न करायला सांगतो. 'या�माणे तीन जहाजांम[ये यशLवीपणे

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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117 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

संपक3 होतो. एक जहाज कॅनडाचं असतं तर मेि]सको आ9ण कोलं�बया या देशांची जहाजं एकSच असतात. 8त�ह� जहाजं अ�भजीत@या जहाजापासनू 600

त े1,000 `क.मी.अंतरावर असतात. 'या जहाजांची अवLथा देखील वेगळी नसत.े अ�नाचा तुटवडा 'या जहाजांम[ये देखील असतो. तर�ह� ज�मनीवर जाता येईल या आशेने हे 8त�ह� जहाजं कVतान थॉमस यां@या जहाजाजवळ येतात.

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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118 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

�करण २२

सवा3त अगोदर कोलं�बयाचं जहाज 'यां@याजवळ पोहोचल.ं 'या जहाजाच ेकVतान `फ�लप आ9ण इथे कVतान थॉमस एकमेकांसोबत वायरलेस�वारे संवाद साधतात. कVतान `फ�लप यांना अ�भजीतची क-पना आवडत,े त ेकVतान थॉमस याचंा �Lताव िLवकारतात. 'यानुसार दो�ह� जहाज एकमेकांना समांतर उभी केल� जातात. कोलं�बया@या जहाजामधील ठरा�वक वै7ा8नक, संशोधक आ9ण सै8नकांना vा9झल@या जहाजाम[ये पाठ�व;यात येतं आ9ण vा9झल@या जहाजामधून िLSया, लहान मुलं आ9ण वयLकरांना कोलं�बया@या जहाजाम[ये पाठ�व;यात येतं.

कोलं�बया@या जहाजाम[ये गेलेल� vा9झलची माणसं लवकरच आपण ज�मनीवर पाय ठेवू या आशेने अ�भजीत@या क-पकत�ेवषयी बोलत असतात. 'यांचं बोलणं 8तथे असले-या दोन िLSया ऐकतात. पैकi एक LSी 'यांना अ�भजीतबeल �वचारत.े खाSी पटताच धावत जाऊन 'या दोघी कVतान `फ�लप यांना भेटतात. कVतान `फ�लप लगेचच vा9झल@या जहाजावर अ�भजीतला वायरलेसम[ये येऊन बोलायला सांगतात. कोलं�बया@या जहाजा@या कVतानाचं भले माUयाशी काय काम असाव?ं असा �वचार करत अ�भजीत वायरलेस �मम[ये जातो.अ�भजीत आ-याचं कळताच 'याला समो�न आवाज येतो, ‘‘अभडू, आय ल�ह यू...’’

अ�भजीत लगेच ओळखतो. हा आवाज tेयाचा असतो. तो 'या दोघींना 8तथेच थांबायला सांगतो. धावतच तो िLटफन@या �मम[ये जातो, 'याला काह� न सांगता 'याचा हात पकडून 'या@यासोबत दसु-या जहाजावर जातो. अ�भजीतला पणु3 खाSी होती कi, िजथे tेया आहे 8तथे रोडा असणारच. 'या दोघींना समोर पाहून त े दोघेह� खूप खूश होतात. अ�भजीतला सुख�प पाहून tेया धावत 'या@याजवळ जात े आ9ण 'याला घ� �मठ. मारत.े रोडाला सुख�प पाहून िLटफन खुश होतो आ9ण 8तला �मठ.त घेतो. अ�भजीत आ9ण िLटफन 'या दोघींना घेऊन vा9झल@या जहाजावर येतात. तोपयBत 'या चौघां@या भेट�ची

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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119 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

गोIट दो�ह� जहाजांम[ये वा-यासारखी पसरल� होती. ज�ेहा ते vा9झल@या जहाजावर येतात, 8तथे उपिLथत �'येकजन टाkयां@या कडकडाटात चौघांचं Lवागत करतात.

‘‘tेया, तु खूप नशीबवान आहेस. तुला मा+हत नसेल, पण तुUया अभडूने (त�ेहा कVतान थॉमस देखील वायरलेस �मम[ये होत)े फ]त आ9ण फ]त तुझा शोध घे;यासाठ. ह� सव3 मो+हम राबवल� होती. 'याला �व{वास होता कi तुला काह� झालं नसेल आ9ण तुला क-पना नाह� कi `कती मोठमो�या संकटांचा सामना करत 'याने तुला प�ुहा �मळवलं आहे. माUया जहाजावर तुDहा दोघींचं Lवागत आहे.’’ कVतान थॉमस Lवतः पुढे येऊन Dहणतात. कोलं�बया@या जहाजावर 'या दोघींची जरा दगदग झाल� होती हे कVतान थॉमस यांनी ओळखले होत.े ते दोघीं@या आरामाची �यवLथा करतात. रोडा गभ3वती होती Dहणून 8तची जाLत काळजी घेतल� जात.े सहका-यानंा कामे सांगून आ9ण कामाची �गती तपासून अ�भजीत tेया@या dमम[ये जातो.

“आत येऊ का?” अ�भजीत दरवाजा उघडत Dहणतो.

“ये ना!” tेया Dहणत.े

“आराम करत असशील Dहणून मगाशी आलो न�हतो. आधीपेhा बरं वाटतंय ना!” अ�भजीत दरवाजा बंद करत Dहणतो.

“हो, ये बस ना बाजूला.” बेडवdन उठत tेया 'याला बसायला जागा देत.े अ�भजीत 8त@या जवळ जाऊन 8त@या डो]यावर चंुबन घेतो. tेया लगेचच 'या@या कुशीत �शरत.े

“तू माUया �मठ.त आहेस यावर �व{वासच बसत नाह�. असो, तुम@या जहाजाचं न]कi काय झालं होतं. Dहणजे कVतान `फल�पला सुzा तुDह� दोघी नाह� +दसलात.” अ�भजीत �वचारतो.

“आDह� दोघी जॉड3न सरांमुळे िजवंत आहोत.” tेया Dहणत.े

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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120 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

“न]कi काय झालं होतं?” अ�भजीत �वचारतो.

“तू मो+हमेवर गेलास आ9ण दोन +दवसांनी खूप मोठ. लाट आल� yयात सगळं जग बुडाल.ं तुम@या सरांनी आDहाला आधीच जहाजावर नेलं होतं Dहणून आDह� वाचलो. पण, आDह� Lवतः@या डोkयांनी जग बुडताना पा+हल.ं जॉड3न सरांसोबत आDह� जहाजावर सुखdप होतो. मला रोडासोबत सतत राहावे लागत होत,े ती एकट� �बचार� करणार तर� काय? तुमच े सर तुDहाला सतत संपक3 कर;याचा �य'न करत होत.े पण तुम@याकडून कोणताह� �8तसाद आला नाह�. 'यांना वाटलं तुDहा सगkयांचा अपघात झाला असावा.” tेय Dहणत.े

“हो, आमचा सगkयांशी संपक3 तुटला होता.” अ�भजीत Dहणतो.

“हो, आ9ण Dहणूनच 'यांना आDहा दोघींची खूप काळजी वाटू लागल�. जे�हा आम@या जहाजाचा अपघात झाला त�ेहा 'यांनी एका �वशेष बोटम[ये मला, रोडाला, अ-बट3@या आई बाबांना बसवलं आ9ण 'यांनी Lवतः ती बोट चालवत आDहाला ज�मनीवर ने;याचा �य'न केला. �वासात आम@या बोट�ला प�ुहा अपघात झाला. अपघात काय Dहणाव?ं कुठ-यातर� माशांचा ह-ला झाला होता. ह--याम[ये अ-बट3च ेआई बाबा मरण पावले. नंतर माशांनी मला आ9ण रोडाला ल�य केल.ं जॉड3न सर बेशुz होत.े आDह� दोघीह� जीवा@या आकांताने ओरडत होतो. ऐकायला कुणीह� न�हतं आ9ण 'यातच माझा तोल गेला आ9ण मी पा;यात पडले. म'ृयू माUयासमोर होता आ9ण माUया समोर एकदम जॉड3न सर आले. 'यांनी पोहतच मला पा;या@या वर बोट�त नेल.ं त ेसुzा येणार इत]यात एका माशाने 'यां@या पायाचा लचका तोडला.” tेया सांगत होती.

“बाप रे! इतकं भयाणक घडलं होतं?” अ�भिजत Dहणतो.

“हो, आ9ण आपण आता िजवंत राहू शकत नाह� हे 'यां@या लhात आल,ं त�ेहा 'यांनी आDहाला दwhण +दशेला जायला सां�गतलं आ9ण पा;या@या आत उडी मारल�. आDह� 'यांना अडव;याचा खूप �य'न केला. पण तोपयBत त े उशीर

प�ुहा न�याने सु�वात अ�भषके ठमके

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121 | क�वतासागर �काशन कादंबर�

झाला होता. माशांची भीती होतीच आ9ण आमची बोट होती 'या +ठकाणी पा;याम[ये Lफोट झा-यासारखा आवाज आला आ9ण सगळे मासे माdन पा;यावर तरंगू लागले. त�ेहा रोडा Dहणाल�, मला वाचवत असताना जॉड3न सरांनी �व�शIट बॉDब सोबत घेऊन पा;यात उडी मारल� होती.” tेया Dहणत.े

“मला मा+हती न�हतं जॉड3न सर इतके महान असतील. खरंच माUया मनात 'यां@या�वषयी काह� गैरसमज होत,े पण आता माUया मनात 'यां@या�वषयी आदर वाढला आहे.” अ�भजीत Dहणतो.

“मी आत येऊ शकतो का?” बाहेdन आवाज येतो आ9ण tेया अ�भजीत Lवतःला सावdन घेतात. “हो.” अ�भजीत Dहणतो. एक सै8नक आत येतो.

“तसद�साठ. माफi असावी. कVतान साहेबांनी तुDहाला बोलावले आहे. इतर जहाजांसोबत संपक3 झाला आहे.” सै8नक दरवाजात उभा राहत Dहणतो. “जा अभी. आ9ण लवकरात लवकर सगkयांना सुखdप ज�मनीवर ने. सगkयांना तुUयाकडून खूप आशा आहेत.” tेया Dहणत ेआ9ण अ�भजीत कVतान थॉमस यांना भेटायला जातो. tेया@या ये;याने अ�भजीतचा अ'म�व{वास वाढलेला असतो. कVतान थॉमस यांना इतर जहाजांसोबत संपक3 साध;यात यश आलं होतं. जहाजा@या एका टोकावर कVतान थॉमस आ9ण अ�भजीत भ�वIयाबeल चचा3 करत असतात. इथून पुढचं आयुIय कसं असेल हे अ�भजीत 'यांना सांगतो. मानवाने 8नसगा3चा जो नाश केला आहे 'याचा गंभीर पRरणाम आता चांगलेच अनुभवता येत आहेत. आता पु�हा न�याने सु�वात करत असताना मानवाने केले-या �वनाशातुन 8नमा3ण झाले-या समLयांवर मात करत अ�भजीत आ9ण 'या@या साथीदारांना पुढे जायचं आहे. �वचार करत अ�भजीत आपल� नजर बाहेर `फरवतो, आ`�का आ9ण मेि]सकोची जहाजं 'यां@या जहाजा@या +दशेने येत असतात. दरुव�न येणा-या जहाजांना पाहून अ�भजीत एका न�या प�ृवीवर�ल न�या जीवना@या न�या संक-पनांची आखणी सु� करतो.

|| समाVत ||